भोपाल। गाय को लेकर चिंता सिर्फ नेताओं के भाषणों में दिखाई देती है. प्रदेश में कई सरकारें बदल गईं. डेढ़ साल के बीच का वक्त निकाल दें, तो पिछले करीब 18 सालों से बीजेपी प्रदेश की सत्ता में हैं. इसके बाद भी करीबन डेढ़ लाख गाए सड़क पर हैं. गौशालाओं की स्थितियां किसी से छिपी नहीं हैं. यहां तक कि गायों के नाम पर दान देने के नाम पर भी नेता, अधिकारी आगे नहीं आते. गौ संवर्धन बोर्ड अभी तक कुल गाय के नाम पर 5 लाख 91 हजार 490 रुपए का दान ही जुट सका है. बोर्ड को पांच माह में सिर्फ 7 हजार का दान ही मिला है. हालांकि बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज दावा करते हैं कि अब लोग सीधे गौशालाओं में ही दान कर रहे हैं.
5 माह में 7 हजार 307 रुपए का दान आया
गायों के आहार और संरक्षण के लिए गौ संवर्धन बोर्ड द्वारा ऑनलाइन दान देने कई बार अपील की जाती रही है. यहां तक कि गाय के नाम पर बोर्ड में दान को आयकर से मुक्त भी रखा गया है, लेकिन इसके बाद भी दान करने वाले आगे नहीं आए. यहां तक कि गाय के नाम पर राजनीति करने वाले और इसे चुनावी मुद्दा बनाने वाले बीजेपी-कांग्रेस के नेताओं की जेब से दान के लिए पैसे नहीं निकले. पिछले 5 माह में गौ संवर्धन बोर्ड में गाय के लिए सिर्फ 9 लोगों ने ही राशि दान दी है. 5 माह में सिर्फ दान के रूप में 7 हजार 307 रुपए ही आए हैं.
अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज ने किया दान
इसमें भी सबसे बड़े दान दाता बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज हैं, उन्होंने पिछले माह 3 जनवरी को 3 हजार 632 रुपए का दान किया था. गौसवंर्धन बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं. जबकि बोर्ड में दो उपाध्यक्ष हैं, इसमें से एक पशुपालन विभाग के मंत्री लखन पटेल हैं. बाकी सदस्य विभिन्न 11 विभागों के अपर मुख्य सचिव, आयुक्त और प्रबंध संचालक होते हैं.
बोर्ड के उपाध्यक्ष बोले गौशालाओं में दान बढ़ा
गौसवंर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज कहते हैं कि ''गौसवंर्धन बोर्ड द्वारा सीधे दान लेने की व्यवस्था शुरू की थी, ताकि लोग गाय के नाम पर दान कर सकें. यहां दान की गई राशि को आयकर की धारा 80 सी के तहत आयकर से मुक्त रखा गया है. यानी यहां राशि दान करने पर आयकर नहीं लगता.'' वे कहते हैं कि ''बोर्ड में सीधे दान करने वालों की संख्या कम है, लेकिन पिछले कुछ समय में गौशालाओं में दान देने वालों की संख्या बढ़ी है. यह कहना ठीक नहीं है कि लोग गाय के नाम पर दान नहीं करते. लोग स्थानीय स्तर पर गौशालाओं में सीधे दान कर रहे हैं. ऐसा गौशालाओं की ऑडिट रिपोर्ट को देखकर भी पता चल रहा है.''