भोपाल। मध्यप्रदेश स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा सप्लायर कंपनी को 19 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करने के मामले में कोलकाता हाईकोर्ट के वकील और भोपाल कोर्ट के कर्मचारी सोमवार को एक बार फिर कुर्की की कार्रवाई करने पहुंचे. कोर्ट के कर्मचारियों ने परिसर में घुसते ही वहां रखे सामान की लिस्ट बनाना शुरू की. इतने में स्वास्थ्य संचालनालय के अफसर और कर्मचरियों ने भवन के अधिकांश कमरों में ताला लगाया और भाग खड़े हुए. इस दौरान कोर्ट की टीम के साथ कर्मचारियों का विवाद भी हुआ. दोनों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए.
स्वास्थ्य संचालनालय में रखे सभी सामान की लिस्ट बनाई
कोर्ट के कर्मचारियों ने हेल्थ डायरेक्टरेट में स्थित विभिन्न कार्यालयों में रखे टीवी, कम्प्यूटर, लैपटाप, एसी, फर्नीचर व अन्य सामानों की विस्तृत लिस्ट तैयार की है. साथ ही भवन में चस्पा किए गए नोटिस में स्पष्ट लिखा है "अब इन सामान का इस्तेमाल स्वास्थ्य विभाग द्वारा नहीं किया जा सकता है." कोलकाता हाईकोर्ट के वकील पूर्णाशीष भुईयां ने बताया "इससे पहले उनकी टीम भोपाल कोर्ट के कर्मचारियों के साथ शनिवार को कुर्की करने पहुंची थी. लेकिन इस दौरान विभाग की एडिशनल डायरेक्टर वंदना खरे ने अभद्रता करते हुए कार्यालय से बाहर कर अंदर से गेट बंद कर दिया."
नीटापोल इंडस्ट्री कोलकाता ने सप्लाई किया था सामान
नीटापोल इंडस्ट्री कोलकाता की एक एमएसएमई यूनिट है. जिसने मध्यप्रदेश स्वास्थ्य संचालनालय को साल 2013 में 50 लाख 70 हजार रुपये का कीटनाशक सप्लाई किया था. यह सप्लाई कमिश्नर, डायरेक्टर आफ हेल्थ के नाम पर की गई थी. लेकिन इसका इस्तेमाल करने के बाद भी संचालनालय द्वारा कंपनी को भुगतान नहीं किया गया. जिसके बाद कंपनी ने पश्चिम बंगाल की हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की थी. इसके बाद वेस्ट बंगाल सरकार की स्वतंत्र यूनिट, जहां सप्लायर अपने बकाया बिलों के लिए अपील कर सकते हैं. वहां से कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया गया.
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भोपाल कोर्ट ने दिया है कुर्की का आदेश
बता दें कि पश्चिम बंगाल की स्वतंत्र यूनिट ने कंपनी को पुराने बिल का 3 गुना ब्याज के साथ 3 किश्तों में देने का फैसला हुआ. लेकिन इसके खिलाफ मध्यप्रदेश हेल्थ डिपार्टमेंट ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर की. लेकिन यह खारिज हो गई. क्योंकि इसमें हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा कोर्ट के आदेशानुसार 75 प्रतिशत एमाउंट डिपाजिट नहीं किया गया. इसके बाद कंपनी के वकील ने इस आदेश के अनुसार भोपाल कोर्ट में 2018 में फाइल किया. इसके खिलाफ हेल्थ डिपार्टमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी डाल दी, लेकिन वह भी खारिज हो गई. अब इस मामले में भोपाल जिला कोर्ट के कॉमर्शियल कोर्ट में मध्यप्रदेश स्वास्थ्य संचालनालय की कुर्की का वारंट जारी किया है.