भोपाल : सहारा समूह की विभिन्न कंपनियों द्वारा निवेशकों से हड़पी राशि से मध्यप्रदेश में व्यापक स्तर पर जमीन खरीदी गई. सहारा समूह ने निवेशकों की राशि से यहां सहारा सिटी बनाने की प्लानिंग की थी. निवेशकों से हुई धोखाधड़ी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती की थी. इसके बाद सहारा समूह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रॉपर्टी बेचकर निवेशकों की राशि लौटाने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए आदेश दिया था कि खरीदी गई भूमि को बेचकर सेबी के खाते में जमा की जाए, जिससे निवेशकों की ये राशि वापस की जा सके. लेकिन सहारा समूह ने जमीन की बिक्री के बाद इस राशि इस्तेमाल खुद कर लिया. खास बात ये है कि जमीन की वास्तविक कीमत की तुलना में सहारा ने इसे बहुत कम राशि में बिक्री होना दर्शाया.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं किया
गौरतलब है कि सहारा इंडिया रियल स्टेट कार्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग कार्पोरेशन इन्वेस्टमेंट समूह द्वारा विभिन्न शहरों में निवेशकों से धन जुटाकर सहारा सिटी बनाने के मकसद से भूमि खरीदी गई थी. साल वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट के साथ ही सेबी ने सहारा समूह को निवेशकों की राशि लौटाने के लिए प्रॉपर्टी बेचने की अनुमति दी थी. सहारा समूह ने जमीन बेचने में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी बेचने की अनुमति इस आधार पर दी थी कि इससे मिलने वाली राशि सेबी के खाते में जमा की जाए, इसके बाद सेबी की निगरानी में इस राशि को निवेशकों को वापस किया जाना था.
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भोपाल की जमीन बहुत कम कीमत में बेचने का आरोप
इसके बाद सहारा समूह ने भोपाल स्थित लगभग 110 एकड़ जमीन 48 करोड़ रुपये में, जबलपुर में लगभग 100 एकड़ जमीन राशि 20 करोड़ में, कटनी में लगभग 100 एकड़ जमीन राशि 20 करोड़ रुपये में बेची थी. इस प्रकार सहारा समूह द्वारा लगभग 310 एकड़ जमीन को लगभग 90 करोड़ रुपये में बेचा. वहीं, भोपाल के मक्सी में स्थित लगभग 110 एकड़ भूमि की कीमत स्वयं सहारा कम्पनी द्वारा वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट में 125 करोड़ रुपये बताई गई थी. खास बात ये है कि भोपाल की जमीन सहारा ने बेचकर इससे मिली राशि को निजी इस्तेमाल कर लिया. इस मामले में ईओडब्लू के डीजी उपेंद्र जैन ने बताया "सहारा समूह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है."