भोपाल: साइबर अपराधी पुलिस के सामने लगातार नई चुनौती पेश कर रहे हैं, लेकिन अब मध्यप्रदेश पुलिस ने इन अपराधियों से निपटने के लिए कमर कस ली है. मध्यप्रदेश में सायबर अपराधों से लुट रहे लोगों को बचाने के लिए मध्यप्रदेश के सभी थानों में साइबर डेस्क बनाने की शुरूआत भोपाल से की गई है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछले दिनों इसके निर्देश दिए थे. पुलिस ने 500 पुलिस के 500 साइबर योद्धाओं को ट्रेंड कर इन डेस्क पर पदस्थ किया है. यहां 5 लाख तक के साइबर फ्रॉड की शिकायतें सुनी जाएंगी.
लगातार अपराध का तरीका बदल रहे साइबर अपराधी
मध्यप्रदेश में साइबर अपराध रॉकेट की रफ्तार से बढ़े हैं. इस साल जनवरी माह से अभी तक करीबन 250 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी के मामले आ चुके हैं. भोपाल में दर्ज हो रहे कुल अपराधों में करीबन 27 फीसदी मामले साइबर फ्रॉड से जुड़े होते हैं. इस साल 15 नवंबर तक राजधानी में 14 हजार 454 आपराधिक मामले रिकॉर्ड किए गए हैं.
साइबर क्राइम सेल में इस साल 5 हजार 500 से ज्यादा मामले साइबर क्राइम के दर्ज हो चुके हैं. सिर्फ भोपाल में ही साइबर क्राइम से 55 करोड़ 88 लाख रुपए ठगे जा चुके हैं. हालांकि अब पुलिस ने भोपाल के हर थाने पर साइबर डेस्क 1 दिसंबर से शुरू कर दी है. इन डेस्क पर 5 लाख तक के साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों की जांच होगी.
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500 साइबर योद्धा किए गए तैयार
भोपाल में शुरू की गई साइबर डेस्क के लिए पुलिस के 500 साइबर योद्धा तैयार किए गए हैं. भोपाल पुलिस कमिश्नर हरीनारायण चारी कहते हैं कि, ''इन 500 पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम से निपटने और अपराधियों तक पहुंचने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी गई है. इसके अलावा साइबर डेस्क को संसाधन संपन्न बनाया गया है. यहां साइबर पुलिस के समन्वय पोर्टल, मोबाइल की लोकेशन के लिए सीआर पोर्टल और ऐसे मामलों में निपटने के लिए जरूरी एसआरए सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया है. इससे जुड़ी ट्रेनिंग भी दिलाई गई है. माना जा रहा है कि साइबर डेस्क से अब छोटे-छोटे मामले में यहां तक पहुंच सकेंगे.''