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भेल बढ़ा रहा वंदे भारत की रफ्तार, हाईस्पीड ट्रेन के पार्ट्स बनाने के लिए अब मिला 23 हजार करोड़ रु का ऑर्डर - Vande Bharat Train Manufacturing

वंदे भारत ट्रेन के लिए देश की महारत्न कंपनी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड यानि भेल को बड़ा आर्डर मिला है. भोपाल, बेंगलुरू और झांसी समेत भेल के अन्य यूनिटों में वंदे भारत के पार्टस बनाने का काम शुरु हो गया है. इसके लिए भेल को करीब 23 हजार करोड़ रु का वर्क ऑर्डर मिला है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 30, 2024, 6:47 AM IST

भोपाल. वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के साथ मेंटेनेंस का जिम्मा रेलवे प्रशासन ने वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का काम भेल और पश्चिम बंगाल के टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड कंसोर्टियम को दिया है. दोनों कंपनियां मिलकर 80 वंदे भारत ट्रेन के सेट तैयार करेंगी. इसके साथ ही इनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी निर्माण करने वाली संस्था की होगी. इसके पहले भी भेल में वंदे भारत के पार्ट्स बनाए जा रहे थे, लेकिन इस बार काफी बड़ा ऑर्डर मिला है.

भोपाल में वंदे भारत के पहियों की हो रही ढलाई

भेल भोपाल, झांसी और बेंगलुरु यूनिटों में वंदे भारत के लिए आइजीबीटी आधारित ट्रैक्शन कन्वर्टर, इन्वर्टर, ट्रेन कंट्रोल प्रबंधन प्रणाली मोटर, ट्रांसफॉर्मर और कोच का निर्माण चल रहा है. वहीं वंदे भारत के लिए भोपाल यूनिट में ट्रेन के पहियों की ढलाई भी की जा रही है. भेल में ट्रैक्शन मोटर का सफलता पूर्वक परीक्षण भी कर लिया गया है.

भोपाल यूनिट बनाएगी इतनी ट्रैक्शन मोटर

भेल के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल यूनिट को करीब 2560 ट्रैक्शन मोटर बनाने का ऑर्डर मिला है. ये मोटर हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के लिए उपयुक्त हैं. वंदे भारत के 16 कोच में से 8 कोच में ये मोटर लगाए जाएंगे, जिससे ट्रेन तत्काल गति पकड़ सके और इसे सुरक्षित हाईस्पीड पर चलाया जा सके. बता दें कि ट्रैक्शन मोटर एक हैवी इलेक्ट्रिक मोटर होती है, जो ट्रेन को बिजली से चलने में मदद करती है.

लोकल इंडस्ट्रीज को भी मिलेगा बढ़ावा

भेल और टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड कंसोर्टियम को 80 सेट वंदे भारत ट्रेन का निर्माण करना है. इससे आसपास की छोटी इंडस्ट्रीज को भी फायदा मिलेगा. यहां ट्रेन के लिए बोगी, कपलर, ब्रेक, डोर सिस्टम, एचवीएसी सिस्टम, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल सिस्टम में केबल, डीजी सेट, पैनल, अग्निशमन आइटम समेत एक हजार से अधिक पार्ट तैयार किए जाएंगे.

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इनका ये है कहना

भेल भोपाल के पीआरओ विनोदानंद झा ने कहा, '' रेलवे प्रशासन द्वारा भेल को करीब 23 हजार करोड़ रु का वंदे भारत ट्रेन सेटों की आपूर्ति का ऑर्डर मिला है. भेल और टीडब्ल्यूएल कंसोर्टियम द्वारा संयुक्त रुप से 80 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करेंगे और इसका रखरखाव भी किया जाएगा.''

भोपाल. वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के साथ मेंटेनेंस का जिम्मा रेलवे प्रशासन ने वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का काम भेल और पश्चिम बंगाल के टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड कंसोर्टियम को दिया है. दोनों कंपनियां मिलकर 80 वंदे भारत ट्रेन के सेट तैयार करेंगी. इसके साथ ही इनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी निर्माण करने वाली संस्था की होगी. इसके पहले भी भेल में वंदे भारत के पार्ट्स बनाए जा रहे थे, लेकिन इस बार काफी बड़ा ऑर्डर मिला है.

भोपाल में वंदे भारत के पहियों की हो रही ढलाई

भेल भोपाल, झांसी और बेंगलुरु यूनिटों में वंदे भारत के लिए आइजीबीटी आधारित ट्रैक्शन कन्वर्टर, इन्वर्टर, ट्रेन कंट्रोल प्रबंधन प्रणाली मोटर, ट्रांसफॉर्मर और कोच का निर्माण चल रहा है. वहीं वंदे भारत के लिए भोपाल यूनिट में ट्रेन के पहियों की ढलाई भी की जा रही है. भेल में ट्रैक्शन मोटर का सफलता पूर्वक परीक्षण भी कर लिया गया है.

भोपाल यूनिट बनाएगी इतनी ट्रैक्शन मोटर

भेल के अधिकारियों ने बताया कि भोपाल यूनिट को करीब 2560 ट्रैक्शन मोटर बनाने का ऑर्डर मिला है. ये मोटर हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों के लिए उपयुक्त हैं. वंदे भारत के 16 कोच में से 8 कोच में ये मोटर लगाए जाएंगे, जिससे ट्रेन तत्काल गति पकड़ सके और इसे सुरक्षित हाईस्पीड पर चलाया जा सके. बता दें कि ट्रैक्शन मोटर एक हैवी इलेक्ट्रिक मोटर होती है, जो ट्रेन को बिजली से चलने में मदद करती है.

लोकल इंडस्ट्रीज को भी मिलेगा बढ़ावा

भेल और टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड कंसोर्टियम को 80 सेट वंदे भारत ट्रेन का निर्माण करना है. इससे आसपास की छोटी इंडस्ट्रीज को भी फायदा मिलेगा. यहां ट्रेन के लिए बोगी, कपलर, ब्रेक, डोर सिस्टम, एचवीएसी सिस्टम, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल सिस्टम में केबल, डीजी सेट, पैनल, अग्निशमन आइटम समेत एक हजार से अधिक पार्ट तैयार किए जाएंगे.

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इनका ये है कहना

भेल भोपाल के पीआरओ विनोदानंद झा ने कहा, '' रेलवे प्रशासन द्वारा भेल को करीब 23 हजार करोड़ रु का वंदे भारत ट्रेन सेटों की आपूर्ति का ऑर्डर मिला है. भेल और टीडब्ल्यूएल कंसोर्टियम द्वारा संयुक्त रुप से 80 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण करेंगे और इसका रखरखाव भी किया जाएगा.''

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