भिंड। मध्य प्रदेश की राजनीति में पलायन का दौर जारी है. एक के बाद एक कई बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ अन्य दलों में शामिल हो रहे हैं. इसी फहरिस्त में कांग्रेस के युवा नेता देवाशीष जरारिया का भी जुड़ गया है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भिंड लोकसभा सीट पर चुनाव लड़े देवाशीष लगातार पार्टी की अनदेखी और वादा खिलाफी से आहत होकर बुधवार को लखनऊ में बहुजन समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. बसपा ने उन्हें अब भिंड लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है.
राहुल-खड़गे को बतायी थी अपनी पीड़ा
लखनऊ से बसपा सुप्रीमो मायावती से आशीर्वाद लेकर लौटे देवाशीष जरारिया ने ईटीवी भारत से अपना दर्द बयां किया. देवाशीष का कहना है कि ''कांग्रेस से टिकट न मिलना दूसरी वजह हो सकती है क्योंकि अगर टिकट न मिलने की नाराजगी होती तो वह यह फैसला कांग्रेस के टिकट घोषणा के एक-दो दिन में ही ले सकते थे.'' उन्होंने बताया कि ''बहुजन समाजवादी पार्टी से चुनाव में टिकट लड़ने का ऑफर तो उन्हें करीब महीने भर पहले से मिल रहा था लेकिन उन्होंने संयम रखा क्योंकि पार्टी के एक सीनियर नेता ने अपने साथ दिल्ली ले जाकर वरिष्ठ नेतृत्व से मुलाकात कराई थी. यह स्वाभाविक है जब किसी का टिकट कटता है तो उसे दुख होता है, खास कर तब जब कोई 5 साल तक क्षेत्र में मेहनत करे, पार्टी के साथ खड़ा रहे. वह पीड़ा सोशल मीडिया पर भी वे व्यक्त कर चुके थे और वहीं उन्होंने कांग्रेस के आला कमान को भी बताया.''
कांग्रेस नेतृत्व पर झूठा आश्वासन देने का लगाया आरोप
देवाशीष जरारिया ने बताया कि,"कांग्रेस की अंदरूनी स्थिति देखी जाए तो आज के समय में लोकसभा सीट के लिए कोई चुनाव की तैयारी तक नहीं करता. इस संबंध में कई बार राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी पूछी थी कि कांग्रेस को सत्ता में लाने और बीजेपी को उखाड़ फेंकने के लिए क्या तैयारी है. क्योंकि जहां भी देखो कहीं कांग्रेस के दावेदार क्षेत्र में नजर नहीं आ रहे. लेकिन मैंने अपनी तैयारी की क्योंकि पार्टी में पहले से ही इतना आश्वासन दे रखा था कि आप तो अपनी मेहनत कीजिए टिकट आपको ही मिलेगा और उसे हिसाब से लगातार क्षेत्र में काम किया जनता के बीच गया. पूरे क्षेत्र में घूमा, एक लोकसभा करीब 300 से 350 किलोमीटर में फैली होती है. किसी उम्मीदवार को गांव-गांव तक जाना आसान नहीं होता लेकिन मैंने 5 साल संघर्ष किया.
कांग्रेस में सब एक दूसरे को हराने में जुटे
देवाशीष जरारिया का कहना है कि जब विधानसभा के 2020 में उपचुनाव हुए लेकिन मुझसे कहा गया कि आप लोकसभा की तैयारी करिए, आपको लोकसभा लड़ना है. यह शब्द आला कमान के थे कि आप अर्जुन की तरह मछली की आंख का ध्येय रखिए और उसे हिसाब से मेहनत कीजिए. मैंने लगातार मेहनत की जब विधानसभा के चुनाव आए तब भी अपनी तरफ से टिकट तक नहीं मांगा. कांग्रेस में सब एक दूसरे को हराने में लगे रहे. भिंड में भी सभी को पता है कि कौन किसका विरोधी है लेकिन उससे हटकर मैंने दो विपरीत धाराओं के बीच पार्टी के साथ काम किया. आज आप प्रदेश के किसी भी नेता से पूछ सकते हैं. वह इस बात को मानेगा कि देवाशीष ने ईमानदारी से काम किया है उसके बाद भी टिकट काट दिया गया.
'कांग्रेस में नहीं होती किसी की सुनवाई, प्रत्याशी ने संपर्क तक नहीं किया'
उन्होंने आरोप लगाया कि टिकट काटने के बाद जब इस बारे में वरिष्ठ नेतृत्व से बात की गई तो कांग्रेस के सीनियर लीडर्स ने मुझे यह आश्वासन दिया के वह मेरी राजनीति को खत्म नहीं होने देंगे, संगठन में कोई बड़ा पद देकर एडजस्ट करेंगे, क्योंकि मुझे भी अपने कार्यकर्ताओं को जवाब देना होता है कि वह किसके लिए मेहनत कर रहे हैं. इस आश्वासन के बाद भी मैंने धैर्य रखा, संपर्क किया हमेशा आश्वासन ही मिला. 35 दिन गुजरने के दौरान कांग्रेस के प्रत्याशी फूल सिंह बरैया ने संपर्क ही नहीं किया. जब नामांकन भरने गए उसे दिन भी कांग्रेस के सभी नेताओं को बुलाया गया लेकिन मुझे नहीं बुलाया गया. कांग्रेस लगातार इस हद तक अनदेखी करती रही की डिप्रेशन तक में चले गए लेकिन कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं है. असलियत तो यह है कि कांग्रेस में कोई सुनवाई होती ही नहीं है कोई नीति नहीं है कोई मुद्दा नहीं है.
कांग्रेस ने खत्म कर दिया निशा बाँगरे का करियर
देवाशीष जरिया ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का करियर भी खत्म कर दिया. विधानसभा चुनाव के दौरान उस 35 वर्षीय युवती का जबरन इस्तीफा दिलाया जो आगे कमिशनर रैंक तक जाती, उसका इस्तीफा दिया और उसके बाद उन्हें टिकट नहीं दिया. यहां तक की लोकसभा चुनाव में भी उनका टिकट काट दिया. आज के समय में अनुसूचित जाति से कितने लोग खास कर महिलाएं इतने बड़े पद तक पहुंच पाते हैं लेकिन आज वह दर दर की ठोकरें खा रही है, इस बात का दुख होता है.
बसपा ने हौंसला और टिकट दोनों दिये
बसपा प्रत्याशी देवाशीष जरारिया कहते हैं कि लगातार इस तरह के व्यवहार से आहत होकर कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला किया. इस संबंध में बहुजन समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती से बात हुई उन्होंने संबल दिया हौसला दिया कि बसपा के टिकट पर भिंड से चुनाव लड़ें उनसे बात करने के बाद कांग्रेस छोड़ कर बसपा में जाने का फैसला किया. बहन मायावती से मिलने का निर्णय किया और उनके पास जाकर आशीर्वाद लिया. इसके बाद बतौर प्रत्याशी बहुजन समाज पार्टी ने देवाशीष जरारिया को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया.
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अंधे काने के बीच था मुकाबला अब जनता को विकल्प मिला
बसपा प्रत्याशी जरारिया ने यह भी खुलासा किया कि कांग्रेस का 80 प्रतिशत संगठन बसपा में होने के बाद भी उनके साथ है. क्योंकि, कांग्रेस के प्रत्याशी फूल सिंह बरैया से स्थानीय संगठन नाराज है. वे संगठन को पूछ नहीं रहे, वे किसी से बात नही करते, किसी का नाम तक नही जानते. इस परिस्थिति में चुनाव जीतना तो दूर की बात है. देवाशीष ने कहा कि, आने वाला चुनाव देखने लायक होगा, ये मुकाबला अब त्रिकोणीय हो चुका है, उनका कहना है कि बीजेपी तो कॉम्पटीशन से बाहर है क्योंकि उनकी प्रत्याशी संध्या राय वर्तमान में सांसद रही और अपने कार्यकाल में क्षेत्र की जनता के बीच पहुंची ही नही ऐसे में अब तक चुनाव एक अंधे और एक काने के बीच था अब जनता को तीसरा विकल्प मिला है. मेने पांच साल जनता के बीच रहकर मेहनत की है अब जनता निर्णय लेगी.
बीजेपी-कांग्रेस को दी चुनौती
वहीं इस बार देवाशीष जरारिया जनता के बीच कौन से मुद्दे लेकर जाने वाले हैं ये सवाल जब हमने किया तो उनका कहना था की वे जनता के बीच पांच साल रहे हैं, अगर कांग्रेस का टिकट मिलता तो भी जीत पक्की थी, लेकिन जनता से सिम्पेथि का भरोसा है. देवाशीष का यह भी कहना है कि, भिंड दतिया लोकसभा में मुद्दे वहीं हैं मुद्दे भिंड के अलग नहीं हो सकते, वे एक बार फिर जनता के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे एक बार फिर लेकर जाएंगे. उनका कहना है कि सिर्फ झंडा बदला है व्यक्तिव आज भी वही है जिसने पांच वर्षों तक मेहनत और संघर्ष किया. उन्होंने बीजेपी कांग्रेस दोनों दलों के दांत खट्टे करने का भी चेलेंज दिया है.