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Rajasthan: कद बेशक छोटा हो, ख्वाब बड़े थे, जानिए जौहरी की सफलता की भव्य कहानी

NALSAR के स्वर्णिम सफर की कहानी. जानिए भव्य जौहरी की जुबानी, जिन्होंने 10 गोल्ड मेडल के साथ ही BA-LLB ऑनर्स की डिग्री हासिल की.

Jaipur Bhavya Johari
भव्य की स्वर्णिम कामयाबी (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 24, 2024, 6:17 PM IST

जयपुर: कहते हैं कि कामयाबी हौसला रखने वालों का ही कदम चूमती है. जयपुर के वैशाली नगर निवासी भव्य जौहरी की कामयाबी का सफर भी कुछ ऐसा ही रहा है, जिन्होंने हाल में NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में अपनी स्वर्णिम कामयाबी के जरिए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. भव्य ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ अश्विनी विजय प्रकाश पारीक से खास बातचीत की...

गुलाबी शहर के रहने वाले 23 साल के भव्य जौहरी भले ही कद में 3 फीट 9 इंच के हैं, लेकिन उनकी कामयाबी का गवाह हाल में पूरा देश बन गया. भव्य ने 28 सितंबर को हैदराबाद में आयोजित NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में 10 गोल्ड मेडल के साथ ही BA-LLB ऑनर्स की डिग्री हासिल की. उन्हें गोल्ड मेडल आपराधिक कानून, इतिहास, पर्यावरण कानून और अन्य विषयों में उत्कृष्टता के लिए दिए गए थे.

भव्य जौहरी की कामयाबी, सुनिए क्या कहा.... (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने ये मेडल NALSAR के चांसलर और तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा, मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, तेलंगाना के राज्यपाल विष्णु देव वर्मा और कुलपति कृष्ण देव राव की मौजूदगी में मिले. देश के जाने माने लॉ स्कूल के 21वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अध्यक्षता की.

आग की शिक्षा के लिए जा रहे मेलबर्नः अपनी इस कामयाबी को लेकर भव्य ने कहा कि उनके पास कई नौकरी के प्रस्ताव आए, लेकिन वह आगे की शिक्षा के लिए फिलहाल मेलबर्न जा रहे हैं, जहां वे मास्टर्स करेंगे. भव्य ने उम्मीद जताई कि वह NALSAR में प्राप्त की गई शैक्षणिक उत्कृष्टता को आगे भी जारी रखेंगे. भव्य का कहना था कि उन्होंने जब NALSAR में दाखिला लिया था, तो उनके साथी उनके छोटे कद के कारण बातें करते थे. ऐसे में उनके लिए शुरुआती दिन मुश्किल भरे थे, लेकिन जब पहले साल के परिणाम आए, तो उन्हीं लोगों ने भव्य को एक गंभीर विद्वान के रूप में देखना शुरू कर दिया.

पढ़ें : वेस्ट टू वंडर का कमाल, कचरे से तैयार किए कमाल के प्रोडक्ट, गौमूत्र से बनाई फिनायल - Products made from waste

पढ़ें : वरदान है पपीते के पत्ते का रस, मुंहासे से लेकर कैंसर और पीरियड्स का दर्द, सबमें फायदेमंद - Health Tips

बनेंगे बदलाव का हिस्साः भव्य जौहरी मानते हैं कि जो जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखता है, वह कामयाब बनता है. गौरतलब है कि भव्य के पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उनकी मां म्यूचुअल फंड्स की सलाहकार हैं. भव्य के पसंदीदा विषय आपराधिक कानून और मानवाधिकार हैं, लेकिन उन्हें देश के मौजूदा दिव्यांगता कानूनों में कोई खास रूचि नहीं है. वह कहते हैं कि देश में पहुंच-सुविधा (Accessibility) के मानकों को निर्धारित करने की जरूरत है. निर्देशों को स्पष्ट और परिभाषित तरीके से होना चाहिए, जैसे अमेरिका और यूरोपीय में होता है. उन्होंने कहा कि कानून से जुड़े दिशा-निर्देश और नियम विवेकाधीन नहीं होने चाहिए. वह भविष्य में देश के दिव्यांगता कानून में सुधार की दिशा में काम करना चाहते हैं, साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी योगदान देंगे.

भव्य जौहरी से बातचीत में किए गए सवालों का जवाब इस तरह से है :

प्रश्नः भव्य कानून की पढ़ाई में अपने स्वर्ण पदक जीता है. अपनी इस सफलता के लिए क्या कहना चाहेंगे ?

उत्तरः इस कामयाबी की आशा बिलकुल नहीं थी. पांच साल कोशिशों पर केन्द्रित रहा और फिर नतीजे के रूप में इतने सारे स्वर्ण पदक जाहिर तौर पर खुशी देने वाले हैं. इस बात की खुशी ज्यादा है कि जिन लोगों के कारण यह कामयाबी मिली, उन सभी को गौरवान्वित अनुभव करवा सके. भव्य ने कहा कि ईश्वर की कृपा के साथ माता-पिता और भाई के आशीर्वाद के कारण यह सफलता हासिल कर सका. उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने भी उन पर भरोसा रखा, जिसके कारण वह उन्हें गौरवान्वित महसूस करवाने में सफल रहे.

प्रश्नः आपने मीडिया को बताया था कि फिलहाल आपके पास कई जॉब्स के ऑफर हैं. आप क्या सोच रहे हैं इस बारे में ?

उत्तरः भव्य के मुताबिक जिन भी रिक्रूटर्स ने उन्हें जॉब के लिए ऑफर किया, वह उन सभी के आभारी हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि बीते कुछ वक्त में उनकी रूचि मानवाधिकार, डिसएबिलिटी लॉ और क्रिमिनल लॉ को लेकर बढ़ गई. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के धरातल पर असर दिखाने में खासा कमियां रही है. ऐसे हालात को देखते हुए उनके लिए जॉब और इस दिशा में काम करने की दुविधा रही, जिसमें मुश्किल फैसला लेते हुए उन्होंने आगे पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के लिए मास्टर्स डिग्री के लिए तालीम जारी रखने का फैसला किया. वे इसके लिए मेलबर्न लॉ स्कूल में दाखिला भी ले चुके हैं.

प्रश्नः आप मेलबर्न जा रहे हैं आगे की पढ़ाई के लिए. आपका फ्यूचर गोल क्या होगा ?

उत्तरः भव्य ने बताया कि मेलबर्न में पढ़ाई के बाद वह भारत लौटेंगे और एकेडमिक फील्ड में अपना करियर तलाशेंगे. उनके मुताबिक मौजूदा हालात में भारतीय विधि संहिता में डिसेबिलिटी लॉ और मानवाधिकारों को लेकर काफी कमियां हैं. उन्हें दूर करने का वह प्रयास करेंगे. उनका कहना था कि पॉलिसी मेकर्स के साथ जुड़कर वे इस दिशा में काम करना चाहेंगे, क्योंकि आज भी एक बड़ा तबका अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी से वंचित है.

प्रश्नः क्या कभी आपकी हाइट को लेकर आपने निराशा महसूस की है ?

उत्तरः अपनी डिसेबिलिटी को लेकर भव्य ने साफगोई के साथ स्वीकार किया कि कई मर्तबा उनके जीवन में ऐसे मौके आए, जब उन्होंने ईश्वर से भी अपनी दिव्यांगता को लेकर सवाल किए. उन्होंने बताया कि अक्सर उन्हें जिन सवालों ने परेशान किया, वह समाज की ओर से उठाए गए थे. इस दौरान उन्हें लेकर नकारात्मक बातें की गईं, जिसकी वजह से लगता था कि उनकी कामयाबी की राह में हमेशा शारीरिक विशेषता आड़े आएगी. भव्य ने एक सुझाव देते हुए कहा कि जब अपनी शारीरिक विशेषता को ताकत बना लेंगे, तो फिर यकीन मानिए कि कोई भी आपको नहीं रोक सकेगा. आपको यह मानना होगा कि आप ही अपने जीवन को तय करेंगे, ना की लोगों की ओर से कही गई बातें आपको दिशा देगी. इसलिए अपनी कमजोरी को ही ताकत बनाना होगा.

प्रश्नः आपकी सफलता के पीछे आपके परिवार का क्या योगदान रहा है ?

उत्तरः भव्य ने कहा कि जो किरदार वह आज हैं, वह उनके माता-पिता और भाई के सहयोग के बिना मुमकिन नहीं हो सकता था. उन्होंने कहा कि इन सभी लोगों ने ही उन्हें भरोसा दिलाया कि लोग नहीं बदलने वाले हैं. ऐसे में स्वयं को नकारात्मक बातों के प्रति अपने व्यवहार को बदलकर चलना होगा. उन्होंने कहा कि NALSAR तक का सफर उन्होंने अपने परिजनों की प्रेरणा से ही पूरा किया है. इसके अलावा उनके घरवालों ने उन्हें अध्यात्म और ध्यान के साथ जोड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि वे ब्रह्माकुमारी की योग शिक्षा का अनुसरण करते हैं. जिसके कारण इतना एकाग्र हो सके कि आज वे इस कामयाबी के सफर को पूरा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने शिक्षकों और मित्रों का भी इसके लिए धन्यवाद करना चाहेंगे.

जयपुर: कहते हैं कि कामयाबी हौसला रखने वालों का ही कदम चूमती है. जयपुर के वैशाली नगर निवासी भव्य जौहरी की कामयाबी का सफर भी कुछ ऐसा ही रहा है, जिन्होंने हाल में NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में अपनी स्वर्णिम कामयाबी के जरिए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. भव्य ने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ अश्विनी विजय प्रकाश पारीक से खास बातचीत की...

गुलाबी शहर के रहने वाले 23 साल के भव्य जौहरी भले ही कद में 3 फीट 9 इंच के हैं, लेकिन उनकी कामयाबी का गवाह हाल में पूरा देश बन गया. भव्य ने 28 सितंबर को हैदराबाद में आयोजित NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह में 10 गोल्ड मेडल के साथ ही BA-LLB ऑनर्स की डिग्री हासिल की. उन्हें गोल्ड मेडल आपराधिक कानून, इतिहास, पर्यावरण कानून और अन्य विषयों में उत्कृष्टता के लिए दिए गए थे.

भव्य जौहरी की कामयाबी, सुनिए क्या कहा.... (ETV Bharat Jaipur)

उन्होंने ये मेडल NALSAR के चांसलर और तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा, मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, तेलंगाना के राज्यपाल विष्णु देव वर्मा और कुलपति कृष्ण देव राव की मौजूदगी में मिले. देश के जाने माने लॉ स्कूल के 21वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अध्यक्षता की.

आग की शिक्षा के लिए जा रहे मेलबर्नः अपनी इस कामयाबी को लेकर भव्य ने कहा कि उनके पास कई नौकरी के प्रस्ताव आए, लेकिन वह आगे की शिक्षा के लिए फिलहाल मेलबर्न जा रहे हैं, जहां वे मास्टर्स करेंगे. भव्य ने उम्मीद जताई कि वह NALSAR में प्राप्त की गई शैक्षणिक उत्कृष्टता को आगे भी जारी रखेंगे. भव्य का कहना था कि उन्होंने जब NALSAR में दाखिला लिया था, तो उनके साथी उनके छोटे कद के कारण बातें करते थे. ऐसे में उनके लिए शुरुआती दिन मुश्किल भरे थे, लेकिन जब पहले साल के परिणाम आए, तो उन्हीं लोगों ने भव्य को एक गंभीर विद्वान के रूप में देखना शुरू कर दिया.

पढ़ें : वेस्ट टू वंडर का कमाल, कचरे से तैयार किए कमाल के प्रोडक्ट, गौमूत्र से बनाई फिनायल - Products made from waste

पढ़ें : वरदान है पपीते के पत्ते का रस, मुंहासे से लेकर कैंसर और पीरियड्स का दर्द, सबमें फायदेमंद - Health Tips

बनेंगे बदलाव का हिस्साः भव्य जौहरी मानते हैं कि जो जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखता है, वह कामयाब बनता है. गौरतलब है कि भव्य के पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उनकी मां म्यूचुअल फंड्स की सलाहकार हैं. भव्य के पसंदीदा विषय आपराधिक कानून और मानवाधिकार हैं, लेकिन उन्हें देश के मौजूदा दिव्यांगता कानूनों में कोई खास रूचि नहीं है. वह कहते हैं कि देश में पहुंच-सुविधा (Accessibility) के मानकों को निर्धारित करने की जरूरत है. निर्देशों को स्पष्ट और परिभाषित तरीके से होना चाहिए, जैसे अमेरिका और यूरोपीय में होता है. उन्होंने कहा कि कानून से जुड़े दिशा-निर्देश और नियम विवेकाधीन नहीं होने चाहिए. वह भविष्य में देश के दिव्यांगता कानून में सुधार की दिशा में काम करना चाहते हैं, साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी योगदान देंगे.

भव्य जौहरी से बातचीत में किए गए सवालों का जवाब इस तरह से है :

प्रश्नः भव्य कानून की पढ़ाई में अपने स्वर्ण पदक जीता है. अपनी इस सफलता के लिए क्या कहना चाहेंगे ?

उत्तरः इस कामयाबी की आशा बिलकुल नहीं थी. पांच साल कोशिशों पर केन्द्रित रहा और फिर नतीजे के रूप में इतने सारे स्वर्ण पदक जाहिर तौर पर खुशी देने वाले हैं. इस बात की खुशी ज्यादा है कि जिन लोगों के कारण यह कामयाबी मिली, उन सभी को गौरवान्वित अनुभव करवा सके. भव्य ने कहा कि ईश्वर की कृपा के साथ माता-पिता और भाई के आशीर्वाद के कारण यह सफलता हासिल कर सका. उन्होंने कहा कि शिक्षकों ने भी उन पर भरोसा रखा, जिसके कारण वह उन्हें गौरवान्वित महसूस करवाने में सफल रहे.

प्रश्नः आपने मीडिया को बताया था कि फिलहाल आपके पास कई जॉब्स के ऑफर हैं. आप क्या सोच रहे हैं इस बारे में ?

उत्तरः भव्य के मुताबिक जिन भी रिक्रूटर्स ने उन्हें जॉब के लिए ऑफर किया, वह उन सभी के आभारी हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि बीते कुछ वक्त में उनकी रूचि मानवाधिकार, डिसएबिलिटी लॉ और क्रिमिनल लॉ को लेकर बढ़ गई. उन्होंने कहा कि इन कानूनों के धरातल पर असर दिखाने में खासा कमियां रही है. ऐसे हालात को देखते हुए उनके लिए जॉब और इस दिशा में काम करने की दुविधा रही, जिसमें मुश्किल फैसला लेते हुए उन्होंने आगे पब्लिक इंटरनेशनल लॉ के लिए मास्टर्स डिग्री के लिए तालीम जारी रखने का फैसला किया. वे इसके लिए मेलबर्न लॉ स्कूल में दाखिला भी ले चुके हैं.

प्रश्नः आप मेलबर्न जा रहे हैं आगे की पढ़ाई के लिए. आपका फ्यूचर गोल क्या होगा ?

उत्तरः भव्य ने बताया कि मेलबर्न में पढ़ाई के बाद वह भारत लौटेंगे और एकेडमिक फील्ड में अपना करियर तलाशेंगे. उनके मुताबिक मौजूदा हालात में भारतीय विधि संहिता में डिसेबिलिटी लॉ और मानवाधिकारों को लेकर काफी कमियां हैं. उन्हें दूर करने का वह प्रयास करेंगे. उनका कहना था कि पॉलिसी मेकर्स के साथ जुड़कर वे इस दिशा में काम करना चाहेंगे, क्योंकि आज भी एक बड़ा तबका अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी से वंचित है.

प्रश्नः क्या कभी आपकी हाइट को लेकर आपने निराशा महसूस की है ?

उत्तरः अपनी डिसेबिलिटी को लेकर भव्य ने साफगोई के साथ स्वीकार किया कि कई मर्तबा उनके जीवन में ऐसे मौके आए, जब उन्होंने ईश्वर से भी अपनी दिव्यांगता को लेकर सवाल किए. उन्होंने बताया कि अक्सर उन्हें जिन सवालों ने परेशान किया, वह समाज की ओर से उठाए गए थे. इस दौरान उन्हें लेकर नकारात्मक बातें की गईं, जिसकी वजह से लगता था कि उनकी कामयाबी की राह में हमेशा शारीरिक विशेषता आड़े आएगी. भव्य ने एक सुझाव देते हुए कहा कि जब अपनी शारीरिक विशेषता को ताकत बना लेंगे, तो फिर यकीन मानिए कि कोई भी आपको नहीं रोक सकेगा. आपको यह मानना होगा कि आप ही अपने जीवन को तय करेंगे, ना की लोगों की ओर से कही गई बातें आपको दिशा देगी. इसलिए अपनी कमजोरी को ही ताकत बनाना होगा.

प्रश्नः आपकी सफलता के पीछे आपके परिवार का क्या योगदान रहा है ?

उत्तरः भव्य ने कहा कि जो किरदार वह आज हैं, वह उनके माता-पिता और भाई के सहयोग के बिना मुमकिन नहीं हो सकता था. उन्होंने कहा कि इन सभी लोगों ने ही उन्हें भरोसा दिलाया कि लोग नहीं बदलने वाले हैं. ऐसे में स्वयं को नकारात्मक बातों के प्रति अपने व्यवहार को बदलकर चलना होगा. उन्होंने कहा कि NALSAR तक का सफर उन्होंने अपने परिजनों की प्रेरणा से ही पूरा किया है. इसके अलावा उनके घरवालों ने उन्हें अध्यात्म और ध्यान के साथ जोड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि वे ब्रह्माकुमारी की योग शिक्षा का अनुसरण करते हैं. जिसके कारण इतना एकाग्र हो सके कि आज वे इस कामयाबी के सफर को पूरा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने शिक्षकों और मित्रों का भी इसके लिए धन्यवाद करना चाहेंगे.

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