भरतपुर: जिले में जिला प्रमुख का चुनाव सियासी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. कोरम पूर्ति के विवाद और सदस्यों की उपस्थिति को लेकर शुक्रवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक विवादों से घिर गई. कुम्हेर प्रधान रश्मि फौजदार ने बैठक को अवैध बताते हुए इसका बहिष्कार किया और न्यायालय जाने की चेतावनी दी. वहीं जिम्मेदारों का कहना है कि बैठक में 19 सदस्य मौजूद थे, कोरम पूरा था.
मंत्री-विधायकों को संभालनी पड़ी कुर्सी: यह पहली बार था कि कोरम की पूर्ति के लिए जिला परिषद सदस्यों के साथ मंत्री और विधायकों को भी बैठक में शामिल होना पड़ा. गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम, भरतपुर विधायक डॉ सुभाष गर्ग, बयाना विधायक डॉ ऋतु बनावत और वैर विधायक बहादुर सिंह कोली ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. बैठक का समय दोपहर 3 बजे तय था, लेकिन सदस्यों के इंतजार में यह 3.30 बजे शुरू हो सकी. अंतिम क्षण तक सदस्यों को फोन कर बुलाने की कवायद चलती रही.
कुम्हेर प्रधान का आरोप-बैठक अवैध: जैसे ही सदस्य पहुंचे और बैठक शुरू हुई, कुम्हेर प्रधान रश्मि फौजदार ने ऐतराज जताते हुए कहा कि कोरम की पूर्ति नहीं हुई है. प्रधान ने बैठक को अवैध बताते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन मनमर्जी कर रहा है और मात्र 6 सदस्य ही मौजूद थे. उन्होंने कहा कि मंत्री और विधायकों की मौजूदगी में भी ऐसी गड़बड़ियां हो रही हैं. मैं इसके खिलाफ न्यायालय जाऊंगी.
प्रशासन का दावा-कोरम पूरा: जिला परिषद के एसीईओ विनय मित्र ने प्रधान के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि 19 सदस्य मौजूद थे, जो कि कुल संख्या के एक-तिहाई के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि यह संख्या बैठक शुरू करने के लिए पर्याप्त है. वहीं गृहराज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि लोकतंत्र में सब को अपनी बात रखने का अधिकार है. मीटिंग में कोरम पूरा था. अच्छा होता कि कुम्हेर प्रधान मीटिंग में बैठकर अपने क्षेत्र की समस्याओं और जरूरतों के बारे में बताती.
सियासी माहौल गरमाया: बैठक में शामिल नेताओं की उपस्थिति और प्रधान द्वारा बहिष्कार के बाद जिला प्रमुख चुनाव को लेकर जिले में सियासी माहौल गरमा गया है. रश्मि फौजदार के इस कड़े रुख से यह मामला अब कानूनी दायरे में जा सकता है. जिला प्रमुख का यह चुनाव केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसमें सियासी दलों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. कोरम पूर्ति का यह विवाद न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि सियासी दलों की अंदरूनी खींचतान को भी उजागर कर रहा है.