बस्तर: 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति यानी एससी और एसटी में उपवर्ग बनाने का अधिकार राज्यों को दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने की बात भी कही है. कोर्ट के इस फैसले पर बस्तर के आदिवासी और मूल निवासी विरोध में है. एससी के इस फैसले को लेकर 21 अगस्त को बस्तर बंद का आह्वान किया है.
बस्तर में सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक बंद: बस्तर में सुबह 6 बजे से शाम 5 बजे तक 12 घंटे का बंद होगा. बंद को लेकर आदिवासी समाज ने बस्तर में बैठकें भी तेज कर दी है. अलग अलग ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में बैठक किया जा रहा है. 21 अगस्त को बस्तर के सभी व्यवसायिक संस्थान, परिवहन सेवाएं, स्कूल, कॉलेज बंद रहेंगे. इस दिन जगदलपुर शहर में फैसले के विरोध में रैली निकालकर आक्रोश व्यक्त किया जाएगा.
बस्तर में एससी एसटी का आरक्षण में कोटा के अंदर कोटा का विरोध: सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने बताया "1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के एक केस में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा और उपवर्गीकरण करते हुए क्रीमीलेयर लागू किया गया है. जिसके विरोध में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य मूल निवासियों ने 21 अगस्त को बंद बुलाया है. बंद के साथ ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. संविधान में संशोधन करें या सुप्रीम कोर्ट आदेश को वापस लें.
21 अगस्त पूरा बस्तर बंद: सर्व अनुसूचित जाति के जिला अध्यक्ष विक्रम लहरे ने कहा "आदिवासी वर्ग आरक्षण के कारण ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. फिलहाल 1 या 2 पीढ़ी ही शिक्षा ग्रहण कर पाई है. अब भारत के संविधान में आरक्षण खत्म करने का प्रयास किया गया है. जिसके खिलाफ भारत बंद किया जाएगा. यह सम्पूर्ण बंद एसटी और एससी के साथ ही पूरे मूलनिवासियों के आव्हान पर किया जा रहा है."
सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण के खिलाफ फैसले का विरोध: महरा समाज के संभागीय अध्यक्ष राजू बघेल ने कहा "बाबा भीमराव अंबेडकर ने एक समानता का अधिकार दिया और भारत के संविधान में आरक्षण लागू किया. यदि आरक्षण के साथ किसी तरह का कोई छेड़छाड़ किया जाएगा, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट ने किया है. उसका पुरजोर विरोध बस्तर संभाग के साथ ही पूरे भारत देश के एसटी, एससी और सम्पूर्ण मूलनिवासी करेंगे."