जयपुर : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को सीएम कार्यालय में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की अहम बैठक हुई. इस बैठक में प्रदेश में मेट्रो रेल परियोजनाओं के विकास व संचालन के लिए संयुक्त उपक्रम, अक्षय और ताप विद्युत परियोजनाओं और विद्युत प्रसारण परियोजनाओं के लिए संयुक्त उपक्रम, इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, संस्कृत शिक्षा विभाग में पदनाम परिवर्तन व चिकित्सा शिक्षा विभाग में सुपर स्पेशियलिटी शिक्षकों की कमी दूर करने से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. वहीं, बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा, उद्योग व वाणिज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल मीडिया से रूबरू हुए. उन्होंने मंत्रिमंडल में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी.
दरअसल, प्रदेश की भजनलाल सरकार ज्वाइंट वेंचर कंपनी के जरिए प्रदेश में मेट्रो परियोजनाओं को गति देने की तैयारी में है. सीएम भजनलाल ने शनिवार को कैबिनेट की बैठक में इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, संस्कृत शिक्षा विभाग में पदनाम परिवर्तन व चिकित्सा शिक्षा विभाग में सुपर स्पेशियलिटी शिक्षकों की कमी दूर करने से जुड़े अहम निर्णय लिए. साथ ही 2027 तक प्रदेश को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर भी निर्णय हुआ.
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मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए संयुक्त उद्यम : उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि मेट्रो रेल नीति 2017 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य के बीच संयुक्त उद्यम (जेवी) कंपनी के गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया. यह संयुक्त उद्यम राजस्थान में वर्तमान में चल रही व भविष्य की मेट्रो रेल परियोजनाओं के विकास, परिचालन और क्रियान्वयन के लिए होगा. दिल्ली मेट्रो, कोच्चि मेट्रो, बेंगलुरू मेट्रो, उत्तर प्रदेश मेट्रो, नोएडा मेट्रो, मध्य प्रदेश मेट्रो, नागपुर मेट्रो आदि लगभग सभी राज्यों में सफलतापूर्वक जेवी का यह मॉडल अपनाया गया है. मेट्रो रेल नीति-2017 के अनुसार इस जेवी को भारत सरकार से मेट्रो परियोजना लागत में वित्तीय सहयोग प्राप्त हो सकेगा. साथ ही राज्य की मेट्रो परियोजनाओं के लिए तकनीकी व प्रशासनिक सहयोग प्राप्त होगा.
कोल इंडिया लिमिटेड और आरवीयूएनएल के बीच संयुक्त उपक्रम : उद्योग व वाणिज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड और आरवीयूएनएल के बीच दो अलग-अलग जेवी की स्थापना की जाएगी. इसमें एक तापीय परियोजना और दूसरी अक्षय ऊर्जा परियोजना होगी. इन जेवी से बिजली की बेस लोड और पीक लोड डिमांड पूरी होगी. साथ ही बिजली उत्पादन में प्रदेश के वित्तीय भार में कमी आएगी.
पहली परियोजना के अंतर्गत कालीसिंध तापीय परियोजना झालावाड़ परिसर में 800 मेगावाट की इकाई या किसी अन्य पीटहैड ग्रीनफील्ड कोयला परियोजना की स्थापना की जाएगी. दूसरी जेवी के तहत दो हजार से ढाई हजार मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना, पंप स्टोरेज परियोजना और पवन ऊर्जा परियोजना की स्थापना की जाएगी. इन परियोजनाओं से 17 हजार 200 से 24 हजार 400 करोड़ रुपए का प्रदेश में निवेश होगा.
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राठौड़ ने बताया कि अक्षय ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी और आरवीयूएनएल के मध्य ज्वाइंट वेंचर बनाई जाएगी. यह उपक्रम 25 हजार मेगावाट की सोलर/विंड/हाइब्रिड एनर्जी सहित नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना करेगा. इसके माध्यम से प्रदेश में एक लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा.
पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन और राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के मध्य ज्वाइंट वेंचर : कर्नल राठौड़ ने बताया कि विद्युत प्रसारण परियोजनाओं की स्थापना के लिए पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के मध्य ज्वाइंट वेंचर कंपनी की स्थापना की जाएगी. इससे राजस्थान में बढ़ती विद्युत लोड मांग की पूर्ति के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली का विकास हो सकेगा.
यह जेवी (निर्माण, स्वामित्व, संचालन एवं रखरखाव) आधार पर ट्रांसमिशन सिस्टम का संचालन करेगी और अपने द्वारा बनाई गई संपूर्ण ट्रांसमिशन क्षमता राजस्थान डिस्कॉम को उपलब्ध करवाएगी. इस जेवी के माध्यम से प्रदेश में 10 हजार करोड़ का निवेश होगा. राठौड़ ने बताया कि जिन राज्य कर्मचारी और पेंशनरों ने आरजीएचएस के अलावा निजी मेडिकल इंश्योरेंस भी ले रखा है, उन्हें अब केन्द्र सरकार/सीजीएचएस के प्रावधानों से क्लेम का भुगतान किया जाएगा.
पहले क्लेम का सेटलमेंट मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा किया जाएगा और इसके उपरांत शेष राशि का क्लेम आरजीएचएस के पेटे से सेटल किया जाएगा, इस निर्णय से आरजीएचएस और निजी मेडिकल इंश्योरेंस दोनों में पंजीकृत कर्मचारियों एवं पेंशनरों के क्लेम सेटलमेंट के संदर्भ में स्पष्टता आएगी.
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अक्षय, तापीय ऊर्जा व प्रसारण परियोजनाओं के लिए ज्वाइंट वेंचर : संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. बीते 10 मार्च, 2024 को राज्य सरकार और विभिन्न केंद्रीय पीएसयू के बीच हुए एमओयू की अनुपालन में मंत्रिमंडल की बैठक में भारत सरकार की विभिन्न पीएसयू के साथ ज्वाइंट वेंचर कंपनियों के गठन के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया.
इन परियोजनाओं में राज्य सरकार की कंपनियों की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत और केंद्रीय पीएसयू कंपनियों की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत रहेगी. इन जेवी कंपनियों में राज्य सरकार की कंपनियों को शेयर होल्डिंग के लिए वर्तमान परिसंपत्तियों से अंश पूंजी की व्यवस्था की जाएगी. संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की और से प्रस्तुत वर्ष 2024-25 के लेखानुदान में प्रसारण निगम में केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट इनविट लाने की घोषणा की गई है.
इसकी अनुपालन में राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड इनविट का गठन करेगा. साथ ही इसे सेबी में पंजीकृत किया जाएगा. आरवीपीएन को इनविट के माध्यम से अपनी परिचालन ट्रांसमिशन परिसंपत्ति के मुद्रीकरण के लिए अधिकृत करने के प्रस्ताव को शनिवार को अनुमोदित किया गया.
चिकित्सा शिक्षा में सुपर स्पेशियलिटी शिक्षकों की कमी होगी दूर : जोगाराम ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजस्थान चिकित्सा सेवा (कॉलेज शिक्षा) नियम 1962 के नियम 7 के उपनियम 1 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया. इसके अंतर्गत राजकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में 1 अप्रैल, 2020 या इसके बाद सुपर स्पेशियलिटी व सब स्पेशियलिटी में नए शुरू होने वाले विभाग में राजस्थान चिकित्सा सेवा (कॉलेज शिक्षा) नियम 1962 के नियम 24 के उपनियम 1 में वर्णित प्रक्रिया के बाद भी आचार्य, सह आचार्य के पद रिक्त रहते हैं तो इन्हें विशेष भर्ती से भरा जा सकेगा. इस निर्णय से राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोगकी और से निर्धारित मापदण्डों की पूर्ति के लिए चिकित्सा शिक्षकों की कमी दूर होगी और सुपर स्पेशियलिटी में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा मिलेगा.
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उन्होंने बताया कि संस्कृत शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा अनुदेशक ग्रेड 2 एवं शारीरिक शिक्षा अनुदेशक ग्रेड 3 का पदनाम अब शिक्षा विभाग की तर्ज पर वरिष्ठ शारीरिक शिक्षा अध्यापक व शारीरिक शिक्षा अध्यापक किया गया. संस्कृत शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा अध्यापक व लाइब्रेरियन ग्रेड 3 की योग्यता शिक्षा विभाग के अनुरूप की जाएगी. इस निर्णय से इन पदों की भर्ती राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड के माध्यम से शिक्षा विभाग की भर्तियों के साथ ही हो सकेगी.
इस प्रकार संस्कृत शिक्षा विभाग में शारीरिक शिक्षा अध्यापक के 179 व लाइब्रेरियन ग्रेड 3 के 48 पदों पर भर्ती का मार्ग प्रशस्त होगा. संस्कृत शिक्षा विभाग में अध्यापक लेवल 1 व लेवल 2 और अध्यापक (सामान्य) लेवल 1 व लेवल 2 के पदों की योग्यता प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अनुरूप की जाएगी.
समान पद के लिए पंचायती राज व शिक्षा विभाग के अनुरूप प्रतियोगी परीक्षा के लिए समान पाठ्यक्रम लागू किया गया है. इन निर्णयों से संस्कृत शिक्षा के इन पदों की भर्ती राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा विभाग की भर्तीयों के साथ ही हो सकेगी. इस प्रकार लगभग 2600 पदों पर भर्ती का मार्ग प्रशस्त होगा.