भदोही : इजराइल-ईरान की जंग में मिसाइलों और बमों के धमाकों की गूंज यूपी के भदोही जिले में सुनाई पड़ रही है. बता दें, यूपी श्रम विभाग की कवायद पर भदोही के आठ लोग नौकरी करने इजराइल गए हैं. ये लोग वहां मेहनत मजदूरी करने गए हैं. इजराइल में युद्ध का समाचार मिलने पर अब इन लोगों के परिजन काफी परेशान हैं. इजराइल में रह रहे लोग अपने परिजनों को वीडियो कॉल कर वहां के हालात बयां कर रहे हैं और आपबीती शेयर कर रहे हैं.
भदोही के ज्ञानपुर बैराखास गांव के रहने वाले सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि उनके भाई अनिल विश्वकर्मा तीन माह पहले इजराइल गए थे. वह कारपेंटर (शटरिंग) का काम करते हैं. वह इस वक्त येरूसलम के समीप एक शहर में रहते हैं. उन्हें 15 दिन की छुट्टी मिली हुई है. अनिल ने फोन पर बताया है कि जंग का खतरा जिस क्षेत्र में बढ़ता है, वहां सायरन बजता है. सरकार की ओर से अलर्ट जारी होता है. अलर्ट जारी होने पर बंकरों में लोग छिप जाते हैं. फिलवक्त हमारे शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर मिसाइलें गिर रही हैं.
भदोही के बैराखास के ही रहने वाले रामसूरत और उनका परिवार भी बेहद चिंतित है. रामसूरत के भाई राममूरत 15 दिन पहले इजराइल गए थे. राममूरत ने वीडियो काॅल कर बताया है कि वहां की परिस्थिति चिंताजनक है. काम नहीं कर रहे हैं. अलर्ट के चलते घर पर ही रहना पड़ रहा है. राममूरत के साथ दो युवक रह रहे हैं. वे सभी पूजा-पाठ करके सकुशल घर वापसी करना चाहते हैं.
भुसौला गांव के रहने वाले अंजीत बिन्द पुत्र शेषमणि 15 मई के बाद इजरायल गए हैं. वह राजमिस्त्री हैं. परिजनों के अनुसार वह इजरायल के सलाम शहर में है. परिवार से लगातार बातचीत होती है. वह बताते हैं कि शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर मिसाइलें गिर रही हैं और बम धमाके हो रहे हैं. हमले से पहले सायरन बजता है. इसके बाद हम सभी आसपास बने बंकरों में छिप जाते हैं. मां जड़ावती देवी और पत्नी कविता समेत सभी परिजन अजीत की सलामती के लिए देवी मां के व्रत रखे हैं.
300 ने किया था आवेदन, गए सिर्फ 08 कामगार : बता दें, कुछ माह पहले इजराइल में बिगड़े हालात के बीच अच्छे बोनस और वेतन का ऑफर मिला था. पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय सीट से सटे कालीन नगरी भदोही के करीब 300 कामगारों ने आवेदन किया था. इसी दौरान गाजापट्टी में विवाद बढ़ गया था. इस कारण कुछ कामगार मेडिकल समेत अन्य कागजात जांच प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए. श्रम प्रवर्तन अधिकारी जेपी सिंह ने बताया कि तीन चरणों में स्क्रीनिंग के कारण भी करीब 250 कामगारों की छंटनी हो गई. 50 कामगार जाने के लिए अंतरिम तौर पर फाइनल हुए, लेकिन बाद में केवल आठ लोग ही इजराइल जा सके.
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