ETV Bharat / state

बैतूल में बेखौफ कोल माफिया, डूल्हारा में पहले करते हैं सुरंगें तैयार फिर निकालते हैं 'काला सोना' - BETUL ILLEGAL COAL MINING

बैतूल में तवा नदी के किनारे 'काले सोने' का 'काला' कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. प्रशासन फिर इन खदानों को बंद कर रहा है.

BETUL ILLEGAL COAL MINING
बैतूल में अवैध कोयला खनन (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 20, 2024, 7:55 PM IST

बैतूल: डूल्हारा गांव में तवा नदी के किनारे बड़ी मात्रा में 'काला सोना' मिलता है. प्रशासन की नाक के नीचे बगैर अनुमति सालों से माफिया इसकी बेहिसाब खुदाई करवाते चले आ रहे हैं. कहा जाए तो गांव की अर्थव्यवस्था इस पर ही टिकी है. काला सोना यानि कोयले को अवैध रूप से यहां निकाला जाता है. गांव के लोग कोल माफिया के लिए काम करते हैं. यहां जमीन की सतह से थोड़ी ही नीचे कोयला मिल जाता है.

सुरंग बनाकर खोदते हैं कोयला खदान

डूल्हारा गांव में ग्रामीण सुरंग बनाकर खदान खोदते हैं. कई बार कुएं जैसी खदान भी खोदते हैं. खदानों के मुहाने ऐसे बनाए जाते हैं कि वो दूर से दिखाई नहीं देते. इन मुहानों से अंदर जाकर वहां तक खुदाई की जाती है जहां तक कि कोयला मिलता है. कई बार इन खदानों में 50 से 100 फीट तक कि सुरंगे बन जाती हैं. जिनमें घुसकर मजदूर कोयला खोदकर निकालते हैं. कुछ जगहों पर गहरे कुएं दिखाई देते हैं जो काफी पुराने हैं लेकिन खतरनाक हैं. इन अवैध कोयला खदानों में हजारों टन कोयला निकाला जा चुका है.

बैतूल में तवा नदी के पास खोदी जाती हैं अवैध कोयला खदानें (ETV Bharat)

जिला प्रशासन कई बार कर चुका खदानें बंद

पिछले कई दशक से ये कोल माफिया जिला प्रशासन के लिए चकमा दे रहे हैं. जिला प्रशासन ने पहले भी कई बार इन खदानों को बंद करने का प्रयास किया था लेकिन कोल माफिया दोबारा इन मुहानों को खोलकर अवैध कोयला खनन शुरू कर देते हैं. ये कोयला बैतूल के पड़ोसी जिलों समेत इंदौर ,भोपाल ,और महाराष्ट्र के शहरों में भी ऊंची कीमत पर बेचा जाता है.

खनिज विभाग ने फिर शुरू की कार्रवाई

अब एक बार फिर कलेक्टर के निर्देश पर खनिज विभाग दल बल के साथ इन खदानों और कुओं के मुहानों को सील करने में जुटा है. जेसीबी की मदद से इन्हें बंद किया जा रहा है. सवाल ये है कि क्या इतने प्रयास काफी होंगे क्योंकि इस इलाके का इतिहास रहा है कि जितनी खदानें प्रशासन बंद करवाता है, उससे ज्यादा खदानों का निर्माण कोल माफिया कर लेते हैं.

बैतूल: डूल्हारा गांव में तवा नदी के किनारे बड़ी मात्रा में 'काला सोना' मिलता है. प्रशासन की नाक के नीचे बगैर अनुमति सालों से माफिया इसकी बेहिसाब खुदाई करवाते चले आ रहे हैं. कहा जाए तो गांव की अर्थव्यवस्था इस पर ही टिकी है. काला सोना यानि कोयले को अवैध रूप से यहां निकाला जाता है. गांव के लोग कोल माफिया के लिए काम करते हैं. यहां जमीन की सतह से थोड़ी ही नीचे कोयला मिल जाता है.

सुरंग बनाकर खोदते हैं कोयला खदान

डूल्हारा गांव में ग्रामीण सुरंग बनाकर खदान खोदते हैं. कई बार कुएं जैसी खदान भी खोदते हैं. खदानों के मुहाने ऐसे बनाए जाते हैं कि वो दूर से दिखाई नहीं देते. इन मुहानों से अंदर जाकर वहां तक खुदाई की जाती है जहां तक कि कोयला मिलता है. कई बार इन खदानों में 50 से 100 फीट तक कि सुरंगे बन जाती हैं. जिनमें घुसकर मजदूर कोयला खोदकर निकालते हैं. कुछ जगहों पर गहरे कुएं दिखाई देते हैं जो काफी पुराने हैं लेकिन खतरनाक हैं. इन अवैध कोयला खदानों में हजारों टन कोयला निकाला जा चुका है.

बैतूल में तवा नदी के पास खोदी जाती हैं अवैध कोयला खदानें (ETV Bharat)

जिला प्रशासन कई बार कर चुका खदानें बंद

पिछले कई दशक से ये कोल माफिया जिला प्रशासन के लिए चकमा दे रहे हैं. जिला प्रशासन ने पहले भी कई बार इन खदानों को बंद करने का प्रयास किया था लेकिन कोल माफिया दोबारा इन मुहानों को खोलकर अवैध कोयला खनन शुरू कर देते हैं. ये कोयला बैतूल के पड़ोसी जिलों समेत इंदौर ,भोपाल ,और महाराष्ट्र के शहरों में भी ऊंची कीमत पर बेचा जाता है.

खनिज विभाग ने फिर शुरू की कार्रवाई

अब एक बार फिर कलेक्टर के निर्देश पर खनिज विभाग दल बल के साथ इन खदानों और कुओं के मुहानों को सील करने में जुटा है. जेसीबी की मदद से इन्हें बंद किया जा रहा है. सवाल ये है कि क्या इतने प्रयास काफी होंगे क्योंकि इस इलाके का इतिहास रहा है कि जितनी खदानें प्रशासन बंद करवाता है, उससे ज्यादा खदानों का निर्माण कोल माफिया कर लेते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.