बैतूल। रेलवे स्टेशन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में ट्रेन, भीड़ कुली और सफर आ जाता है. रेलवे स्टेशन पर शादी हो ऐसा तो ख्याल ही नहीं आता. लेकिन ऐसा हुआ है बैतूल रेलवे स्टेशन पर. दरअसल मध्य प्रदेश के बैतूल में इकलौती महिला कुली की शादी होने वाली है. शादी को लेकर बैतूल रेलवे स्टेशन पर महिला कुली की हल्दी और मेहंदी की रस्में की गई. इस कार्यक्रम में सांसद दुर्गादास उइके, रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ के अलावा समाजसेवी शामिल हुए.
रेलवे स्टेशन पर मेहंदी और हल्दी की रस्में
बैतूल रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में बुधवार की रात महिला कुली दुर्गा बोरकर की शादी को लेकर मेहंदी और हल्दी की रस्म अदा की गईं. वैसे शादी गुरुवार की रात बैतूल में कल्याण केंद्र में होगी. हल्दी मेहंदी के इस कार्यक्रम में सांसद दुर्गादास उइके शामिल हुए और उन्होंने भी दुर्गा को हल्दी लगाई. कार्यक्रम को लेकर रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ में उत्साह देखा गया. कार्यक्रम में समाजसेवी महिलाएं भी शामिल हुई हल्दी और मेहंदी की रस्म अदा होने के बाद महिलाओं ने डांस भी किया.
घर की जिम्मेदारी के लिए बन गई कुली
दरअसल दुर्गा बहुत ही गरीब परिवार की बेटी है. दुर्गा के पिता मुन्नालाल बोरकर बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली थे और उन पर तीन बेटियों की जिम्मेदारी थी. लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के चलते उनका चलना फिरना बंद हो गया. इसके बाद दुर्गा ने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए अपने पिता का काम करने का निर्णय लिया और 2 साल तक रेलवे के चक्कर लगाने के बाद उसे अपने पिता का बिल्ला मिल गया. 2011 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है. दुर्गा बैतूल की एकमात्र महिला खुली है और बहुत ही मेहनती है.
आरपीएफ आरक्षक का सराहनीय काम
अपने काम के प्रति दुर्गा का समर्पण और मेहनत देखकर रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ के लोग हमेशा उसे खुश रहते हैं. दुर्गा की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए आरपीएफ थाने में पदस्थ आरक्षक फराह खान ने एक एएसआई दीपक देशमुख से बात की. तो उन्होंने अपने दोस्त सुरेश भूमरकर जो आठनेर के जामठी गांव के है और पेशे से किसान है, उनसे दुर्गा की शादी जुड़वाने का प्रयास किया और बात भी तय हो गई. 29 फरवरी को रात्रि में बैतूल रेलवे स्टेशन के कल्याण केंद्र में दुर्गा की शादी होगी. शादी का कुछ खर्च आरपीएफ स्टाफ करेगा.
सांसद बोले-महिला सशक्तिकरण की मिसाल है दुर्गा
सांसद दुर्गादास उइके का कहना है कि ''यह सौभाग्य का विषय है कि हमारी दुर्गा बिटिया देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. कुली के रूप में अपने समर्थ के साथ दायित्व निभा रही है और अपने परिवार के उदर पोषण के लिए यह काम कर रही है. यह महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा उदाहरण है.'' वहीं, महिला कुली दुर्गा बोरकर का कहना है कि ''मेरे पिता रेलवे स्टेशन पर खुली थे और उन्होंने बोला कि अब मुझसे काम नहीं होगा. परिवार का कैसे गुजारा होगा मैंने सोचा कि मैं घर का सहारा बनूंगी. मैंने कड़ी मेहनत की और रेलवे अधिकारियों ने मुझे सहारा दिया और पिता का बिल्ला दिलवाया.''
बहुत मेहनती है दुर्गा-आरक्षक फराह
आरपीएफ आरक्षक फराह खान का कहना है कि ''दुर्गा को मैं ढाई साल से जानती हूं और देखती हूं कि बहुत मेहनत करती है. मैंने उसको बोला की दुर्गा मैरिज क्यों नहीं करती हो. उसने कहा परिवार की जिम्मेदारी है लेकिन हम लोगों ने प्रयास किया और रिश्ता देखा दुर्गा तैयार हो गई. और अब उसकी शादी होने जा रही है. जिसको लेकर हम बहुत उत्साहित हैं.''