बेमेतरा : आजादी के 77 साल बीतने को है, लेकिन बेमेतरा जिला के झाझाडीह गांव में अब भी ग्रामीणों को मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. विकास का ढिंढोरा पीटने वाला प्रशासन अब तक झाझाडीह गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं बना पाया है. ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. नल और सौर पैनल केवल शोपीस बने हुए है. गांव में निकासी की सुविधा नहीं होने की वजह से गलियों में कीचड़ भरा पड़ा है.
बरसात के दिनों में चलना होता है दूभर : ग्राम पंचायत मोतिमपुर के आश्रित गांव झाझाडीह जाकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्रामीणों से बातचीत की. गांव के टेकचंद बंजारे ने बताया, "गांव में सड़क नहीं है. बरसात के दिनों में कच्ची सड़कों पर कीचड़ भर जाता है. जिसकी वजह से यहां चलना दूभर हो जाता है. यदि बरसात में कोई बीमार हो जाए तो समय से अस्पताल नहीं ले जा सकते."
"गांव की कीचड़ भरे रास्तों की वजह से इस गांव में एम्बुलेंस भी नहीं आ पाता है. लोगों को खाट में अस्पताल ले जाना पड़ता है. सबसे अधिक परेशानी गर्भवती माताओं को होता है, जिन्हें डिलीवरी कराने ले जाने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है." - सतीश पात्रे, स्थानीय ग्रामीण, झाझाडीह गांव
चुनाव बहिष्कार के बाद भी नहीं हुआ सड़क निर्माण : मूलभूत सुविधाएं, बिजली, पानी, सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों ने हाल ही में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया था. जिसके बाद 6 घंटे के अंदर ही सड़कों में मुरम डालने का काम कराया गया, जब यहां मतदान शुरू हो पाया था. आज मतदान के बाद 1 महीने बीत चुके है, लेकिन न तो कोई अधिकारी कर्मचारी ने गांव की सुध ली और न ही सड़क निर्माण कार्य शुरू हो पाया है.
"सड़क स्वीकृत हो गयी है, जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा." - रणबीर शर्मा, कलेक्टर, बेमेतरा
कलेक्टर ने निर्माण कार्य शुरू करने दिया भरोसा : पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने ग्रामीणों को 8 जून को सड़क निर्माण कार्य शुरू करने लिखित आश्वासन दिया था. साथ ही बेमेतरा कलेक्टर रणबीर शर्मा ने गांव के लिए सकड़ स्वीकृत होने की जानकारी देते हुए जल्द सड़क निर्माण का काम शुरु करने की बात कही है. अब देखना है कि काम शुरु हो भी पाता है या जिला प्रशासन केवल आश्वासन देकर गांववालों को उनके हाल पर ही छोड़ देता है.