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डोडा चूरा नष्टीकरण पर अपनी ही सरकार की खिलाफत में उतरे बेगूं विधायक धाकड़ - Doda Chura Destruction - DODA CHURA DESTRUCTION

राजस्थान में आबकारी आयुक्त की ओर से अफीम किसानों से डोडा चूरा का गत आठ साल का हिसाब मांगा जा रहा है. अब किसान परेशान है कि ​वे इतना पुराना हिसाब कहां से लाएं. किसानों की इस समस्या को लेकर बेगूं विधायक डॉ. सुरेश धाकड़ ने जिला कलक्टर से मुलाकात की और इस आदेश को गलत बताया.

Doda Chura Destruction
डोडा चूरा नष्टीकरण के मामले में बेगूं विधायक ने की कलक्टर से मुलाकात (photo etv bharat chittorgarh)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 2, 2024, 12:52 PM IST

डोडा चूरा नष्टीकरण के मामले में बेगूं विधायक ने की कलक्टर से मुलाकात (photo etv bharat chittorgarh)

चित्तौड़गढ़. डोडा चूरा नष्टीकरण का फरमान भाजपा सरकार के गले की हड्डी बनता दिख रहा है. किसानों के विरोध को देखते हुए पार्टी के जनप्रतिनिधि भी उनके सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं. बेगू से भाजपा विधायक डॉ. सुरेश धाकड़ खुलकर सरकार के इस फैसले के विरोध में आ गए हैं और आबकारी आयुक्त के आदेश को लेकर कड़ी निंदा की है.

अफीम किसानों की मांग को लेकर डॉ. धाकड़ ने जिला कलेक्टर आलोक रंजन से मुलाकात की और उन्हें काश्तकारों की चिंता से अवगत कराया. भाजपा विधायक ने कहा कि आबकारी आयुक्त द्वारा वर्ष 2016 के बाद से अब तक का डोडा चूरा मांगा जा रहा है, जिसकी पूर्ति करना किसानों के लिए मुश्किल है. क्योंकि डोडा चूरा को बारिश के दौरान इतने समय तक सुरक्षित रखना मुश्किल है. बारिश की नमी लगते ही डोडा चूरा खराब होने लगता है.

पढें: चित्तौड़गढ़ पुलिस की बड़ी कार्रवाई, अवैध डोडा चूरा के साथ पंजाब का युवक गिरफ्तार

अब विभाग द्वारा पिछले 7 से 8 साल तक के डोडा चूरा का हिसाब मांगा जा रहा है. इसे मामले में किसानों को एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की बात कह कर डराया जा रहा है, जिससे अफीम किसान चिंतित हैं. किसान डोडा चूरा नष्ट कर चुके. अब वे इतने साल का डोडा चूरा कहां से लाएंगे? विधायक धाकड़ ने आबकारी आयुक्त के आदेश को नासमझी करार देते हुए कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार से परेशान नहीं किया जाना चाहिए. किसानों को डोडा चूरा नष्ट करने संबंधी एक आवेदन देना होगा. उन्होंने कहा कि किसानों की इस पीड़ा को सरकार तक पहुंच कर राहत दिलाने का प्रयास करेंगे.

गौरतलब है कि आबकारी आयुक्त अंशदीप द्वारा यह आदेश जारी किया गया था, जिसमें डोडा चूरा की तुलाई नहीं करवाने पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी. राजस्थान के सात जिलों चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा, झालावाड़ और बारां में नारकोटिक्स ब्यूरो के लाइसेंस के आधार पर अफीम की खेती की जाती है. इन जिलों में सर्वाधिक चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में अफीम की फसल ली जाती है. चित्तौड़गढ़ में सर्वाधिक करीब 18 हजार लाइसेंसी किसान हैं.

डोडा चूरा नष्टीकरण के मामले में बेगूं विधायक ने की कलक्टर से मुलाकात (photo etv bharat chittorgarh)

चित्तौड़गढ़. डोडा चूरा नष्टीकरण का फरमान भाजपा सरकार के गले की हड्डी बनता दिख रहा है. किसानों के विरोध को देखते हुए पार्टी के जनप्रतिनिधि भी उनके सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं. बेगू से भाजपा विधायक डॉ. सुरेश धाकड़ खुलकर सरकार के इस फैसले के विरोध में आ गए हैं और आबकारी आयुक्त के आदेश को लेकर कड़ी निंदा की है.

अफीम किसानों की मांग को लेकर डॉ. धाकड़ ने जिला कलेक्टर आलोक रंजन से मुलाकात की और उन्हें काश्तकारों की चिंता से अवगत कराया. भाजपा विधायक ने कहा कि आबकारी आयुक्त द्वारा वर्ष 2016 के बाद से अब तक का डोडा चूरा मांगा जा रहा है, जिसकी पूर्ति करना किसानों के लिए मुश्किल है. क्योंकि डोडा चूरा को बारिश के दौरान इतने समय तक सुरक्षित रखना मुश्किल है. बारिश की नमी लगते ही डोडा चूरा खराब होने लगता है.

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अब विभाग द्वारा पिछले 7 से 8 साल तक के डोडा चूरा का हिसाब मांगा जा रहा है. इसे मामले में किसानों को एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की बात कह कर डराया जा रहा है, जिससे अफीम किसान चिंतित हैं. किसान डोडा चूरा नष्ट कर चुके. अब वे इतने साल का डोडा चूरा कहां से लाएंगे? विधायक धाकड़ ने आबकारी आयुक्त के आदेश को नासमझी करार देते हुए कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार से परेशान नहीं किया जाना चाहिए. किसानों को डोडा चूरा नष्ट करने संबंधी एक आवेदन देना होगा. उन्होंने कहा कि किसानों की इस पीड़ा को सरकार तक पहुंच कर राहत दिलाने का प्रयास करेंगे.

गौरतलब है कि आबकारी आयुक्त अंशदीप द्वारा यह आदेश जारी किया गया था, जिसमें डोडा चूरा की तुलाई नहीं करवाने पर एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी. राजस्थान के सात जिलों चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा, झालावाड़ और बारां में नारकोटिक्स ब्यूरो के लाइसेंस के आधार पर अफीम की खेती की जाती है. इन जिलों में सर्वाधिक चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में अफीम की फसल ली जाती है. चित्तौड़गढ़ में सर्वाधिक करीब 18 हजार लाइसेंसी किसान हैं.

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