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चटपटा भोजन ढूंढते भालू पहुंचे सरिस्का से 240 किलोमीटर दूर, पीछे-पीछे वन विभाग की टीम पहुंची - Bears travelled away from Sariska

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 26, 2024, 3:34 PM IST

सरिस्का के जंगलों में बाहर से लाए भालुओं का मन नहीं लग रहा. यही कारण है कि वे बार बार जंगल छोड़कर दूसरे क्षेत्र में चले जाते हैं. यहां लाए गए चार भालुओं में से एक भालू चटपटे भोजन की तलाश में करौली के जंगलों में पहुंच गया. अब वन विभाग की टीम उसे लेने गई है.

Bears travelled away from Sariska
चटपटा भोजन ढूंढते भालू पहुंचे सरिस्का से 240 किलोमीटर दूर (PHOTO ETV Bharat Alwar)
सरिस्का के डीएफओ राजेंद्र हुड्डा. (ETV Bharat Alwar)

अलवर: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरिस्का टाइगर रिजर्व में अप्रैल 2023 को भालुओं के दो जोड़ो को जालौर और माउंट आबू से लाया गया था. इन भालुओं को सरिस्का आए एक साल से ज्यादा समय हो गया, लेकिन उन्हें सरिस्का जंगल रास नहीं आ रहा. यही कारण है कि यहां ये भालू जंगल में रहने के बजाय आबादी क्षेत्र में घूम रहे हैं. वन कर्मियों को भालुओं को बार- बार ट्रेंकुलाइज कर वापस सरिस्का लाने की मशक्कत करनी पड़ रही है.

टाइगर रिजर्व सरिस्का में जालौर एवं माउंट आबू से चार भालू लाए गए थे. वर्तमान में इनमें से एक भालू को वन विभाग की टीम ट्रेंकुलाइज कर पहले ही करौली वन में क्षेत्र छोड़ चुकी है. वहीं दूसरा भालू चटपटा भोजन ढूंढते हुए 240 किलोमीटर की दूरी तय कर करौली पहुंच गया. भालू को लगाए गए रेडियो कॉलर से वन विभाग को इसकी जानकारी मिली. इसके बाद वन विभाग की टीम करौली पहुंची.

पढ़ें: विधानसभा में गूंजा सरिस्का में भूमि अतिक्रमण और निःशुल्क बिजली का मुद्दा, नेता प्रतिपक्ष को अतिक्रमी कहने पर बरपा हंगामा

तीन अलग-अलग जगहों पर घूम रहे भालू: सरिस्का के डीएफओ राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि सरिस्का में चार भालुओं का पुनर्वास कराया गया था. वर्तमान में इनमें से एक भालू की लोकेशन सरिस्का अभयारण्य के अजबगढ़ रेंज में है. दूसरे भालू की लोकेशन विराटनगर रेंज के बीलवाड़ी वन क्षेत्र में पाई गई है. डीएफओ हुड्डा ने बताया कि कुछ दिनों पहले तीसरे भालू की लोकेशन हरसोली आबादी क्षेत्र में पाई गई थी. जिसे वन कर्मियों ने ट्रेंकुलाइज कर करौली जिले के कैला देवी वन क्षेत्र में छोड़ाा. चौथा भालू बीलवाडी वन क्षेत्र से दौसा होते हुए करौली के वन क्षेत्र में पहुंच गया. रेडियोकॉलर के जरिए भालू की लोकेशन करौली के वन क्षेत्र में पाई गई है. इसके बाद वन विभाग की टीम भालू की तलाश में करौली पहुंची है.

भालू रात में करते है सफर: राजेंद्र हुड्डा ने कहा कि भालू मूवमेंट करते रहते हैं, कभी वह सरिस्का में विचरण करते हैं, तो कभी सरिस्का के आउटर एरिया में विचरण करते हैं. उन्होंने कहा कि भालुओं का ज्यादातर मूवमेंट रात के समय में होता है. भालू एक रात में करीब 30 से 40 किलोमीटर तय करते हैं.

240 किमी दूर पहुंचा करौली: अलवर से करौली की दूरी करीब 240 किलोमीटर है. भालू सरिस्का से अलवर जिले के समीपवर्ती बीलवाड़ी क्षेत्र से दौसा तक का लंबा सफर तय करते हुए करौली पहुंच गया. जानकारों का कहना है कि भालू के करौली पहुंचने के पीछे सरिस्का में चटपटा भोजन नहीं मिलना है. चटपटा भोजन की तलाश में भालू वन क्षेत्र से बाहर निकाला और लंबा सफर तय करता हुआ करौली पहुंच गया.

यह भी पढ़ें: सरिस्का के जंगल से दूरी बना रहे भालू, वनकर्मी कर रहे बार बार ट्रेंकुलाइज

सरिस्का में बदली खाने की लत: नेचर गाइड लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि सरिस्का आते ही भालुओं को विराटनगर की कुल्फी, तरबूज व अन्य व्यंजन खिलाए गए. इसके चलते उन्हें ऐसे व्यंजनों की लत लग गई. कुछ समय पहले शादी में बचा हुआ खाना भी खाते हुए भालू को देखा गया. इसके चलते उसके मुंह का स्वाद बदल गया. लजीज व्यंजन ढूंढते हुए भालू वन क्षेत्र से बाहर आबादी की तरफ पहुंच गए. राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि भालू का सिग्नल करौली में मिलने के बाद अलवर से वन कर्मियों की टीम को रवाना किया गया. हालांकि, वनकर्मियों की टीम को काफी ढूंढने के बाद भी अभी तक भालू का पता नहीं लग सका है.

सरिस्का के डीएफओ राजेंद्र हुड्डा. (ETV Bharat Alwar)

अलवर: पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरिस्का टाइगर रिजर्व में अप्रैल 2023 को भालुओं के दो जोड़ो को जालौर और माउंट आबू से लाया गया था. इन भालुओं को सरिस्का आए एक साल से ज्यादा समय हो गया, लेकिन उन्हें सरिस्का जंगल रास नहीं आ रहा. यही कारण है कि यहां ये भालू जंगल में रहने के बजाय आबादी क्षेत्र में घूम रहे हैं. वन कर्मियों को भालुओं को बार- बार ट्रेंकुलाइज कर वापस सरिस्का लाने की मशक्कत करनी पड़ रही है.

टाइगर रिजर्व सरिस्का में जालौर एवं माउंट आबू से चार भालू लाए गए थे. वर्तमान में इनमें से एक भालू को वन विभाग की टीम ट्रेंकुलाइज कर पहले ही करौली वन में क्षेत्र छोड़ चुकी है. वहीं दूसरा भालू चटपटा भोजन ढूंढते हुए 240 किलोमीटर की दूरी तय कर करौली पहुंच गया. भालू को लगाए गए रेडियो कॉलर से वन विभाग को इसकी जानकारी मिली. इसके बाद वन विभाग की टीम करौली पहुंची.

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तीन अलग-अलग जगहों पर घूम रहे भालू: सरिस्का के डीएफओ राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि सरिस्का में चार भालुओं का पुनर्वास कराया गया था. वर्तमान में इनमें से एक भालू की लोकेशन सरिस्का अभयारण्य के अजबगढ़ रेंज में है. दूसरे भालू की लोकेशन विराटनगर रेंज के बीलवाड़ी वन क्षेत्र में पाई गई है. डीएफओ हुड्डा ने बताया कि कुछ दिनों पहले तीसरे भालू की लोकेशन हरसोली आबादी क्षेत्र में पाई गई थी. जिसे वन कर्मियों ने ट्रेंकुलाइज कर करौली जिले के कैला देवी वन क्षेत्र में छोड़ाा. चौथा भालू बीलवाडी वन क्षेत्र से दौसा होते हुए करौली के वन क्षेत्र में पहुंच गया. रेडियोकॉलर के जरिए भालू की लोकेशन करौली के वन क्षेत्र में पाई गई है. इसके बाद वन विभाग की टीम भालू की तलाश में करौली पहुंची है.

भालू रात में करते है सफर: राजेंद्र हुड्डा ने कहा कि भालू मूवमेंट करते रहते हैं, कभी वह सरिस्का में विचरण करते हैं, तो कभी सरिस्का के आउटर एरिया में विचरण करते हैं. उन्होंने कहा कि भालुओं का ज्यादातर मूवमेंट रात के समय में होता है. भालू एक रात में करीब 30 से 40 किलोमीटर तय करते हैं.

240 किमी दूर पहुंचा करौली: अलवर से करौली की दूरी करीब 240 किलोमीटर है. भालू सरिस्का से अलवर जिले के समीपवर्ती बीलवाड़ी क्षेत्र से दौसा तक का लंबा सफर तय करते हुए करौली पहुंच गया. जानकारों का कहना है कि भालू के करौली पहुंचने के पीछे सरिस्का में चटपटा भोजन नहीं मिलना है. चटपटा भोजन की तलाश में भालू वन क्षेत्र से बाहर निकाला और लंबा सफर तय करता हुआ करौली पहुंच गया.

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सरिस्का में बदली खाने की लत: नेचर गाइड लोकेश खंडेलवाल ने बताया कि सरिस्का आते ही भालुओं को विराटनगर की कुल्फी, तरबूज व अन्य व्यंजन खिलाए गए. इसके चलते उन्हें ऐसे व्यंजनों की लत लग गई. कुछ समय पहले शादी में बचा हुआ खाना भी खाते हुए भालू को देखा गया. इसके चलते उसके मुंह का स्वाद बदल गया. लजीज व्यंजन ढूंढते हुए भालू वन क्षेत्र से बाहर आबादी की तरफ पहुंच गए. राजेंद्र हुड्डा ने बताया कि भालू का सिग्नल करौली में मिलने के बाद अलवर से वन कर्मियों की टीम को रवाना किया गया. हालांकि, वनकर्मियों की टीम को काफी ढूंढने के बाद भी अभी तक भालू का पता नहीं लग सका है.

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