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माघ पूर्णिमा पर करें दान, प्राप्त होगा दोगुना पुण्य, निसंतान दंपत्ति के लिए है बेहद खास

Magh Purnima 2024: माघ महीने में पड़ने वाले माघी पूर्णिमा को लेकर घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भी उमड़ गई है. आज के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है. इस बार माघ निसंतान दंपत्तियों के लिए बेहद खास है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

माघ पूर्णिमा 2024
माघ पूर्णिमा 2024
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 24, 2024, 10:37 AM IST

पटना: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आज शनिवार को माघ पूर्णिमा 2024 की मौके पर श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने के साथ भगवान से सुख-समृद्धि की कामना करेंगे. इस मौके पर आचार्य ने बताया कि माघी पूर्णिमा शनिवार को मनाई जाएगी. माघ माह की पूर्णिमा तिथि का शुरुआत शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर हो गई है और इसका समापन शनिवार को 6 बजे शाम को होगा.

निसंतान को मिलता है संतान सुख: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि माघी पूर्णिमा को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस दिन नारायण और मां लक्ष्मी की पूजा विधि विधान के साथ किया जाए तो निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है. उनके घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बना रहता है. साल में 12 पूर्णिमा होती है. माघी पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरुप में रहने के कारण सबसे ज्यादा ताकतवर होता है. इस दिन स्नान पूजा पाठ और दान का बहुत ही विशेष महत्व है. जो लोग स्नान करने के बाद दान करते हैं उसका दोगुना फल प्राप्त होता है.

"माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के समय गंगा में स्नान करना चाहिए, जो लोग गंगा नदी में स्नान नहीं कर पाए तो वह शुद्ध जल या तालाब पोखर में भी गंगाजल डालकर स्नान कर इस दिन का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. स्नान के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें और भगवान नारायण लक्ष्मी की पूजा करें. रोली,अक्षत, चंदन फुल चढ़ाकर पूजा करने के बाद कपूर या घी का दीपक जलाकर आरती करें."- मनोज मिश्रा, आचार्य

क्या है इसके पीछे की कहानी: मनोज मिश्रा ने कहा कि माघी पूर्णिमा से पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण रहता था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी को कोई संतान नही थी. एक दिन उसकी पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, उस दौरान उसे तिरस्कार झेलना पड़ा. लोगों ने भिक्षा भी नहीं दिया और बांझ कहकर सभी ने लौटा दिया. ब्राह्मण की पत्नी काफी चिंतित थी तो किसी ने बताया कि 16 दिन तक मां काली की पूजा करो मनोरथ पूर्ण होगी. दंपत्ति ने मां काली की पूजा आराधना शुरू कर दी.

पूर्णिमा से जुड़ी है ये आस्था: बताया जाता है कि 16 दिनों में दंपत्ति ने मां काली को पूजा से प्रसन्न कर दिया और मां काली को प्रकट होना पड़ा. मां काली ने पूछा कि हम तुम्हारी पूजा से खुश हैं, तुम्हें क्या वरदान चाहिए. ब्राह्मण और पत्नी ने मां काली से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा. मां काली वरदान दिया और कहा कि प्रत्येक पूर्णिमा को स्नान कर घी का दीपक जलाओ, तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी. मां काली के आशीर्वाद से दंपति को पुत्र की प्राप्ति हुई.

पढ़ें-माघ महीने की पूर्णिमा तिथि, समारोह आयोजन करने के आज का दिन शुभ

पटना: सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. आज शनिवार को माघ पूर्णिमा 2024 की मौके पर श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने के साथ भगवान से सुख-समृद्धि की कामना करेंगे. इस मौके पर आचार्य ने बताया कि माघी पूर्णिमा शनिवार को मनाई जाएगी. माघ माह की पूर्णिमा तिथि का शुरुआत शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर हो गई है और इसका समापन शनिवार को 6 बजे शाम को होगा.

निसंतान को मिलता है संतान सुख: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि माघी पूर्णिमा को लेकर शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस दिन नारायण और मां लक्ष्मी की पूजा विधि विधान के साथ किया जाए तो निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है. उनके घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बना रहता है. साल में 12 पूर्णिमा होती है. माघी पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरुप में रहने के कारण सबसे ज्यादा ताकतवर होता है. इस दिन स्नान पूजा पाठ और दान का बहुत ही विशेष महत्व है. जो लोग स्नान करने के बाद दान करते हैं उसका दोगुना फल प्राप्त होता है.

"माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के समय गंगा में स्नान करना चाहिए, जो लोग गंगा नदी में स्नान नहीं कर पाए तो वह शुद्ध जल या तालाब पोखर में भी गंगाजल डालकर स्नान कर इस दिन का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. स्नान के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करें और भगवान नारायण लक्ष्मी की पूजा करें. रोली,अक्षत, चंदन फुल चढ़ाकर पूजा करने के बाद कपूर या घी का दीपक जलाकर आरती करें."- मनोज मिश्रा, आचार्य

क्या है इसके पीछे की कहानी: मनोज मिश्रा ने कहा कि माघी पूर्णिमा से पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण रहता था. ब्राह्मण और उसकी पत्नी को कोई संतान नही थी. एक दिन उसकी पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, उस दौरान उसे तिरस्कार झेलना पड़ा. लोगों ने भिक्षा भी नहीं दिया और बांझ कहकर सभी ने लौटा दिया. ब्राह्मण की पत्नी काफी चिंतित थी तो किसी ने बताया कि 16 दिन तक मां काली की पूजा करो मनोरथ पूर्ण होगी. दंपत्ति ने मां काली की पूजा आराधना शुरू कर दी.

पूर्णिमा से जुड़ी है ये आस्था: बताया जाता है कि 16 दिनों में दंपत्ति ने मां काली को पूजा से प्रसन्न कर दिया और मां काली को प्रकट होना पड़ा. मां काली ने पूछा कि हम तुम्हारी पूजा से खुश हैं, तुम्हें क्या वरदान चाहिए. ब्राह्मण और पत्नी ने मां काली से पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा. मां काली वरदान दिया और कहा कि प्रत्येक पूर्णिमा को स्नान कर घी का दीपक जलाओ, तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी. मां काली के आशीर्वाद से दंपति को पुत्र की प्राप्ति हुई.

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