दंतेवाड़ा: दक्षिण बस्तर का ऐतिहासिक और विश्व प्रसिद्ध फागुन मड़ई मेला शुरू हो चुका है. दंतेवाड़ा स्थित मां दंतेश्वरी के मंदिर में शनिवार को विधि-विधान से कलश स्थापना की गई. अब शाम को मां की पहली पालकी निकालने के बाद रात में ताड़ फलंगा धोनी की रस्म निभाई जाएगी. मां की डोली और छत्र निकालने का सिलसिला अब दस दिनों तक जारी रहेगा. फागुन मड़ई मेले के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
जवानों ने की हर्षफायरिंग: बस्तर के प्रसिद्ध फागुन मड़ई मेला में शामिल होने के लिए अलग अलग गांवों से देवी देवताओं के छत्र और लाठ पहुंच रहे हैं. कलश स्थापना रस्म के लिए सुबह माई दंतेश्वरी मंदिर में पुजारी और सेवादार मंदिर परिसर में आए. परंपरागत तरीके से मां दंतेश्वरी के छत्र और लाठ की पूजा हुई. सुबह करीब 11 बजे प्रधान पुजारी, सेवादार और 12 लंकवार मौजूद रहे. मंदिर के प्रवेश द्वार पर 5 पुलिस के जवानों ने हर्षफायर कर सलामी दी. इसके बाद माइजी के छत्र को परंपरा के मुताबिक वाद्य यंत्रों के साथ ढोल बजाते हुए मेडका डोबरा स्थित मावली माता देवी स्थल पर लाया गया.
आदिवासियों की आस्था, परंपरा और श्रद्धा से जुड़े इस ऐतिहासिक पर्व की शुरुआत हो चुकी है. दस दिनों तक ये मेला लगेगा. हर दिन शाम को डोली निकाली जाएगी और आखेट परंपरा का निवर्हन किया जाएगा. कलश स्थापना के दौरान मंदिर के पुजारी, तहसीलदार, सेवादार, मांझी, चालकी, कतियार, तुडपा और समरथ मौजूद रहेंगे. -लोकेन्द्र नाथ जीया, पुजारी
कलश स्थापना के साथ फागुन मड़ई मेले की शुरूआत: मावली माता स्थल पर जवानों ने हर्ष फायर कर मां दंतेश्वरी देवी के छत्र और लट्ठ को सलामी दी. फिर माईजी की छत्र और छड़ी को देवी मंदिर के अंदर लाया गया. यहां विधिवत पूजा अर्चना कर कलश प्रज्ज्वलित की गई. कलश स्थापना के साथ ही दस दिनों तक चलने वाला दक्षिण बस्तर का प्रसिद्ध फाल्गुन मंडई की शुरूआत हो चुकी है. परंपरागत तरीके से शनिवार शाम आमंत्रित देवी-देवताओं के साथ मां दंतेश्वरी मंदिर, बाजा और मोहरी की गूंज के बीच और सेवादारों के जयघोष के साथ मां की पहली डोली निकाली जाएगी.