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बस्तर लोकसभा सीट पर जोरदार होगी इस बार जंग, बीजेपी के महेश कश्यप का होगा कवासी लखमा से सामना

बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला जोरदार होगा. भारतीय जनता पार्टी की ओर से महेश कश्यप मैदान में ताल ठोक रहे हैं. कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी चुनौती देते हुए अपने सबसे दिग्गज सिपहसालार कवासी लखमा को मैदान में उतारा है. कवासी लखमा न सिर्फ आदिवासियों के बड़े नेता है बल्कि बस्तर में उनकी पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है.

Bastar Lok Sabha seat
बस्तर लोकसभा सीट
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 10, 2024, 9:23 PM IST

Updated : Apr 16, 2024, 11:53 AM IST

बस्तर: बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला होगा. बीजेपी ने जमीन कार्यकर्ता से नेता बने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है. महेश कश्यप की आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ रही है. कार्यकर्ता से नेता बनने तक का सफर तय करने वाले महेश कश्यप एक जुझारु नेता के तौर पर जाने जाते हैं. महेश कश्यप को काउंटर करने के लिए कांग्रेस ने भी अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया है. पार्टी आलाकमान ने यहां से कवासी लखमा को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. कवासी लखमा जमीन नेता होने के साथ साथ आदिवासियों के बीच भी अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं.

आदिवासी वर्ग की संख्या अधिक: साल 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1996 तक यह कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है. हालांकि साल 1996 में पहली बार यहां की जनता ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को चुना. यह सीट 1998 से बीजेपी के पास है. पिछले दो दशक से लगातार कश्यप परिवार के लोग यहां से जीतते आ रहे हैं. यहां की कुल आबादी करीब 22 लाख है. यह आदिवासी बहुल है और यहां की करीब 65 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. आठ विधानसभा सीटें इस सीट के अंतर्गत पड़ती है. इनमें बीजापुर और कोंटा विधानसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित बस्तरवासी: अगर समस्याओं की बात करें तो इस क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाओं की कमी है. सड़क, पानी, बिजली की समस्याएं यहां आम है. इसके अलावा कई क्षेत्र पहुंचविहीन है. लोगों तक शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाना जनप्रतिनिधियों के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि अधिकतर क्षेत्रों में नक्सलियों का दबदबा है. हालांकि अब पहले से कुछ सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी बस्तर लोकसभा क्षेत्र का कई हिस्सा नक्सलियों का दंश झेल रहा है. यहां रहने वाले ग्रामीणों का जीवन जंगल पर ही आधारित है. इन लोगों के जीवन से विकास कोसों दूर है. शिक्षा तो दूर की बात है, इन्हें बिजली, सड़क और पेयजल के लिए भी काफी जद्दोजहद करना पड़ता है. हालांकि ये लोकतंत्र के महापर्व में अपना योगदान देते हैं.

एक नजर साल 1999 से 2009 के लोकसभा चुनाव पर: साल 1999 के लोकसभा चुनाव में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 954405 मतदाता थे. कुल वोटों की संख्या 356603 थी. इस सीट से बीजेपी नेता बलिराम कश्यप ने जीत दर्ज की. बलिराम कश्यप को कुल 155421 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र कर्मा को 134684 वोट मिले थे. वहीं, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 1039442 मतदाता थे. इस सीट से एक बार फिर बीजेपी नेता बलिराम कश्यप ने जीत दर्ज की. उन्हें कुल 212893 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र कर्मा को हार का सामना करना पड़ा. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 1193116 वोटरों ने अपने मत का प्रयोग किया था. इस सीट पर इस बार भी बीजेपी उम्मीदवार बलिराम कश्यप को 249373 वोटों से जीत हासिल हुई. वहीं, कांग्रेस के शंकर सोढी को हार का सामना करना पड़ा.

Voting percentage of Bastar in last Lok Sabha election
पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर का मतदान प्रतिशत

एक नजर साल 2014 से 2019 के लोकसभा चुनाव पर: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बस्तर क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1298083 थी. इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार दिनेश कश्यप को 385829 वोटों से जीत मिली. हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार दीपक कर्मा हार गए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में वोटरों की संख्या 1379122 थी. हालांकि इस सीट पर इस बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. कांग्रेस उम्मीदवार दीपक बैज ने 402527 वोटों से जीत हासिल की. जबकि बीजेपी उम्मीदवार बैदु राम कश्यप को हार का सामना करना पड़ा. बताया जा रहा है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा क्षेत्र में कुल 41667 नोटा वोट पड़े थे.

Electoral history of Bastar Lok Sabha seat
बस्तर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

बस्तर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास:

  • साल 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा ने इस सीट पर जीत हासिल की.
  • साल 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार सुरति किस्तैया ने जीत दर्ज की.
  • साल 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार लखमु भवानी जीते.
  • साल 1967 में निर्दलीय उम्मीदवार जे सुंदरलाल को मिली जीत.
  • साल 1971 में निर्दलीय उम्मीदवार लंबोदर बलियार ने जीत हासिल की.
  • साल 1977 में बीएलडी उम्मीदवार द्रिगपाल शाह केशरी शाह ने जीत हासिल की थी.
  • साल 1980 में कांग्रेस से लक्ष्मण कर्मा ने जीत हासिल की.
  • साल 1984 में कांग्रेस से मनकुरम सोढ़ी ने जीत दर्ज की.
  • साल 1989 में कांग्रेस से मनकुरम सोढ़ी ने जीत हासिल की.
  • साल 1991 में कांग्रेस के मनकुरम सोढ़ी जीते.
  • साल 1996 में कांग्रेस के महेन्द्र कर्मा ने जीत हासिल की.
  • साल 1998 में बीजेपी के बलिराम कश्यप ने जीत हासिल की.
  • साल 1999 में बीजेपी से बलिराम कश्यप को जीत मिली
  • साल 2004 में भी बीजेपी से बलिराम कश्यप को जीत मिली.
  • साल 2009 में बीजेपी के बलिराम कश्यप को जीत मिली.
  • साल 2014 में बीजेपी के दिनेश कश्यप को जीत मिली.
  • साल 2019 में कांग्रेस से दीपक बैज को जीत मिली.

पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर का मतदान प्रतिशत

  • साल 2004 लोकसभा चुनाव में 43.33 फीसद मतदान
  • साल 2009 लोकसभा चुनाव में 47.34फीसद मतदान
  • साल 2014 लोकसभा चुनाव में 59.32 फीसद मतदान
  • साल 2019 लोकसभा चुनाव में 66.19 फीसद मतदान

बस्तर लोकसभा सीट पर जीत हार के पिछले आंकड़ों पर अगर हम गौर करें तो लगातार इस सीट पर पिछले कुछ सालों से बीजेपी जीत दर्ज करती आ रही थी. हालांकि साल 2019 में कांग्रेस के दीपक बैज को जीत मिली है. हालांकि इस बार दीपक बैज को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में ये सीट फिर से जीतना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्य में बीजेपी सत्ता में है.

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बस्तर: बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार कांटे का मुकाबला होगा. बीजेपी ने जमीन कार्यकर्ता से नेता बने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है. महेश कश्यप की आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ रही है. कार्यकर्ता से नेता बनने तक का सफर तय करने वाले महेश कश्यप एक जुझारु नेता के तौर पर जाने जाते हैं. महेश कश्यप को काउंटर करने के लिए कांग्रेस ने भी अपना सबसे बड़ा दांव खेल दिया है. पार्टी आलाकमान ने यहां से कवासी लखमा को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है. कवासी लखमा जमीन नेता होने के साथ साथ आदिवासियों के बीच भी अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं.

आदिवासी वर्ग की संख्या अधिक: साल 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1996 तक यह कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है. हालांकि साल 1996 में पहली बार यहां की जनता ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को चुना. यह सीट 1998 से बीजेपी के पास है. पिछले दो दशक से लगातार कश्यप परिवार के लोग यहां से जीतते आ रहे हैं. यहां की कुल आबादी करीब 22 लाख है. यह आदिवासी बहुल है और यहां की करीब 65 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. आठ विधानसभा सीटें इस सीट के अंतर्गत पड़ती है. इनमें बीजापुर और कोंटा विधानसभा सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है.

मूलभूत सुविधाओं से वंचित बस्तरवासी: अगर समस्याओं की बात करें तो इस क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाओं की कमी है. सड़क, पानी, बिजली की समस्याएं यहां आम है. इसके अलावा कई क्षेत्र पहुंचविहीन है. लोगों तक शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाना जनप्रतिनिधियों के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि अधिकतर क्षेत्रों में नक्सलियों का दबदबा है. हालांकि अब पहले से कुछ सुधार हुआ है, लेकिन फिर भी बस्तर लोकसभा क्षेत्र का कई हिस्सा नक्सलियों का दंश झेल रहा है. यहां रहने वाले ग्रामीणों का जीवन जंगल पर ही आधारित है. इन लोगों के जीवन से विकास कोसों दूर है. शिक्षा तो दूर की बात है, इन्हें बिजली, सड़क और पेयजल के लिए भी काफी जद्दोजहद करना पड़ता है. हालांकि ये लोकतंत्र के महापर्व में अपना योगदान देते हैं.

एक नजर साल 1999 से 2009 के लोकसभा चुनाव पर: साल 1999 के लोकसभा चुनाव में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 954405 मतदाता थे. कुल वोटों की संख्या 356603 थी. इस सीट से बीजेपी नेता बलिराम कश्यप ने जीत दर्ज की. बलिराम कश्यप को कुल 155421 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस के उम्मीदवार महेंद्र कर्मा को 134684 वोट मिले थे. वहीं, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 1039442 मतदाता थे. इस सीट से एक बार फिर बीजेपी नेता बलिराम कश्यप ने जीत दर्ज की. उन्हें कुल 212893 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र कर्मा को हार का सामना करना पड़ा. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 1193116 वोटरों ने अपने मत का प्रयोग किया था. इस सीट पर इस बार भी बीजेपी उम्मीदवार बलिराम कश्यप को 249373 वोटों से जीत हासिल हुई. वहीं, कांग्रेस के शंकर सोढी को हार का सामना करना पड़ा.

Voting percentage of Bastar in last Lok Sabha election
पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर का मतदान प्रतिशत

एक नजर साल 2014 से 2019 के लोकसभा चुनाव पर: साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बस्तर क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 1298083 थी. इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार दिनेश कश्यप को 385829 वोटों से जीत मिली. हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार दीपक कर्मा हार गए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में वोटरों की संख्या 1379122 थी. हालांकि इस सीट पर इस बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. कांग्रेस उम्मीदवार दीपक बैज ने 402527 वोटों से जीत हासिल की. जबकि बीजेपी उम्मीदवार बैदु राम कश्यप को हार का सामना करना पड़ा. बताया जा रहा है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्तर लोकसभा क्षेत्र में कुल 41667 नोटा वोट पड़े थे.

Electoral history of Bastar Lok Sabha seat
बस्तर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

बस्तर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास:

  • साल 1952 में निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा ने इस सीट पर जीत हासिल की.
  • साल 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार सुरति किस्तैया ने जीत दर्ज की.
  • साल 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार लखमु भवानी जीते.
  • साल 1967 में निर्दलीय उम्मीदवार जे सुंदरलाल को मिली जीत.
  • साल 1971 में निर्दलीय उम्मीदवार लंबोदर बलियार ने जीत हासिल की.
  • साल 1977 में बीएलडी उम्मीदवार द्रिगपाल शाह केशरी शाह ने जीत हासिल की थी.
  • साल 1980 में कांग्रेस से लक्ष्मण कर्मा ने जीत हासिल की.
  • साल 1984 में कांग्रेस से मनकुरम सोढ़ी ने जीत दर्ज की.
  • साल 1989 में कांग्रेस से मनकुरम सोढ़ी ने जीत हासिल की.
  • साल 1991 में कांग्रेस के मनकुरम सोढ़ी जीते.
  • साल 1996 में कांग्रेस के महेन्द्र कर्मा ने जीत हासिल की.
  • साल 1998 में बीजेपी के बलिराम कश्यप ने जीत हासिल की.
  • साल 1999 में बीजेपी से बलिराम कश्यप को जीत मिली
  • साल 2004 में भी बीजेपी से बलिराम कश्यप को जीत मिली.
  • साल 2009 में बीजेपी के बलिराम कश्यप को जीत मिली.
  • साल 2014 में बीजेपी के दिनेश कश्यप को जीत मिली.
  • साल 2019 में कांग्रेस से दीपक बैज को जीत मिली.

पिछले लोकसभा चुनाव में बस्तर का मतदान प्रतिशत

  • साल 2004 लोकसभा चुनाव में 43.33 फीसद मतदान
  • साल 2009 लोकसभा चुनाव में 47.34फीसद मतदान
  • साल 2014 लोकसभा चुनाव में 59.32 फीसद मतदान
  • साल 2019 लोकसभा चुनाव में 66.19 फीसद मतदान

बस्तर लोकसभा सीट पर जीत हार के पिछले आंकड़ों पर अगर हम गौर करें तो लगातार इस सीट पर पिछले कुछ सालों से बीजेपी जीत दर्ज करती आ रही थी. हालांकि साल 2019 में कांग्रेस के दीपक बैज को जीत मिली है. हालांकि इस बार दीपक बैज को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में ये सीट फिर से जीतना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्य में बीजेपी सत्ता में है.

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Last Updated : Apr 16, 2024, 11:53 AM IST
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