कुल्लू: सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष उल्लेख है. बसंत पंचमी का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती के सम्मान में मनाया जाता है. इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा आराधना की जाती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा लेकर श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थी और बसंत पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. वही बसंत पंचमी से ही सर्दी की ऋतु खत्म होती है और बसंत से ही आगामी त्योहारों की शुरुआत होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस साल 13 फरवरी को दोपहर 2:41 मिनट पर पंचमी तिथि शुरू हो रही है. इसका समापन 14 फरवरी को दोपहर 12:35 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 14 जनवरी को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. बसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 14 फरवरी को सुबह 7:01 से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा.
आचार्य दीप कुमार शर्मा का कहना है कि श्रद्धालु बसंत पंचमी के दिन सफेद या पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा करें. मां सरस्वती की पूजा में गेंदे के फूल की माला चढ़ाएं और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं. इसके अलावा छात्र भी मां सरस्वती की वंदना करें. ताकि उन्हें विद्या और ज्ञान की प्राप्ति हो सके.
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