हल्द्वानी/ बागेश्ववर/विकासनगर: देशभर में आज हर्षोल्लास के साथ बसंत पंचमी का पर्व मनाया गया. देश के कोने कोने में सरस्वती पूजन के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किये गये. देवभूमि उत्तराखंड में भी बसंत पंचमी के मौके पर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया.हल्द्वानी में बसंत पंचमी के मौके पर अच्छे संस्कार के लिए सामूहिक रूप से 500 से अधिक बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार करवाया गया. वहीं, जौनसार बावर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर पूजा अर्चना की गई .इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर माथा टेका.
हल्द्वानी में यज्ञोपवीत संस्कार: सनातन हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से एक ‘उपनयन संस्कार’ के अंतर्गत ही जनेऊ पहना जाता है. जिसे ‘यज्ञोपवीत संस्कार’ कहते हैं. बसंत पंचमी के अवसर पर हल्द्वानी के हल्दूचौड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ में सैकड़ों बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार जनेऊ और मुंडन संस्कार किया गया. मानता है कि बसंत पंचमी के दिन बिना किसी मुहूर्त के यज्ञोपवीत संस्कार और विवाह करने की मान्यता है. हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में यज्ञोपवीत संस्कार सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.हल्दूचौड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ में सामूहिक जनेऊ कार्यक्रम में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग यहां पहुंचे. हल्दूचौड़ स्थित गायत्री शक्तिपीठ के प्रबंधक बसंत पांडे ने बताया मकर संक्रांति और बसंत पंचमी के मौके पर सामूहिक रूप से यहां यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है.आज बसंत पंचमी के मौके पर 500 से अधिक बटुकों का विधि विधान के साथ यज्ञोपवीत संस्कार किया गया है.
सरयू तट पर हुए चूड़ाकर्म और जनेऊ संस्कार: बागेश्वर जिले में बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. महिलाओं और बच्चों ने ऋतुराज का पीले वस्त्र धारण कर स्वागत किया. घर-घर में ज्ञान की देवी सरस्वती माता की पूजा अर्चना की गई. लोगों ने अपने आराध्यों को जौं के पौधे अर्पित कर एक दूसरे के सिर पर रखा. बसंत पंचमी पर्व पर पवित्र सूरजकुंड स्थित सरयू के तट किनारे बच्चों के चूड़ाकर्म और जनेऊ संस्कार हुये. शास्त्रों के अनुसार इस दिन वाद्य यंत्रों और किताबों की पूजा करने के सांथ ही छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है. उन्हें किताबें भी भेंट की जाती हैं. हिंदू मान्यताओ के अनुसार इस दिन को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है.
चालदा महासू के किये दर्शन: जौनसार बावर के आराध्य माने जाने वाले चार महासू देवताओं के प्रति जौनसार बावर हिमाचल गढ़वाल सहित अन्य लोगों की अटूट आस्था है. बसंत पंचमी के अवसर पर महासू मंदिरों मे दिनभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं ने देव दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की. दसऊ गांव मे इन दिनों चालदा महासू अपने लगभग दो साल के प्रवास पर पर हैं. बसंत पंचमी पर देव दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु दसऊ गांव पहुंचे. जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र सहित हिमाचल, गढ़वाल आदि क्षेत्रों के लोगों की आस्था चालदा महासू देवता से जुड़ी है. बसंत पंचमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु देव दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. दसऊ सहित महासू मंदिरों में देवता के ढंडवारियों द्वारा देव स्तुति कर नृत्य गायन किया गया