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बड़वानी के इस गांव के 150 बच्चों का भविष्य चौपट, वजह- हादसा या अंधविश्वास

बड़वानी के खेड़ी फलिया गांव में एक नाले में हुए हादसे के बाद पैरेंट्स ने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है.

Barwani children leave school
इस नाले के भय के कारण बच्चों ने स्कूल जाना बंद किया (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

बड़वानी : जिले के देवगढ़ ग्राम पंचायत के खेड़ी फलिया गांव के बच्चे स्कूल नहीं जाते. इनके पैरेंट्स ने स्कूल नहीं भेजने का निर्णय लिया है. इसका कारण ये है कि स्कूल के रास्ते में एक नाला पड़ता है. कुछ साल पहले स्कूल जाने के दौरान इस नाले में एक बच्चे की डूबने से मौत हो गई थी. इसके बाद गांव के आदिवासी इतने भयभीत हो गए कि उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई ही छुड़वा दी. ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव में ही स्कूल बन जाए तो वह अपने बच्चों को पढ़ाएंगे.

कुछ साल पहले नाले में बह गए थे दो बच्चे

दरअसल, कुछ साल पहले स्कूल जाते समय दो बच्चों के बह जाने के बाद ग्रामीणों में भय बैठ गया है. बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया और वे अब गिल्ली-डंडे जैसे खेल खेलकर समय काट रहे हैं. कई बच्चे अपने घर के मवेशी चरा रहे हैं. देवगढ़ ग्राम पंचायत के खेड़ी फलिया के लोगों की मांग है कि गांव में ही स्कूल खुल जाए तो बच्चों को पढ़ाएंगे. खेडी फलिया में लगभग 40 परिवार रहते हैं. यहां 1 साल से 12 साल के बच्चों की संख्या लगभग 150 के आसपास है. ये बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. हालांकि फलिया में 'स्कूल चलो अभियान' के तहत पैरेंट्स को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन लोगों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है.

बड़वानी के खेड़ी फलिया गांव के पैरेंट्स ने बच्चों को स्कूल भेजना किया बंद (ETV BHARAT)

गांव में भी स्कूल खोलने का प्रस्ताव भेजा

इस मामले में जिला परियोजना समन्वयक प्रमोद शर्मा का कहना है "हमने स्कूल का प्रस्ताव बनाकर भेजा है. अगर ग्राम में ही स्कूल बनाने की अनुमति मिल जाएगी तो हम प्रतिबद्ध हैं कि बच्चों को शिक्षित किया जाएगा." वहीं, राज्यसभा सदस्य डॉ.सुमेर सिंह सोलंकी का कहना है "प्रत्येक बच्चे के लिए स्कूली शिक्षा बहुत जरूरी है. खेड़ी फलिया में बच्चों का स्कूल नहीं जाना चिंतित करने वाला है. स्कूल और गांव के बीच में एक नाला बहता है. उस नाले पर पुलिया बनाने के साथ ही फलिया में स्कूल बनाने का प्रयास करेंगे."

Barwani children leave school
स्कूल बंद होने के बाद बच्चे खेलकर समय बिताते हैं (ETV BHARAT)

बड़वानी जिले के कई गांवों में प्राथमिक स्कूल नहीं

वहीं, इस मामले में बड़वानी विधायक राजन मंडलोई का कहना है "कई गांव पहाड़ी इलाके में हैं. वहां संपर्क साधन भी नहीं हैं. खेड़ी फलिया में निश्चित तौर पर प्राथमिक स्कूल नहीं होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे. शासन के निर्देश हैं कि 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर प्राथमिक शाला होना चाहिए लेकिन वहां पर नहीं है. कई ऐसे गांव हैं. चेर्वी पंचायत के एक गांव में भी स्कूल नहीं है. ऐसे कई गांव हैं, जहां पर स्कूल नहीं बने हैंं. कई जगहों पर स्कूल है तो वहां पर टीचर नहीं है. मैंने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था."

बड़वानी : जिले के देवगढ़ ग्राम पंचायत के खेड़ी फलिया गांव के बच्चे स्कूल नहीं जाते. इनके पैरेंट्स ने स्कूल नहीं भेजने का निर्णय लिया है. इसका कारण ये है कि स्कूल के रास्ते में एक नाला पड़ता है. कुछ साल पहले स्कूल जाने के दौरान इस नाले में एक बच्चे की डूबने से मौत हो गई थी. इसके बाद गांव के आदिवासी इतने भयभीत हो गए कि उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई ही छुड़वा दी. ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव में ही स्कूल बन जाए तो वह अपने बच्चों को पढ़ाएंगे.

कुछ साल पहले नाले में बह गए थे दो बच्चे

दरअसल, कुछ साल पहले स्कूल जाते समय दो बच्चों के बह जाने के बाद ग्रामीणों में भय बैठ गया है. बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया और वे अब गिल्ली-डंडे जैसे खेल खेलकर समय काट रहे हैं. कई बच्चे अपने घर के मवेशी चरा रहे हैं. देवगढ़ ग्राम पंचायत के खेड़ी फलिया के लोगों की मांग है कि गांव में ही स्कूल खुल जाए तो बच्चों को पढ़ाएंगे. खेडी फलिया में लगभग 40 परिवार रहते हैं. यहां 1 साल से 12 साल के बच्चों की संख्या लगभग 150 के आसपास है. ये बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. हालांकि फलिया में 'स्कूल चलो अभियान' के तहत पैरेंट्स को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन लोगों पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है.

बड़वानी के खेड़ी फलिया गांव के पैरेंट्स ने बच्चों को स्कूल भेजना किया बंद (ETV BHARAT)

गांव में भी स्कूल खोलने का प्रस्ताव भेजा

इस मामले में जिला परियोजना समन्वयक प्रमोद शर्मा का कहना है "हमने स्कूल का प्रस्ताव बनाकर भेजा है. अगर ग्राम में ही स्कूल बनाने की अनुमति मिल जाएगी तो हम प्रतिबद्ध हैं कि बच्चों को शिक्षित किया जाएगा." वहीं, राज्यसभा सदस्य डॉ.सुमेर सिंह सोलंकी का कहना है "प्रत्येक बच्चे के लिए स्कूली शिक्षा बहुत जरूरी है. खेड़ी फलिया में बच्चों का स्कूल नहीं जाना चिंतित करने वाला है. स्कूल और गांव के बीच में एक नाला बहता है. उस नाले पर पुलिया बनाने के साथ ही फलिया में स्कूल बनाने का प्रयास करेंगे."

Barwani children leave school
स्कूल बंद होने के बाद बच्चे खेलकर समय बिताते हैं (ETV BHARAT)

बड़वानी जिले के कई गांवों में प्राथमिक स्कूल नहीं

वहीं, इस मामले में बड़वानी विधायक राजन मंडलोई का कहना है "कई गांव पहाड़ी इलाके में हैं. वहां संपर्क साधन भी नहीं हैं. खेड़ी फलिया में निश्चित तौर पर प्राथमिक स्कूल नहीं होने की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे. शासन के निर्देश हैं कि 5 किलोमीटर के दायरे के अंदर प्राथमिक शाला होना चाहिए लेकिन वहां पर नहीं है. कई ऐसे गांव हैं. चेर्वी पंचायत के एक गांव में भी स्कूल नहीं है. ऐसे कई गांव हैं, जहां पर स्कूल नहीं बने हैंं. कई जगहों पर स्कूल है तो वहां पर टीचर नहीं है. मैंने इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाया था."

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