बाराबंकी: 12 वर्ष पहले हत्या के मामले में बाराबंकी कोर्ट ने दो सगे भाइयों समेत तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ ही प्रत्येक को 25-25 हजार का जुर्माना भी लगाया. इनमें एक दोषी वर्तमान में नगर पालिका परिषद बाराबंकी के एक वार्ड का सभासद भी है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-2 अनिल कुमार शुक्ल ने शनिवार को सुनाया.
एडीजीसी रमाकांत द्विवेदी ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि नगर कोतवाली के कटरा बारादरी निवासी हसन मोहम्मद का भतीजा सुहैल अहमद 04 मई 2012 की रात घर से यह कहकर निकला कि 10 मिनट में वापस आएगा. लेकिन, जब वह कई घंटे तक वापस नहीं आया, तो परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की. अगले दिन परिजन दर्पण पुलिस चौकी पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि सुहैल का शव देवां थाने के मामा नहर पुलिया किनारे पड़ा है.
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वादी ने 05 मई 2012 को देवां थाने में तहरीर देकर बताया कि उसके भतीजे सुहैल अहमद की हत्या गोली मारकर की गई थी. शव को नहर के किनारे फेंक दिया था. पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की थी. तत्कालीन विवेचक एमएम खान ने इसकी विवेचना शुरू की, तो इरफान उर्फ बाबू पुत्र साबिर राइन, इरशाद पुत्र अशफाक और दिलशाद पुत्र अशफाक के नाम प्रकाश में आये. इन तीनों के विरुद्ध आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया.
विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों से साक्ष्य संकलित करते हुए चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई. मामले में अभियोजन ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्षियों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ल ने इरफान उर्फ बाबू, इरशाद और दिलशाद तीनों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसमें इरफान उर्फ बाबू वर्तमान में नगरपालिका परिषद बाराबंकी में कटरा बारादरी वार्ड से सभासद है.