डूंगरपुर. जनजाति बाहुल्य बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला रोचक होने जा रहा है. यहां भाजपा की ओर से कभी कांग्रेस के कदृावर नेता रहे महेन्द्रजीत सिंह मालवीय है तो भारत आदिवासी पार्टी(बाप) से दो बार विधायक रह चुके राजकुमार रोत मैदान में है. कांग्रेस के बैनर पर भी प्रत्याशी है, लेकिन उसे कांग्रेस का समर्थन नहीं है. इसलिए मुख्य मुकाबला भाजपा और बाप पार्टी में है. चूंकि यह सीट आदिवासी बाहुल्य है, इसलिए आदिवासी जिस दल के साथ होंगे, जीत का सेहरा भी उसी दल के प्रत्याशी के सिर बंधेगा.
इस सीट पर 70 फीसदी वोटर एसटी है, जबकि 30 फीसदी वोटर में ओबीसी, सामान्य,एससी और अल्पसंख्यक सहित अन्य वोटर्स है. राजनीतिक लिहाज से इस क्षेत्र कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती थी, क्योंकि यहां के आदिवासी कांग्रेस का वोट बैंक माने जाते थे, लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनाव में देखने में आया कि आदिवासी वोट कांग्रेस से छिटक कर भाजपा की तरफ गया और दो बार भाजपा के सांसद जीत कर लोकसभा गए.
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14 लाख वोटर एसटी के : बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर कुल 22 लाख के करीब वोटर है. इसमें से करीब 14 लाख 85 हजार वोटर एसटी, करीब 3 लाख 17 हजार वोटर ओबीसी, एक लाख 67 हजार के करीब वोटर सामान्य, 80 हजार वोटर एससी और अन्य वर्ग के वोटर्स है. ऐसे में एसटी वोटर्स की संख्या ज्यादा होने से इस सीट पर एसटी वोटर जिस दल की और जाता है उसकी जीत निश्चित मानी जाती है.
विधानसभा चुनाव के बाद बदली गणित: डूंगरपुर व बांसवाडा जिलों में कुछ समय पहले बनी भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने भाजपा व कांग्रेस की दोनों जिलो में चुनावी गणित बिगाड़ दी है. बीएपी की बांसवाडा-डूंगरपुर जिलों में मौजूदगी से दोनों जिलो के एसटी वोटर कांग्रेस व भाजपा से छिटका है. आदिवासी समाज के नाम से मैदान में आई बीएपी के प्रति अपना विश्वास जता रहे है. विधानसभा चुनाव में बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट में शामिल 8 विधानसभा सीट में से एक सीट चौरासी पर बीएपी ने करीब 69 हजार मतों से जीत दर्ज की थी जो कि पूरे प्रदेश में बड़े अंतर से जीत वाली दूसरी सीट थी. इसके अलावा डूंगरपुर, सागवाडा, घाटोल और बागीदौरा विधानसभा सीट पर बीएपी दूसरे स्थान पर रही थी. विधानसभा चुनाव में इन 8 सीटों पर कांग्रेस ने 33.50 फीसदी, भाजपा ने 29.93 फीसदी और बीएपी ने 27.66 फीसदी वोट हासिल किए थे.
इस बार आसान नहीं होगी भाजपा की राह: बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालविया चुनावी मैदान में है तो वहीं भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) से चौरासी से दो बार लगातार जीत दर्ज करने वाले राजकुमार रोत चुनाव लड़ रहे है. कांग्रेस ने अंतिम समय में अरविन्द डामोर से नामांकन जरुर भरवाया था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने बीएपी से गठबंधन से घोषणा की थी लेकिन अरविन्द डामोर ने नामांकन नहीं उठाया था. हालांकि भाजपा व बीएपी के नेता जनजाति वर्ग के अपने साथ होने व जीत के दावे कर रहे है. बहरहाल बांसवाड़ा - डूंगरपुर में गर्मी के साथ राजनीति का पारा भी चढ़ रहा है. उम्मीदवार आदिवासी वोटर्स के साथ अन्य वोटर्स को रिझाने में लगे है. लेकिन इस बार आदिवासी वोटर्स किस दल के साथ जाएगा और किस दल के प्रत्याशी को जीत का ताज पहनायेगा ये आने वाला वक्त ही बताएगा.