शिमला: बैंक के दो अधिकारियों ने गजब की हेराफेरी को अंजाम दिया है. बैंक कर्मियों ने निष्क्रिय खाते से 2 लाख से अधिक की राशि हड़प ली, जबकि खाताधारक की 32 साल पहले ही मौत हो चुकी है. बैंक के प्रबंधक (प्रशासन व सेवा) और विशेष सहायक ने आपसी सांठ-गांठ से निष्क्रिय खाते को एक्टिव कर ये जालसाजी की है. ये पूरा मामला राजधानी शिमला के मॉल रोड पर स्थित बैंक ऑफ इंडिया का है.
मामले का खुलासा तब हुआ, जब बैंक के उद्यम धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली ने लेनदेन पर जांच बिठाई. जानकारी के मुताबिक बैंक के खाताधारक की मृत्यु 1992 में हो गई थी. लंबे समय तक खाते से लेन-देन न होने की वजह से इसे डिएक्टिवेट कर दिया गया था. मार्च माह में दोनों अधिकारियों ने धोखाधड़ी कर उक्त खाते में जमा दो लाख आठ हजार की राशि निकाल ली. अधिकारियों की इस करतूत से बैंक प्रबंधन भी दंग रह गया.
पुलिस ने बैंक के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक की शिकायत पर आरोपी बैंक प्रबंधक (प्रशासन व सेवा) योगेश और विशेष सहायक विजय के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं में केस दर्ज कर लिया है. बैंक प्रबंधन ने दोनों आरोपी बैंक अधिकारियों को निलंबित कर दिया है.
मामले के अनुसार दिनांक 11 मार्च 2024 को बैंक के उद्यम धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली ने बैंक के खाता धारक एसपी मदान के लेन-देन की वास्तविकता की जांच के लिए बैंक शाखा को एक मेल भेजा था. जांच में सामने आया कि खाता धारक का अकाउंट काफी समय से निष्क्रिय था और खाते दो लाख से अधिक की रकम थी. बैंक के दो अधिकारियों प्रबंधक (प्रशासन व सेवा) योगेश और विशेष सहायक विजय ने जान-बूझकर खाते को सक्रिय किया.
आरोपियों ने बैंक अधिकारियों ने फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर खाते से 2 लाख 8 हजार रुपए का गबन कर लिया. बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक अंकुश रांगटा ने इस पूरे मामले की सदर थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी बैंक अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा-420, 467, 468, 471 व 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई अमल में लाई जा रही है.
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