रांची: प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने भाजपा पर कड़ा हमला बोला है. उन्होंने 9 मई के दिन बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सेना की जमीन को गलत तरीके से अपने नाम कराने के मामले में ईडी की कार्रवाई में आरोपी विष्णु अग्रवाल से मुलाकात को लेकर सवाल उठाए हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि भगवान ने बाबूलाल मरांडी का चरित्र सार्वजनिक कर दिया है, अब उन्हें भ्रष्टाचार पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है. बंधु तिर्की ने कहा कि जिन लोगों ने सेना की जमीन हड़प ली है, वित्त मंत्री से उनकी मुलाकात और वहां उनकी उपस्थिति को लेकर राज्य की जनता बाबूलाल मरांडी से नफरत कर रही है और बाबूलाल मरांडी पर थू-थू कर रही है.
पूर्व मंत्री बंधु तिर्की ने कहा कि बाबूलाल मरांडी खुद को बहुत ईमानदार और महान व्यक्ति बताते हैं. अब बाबूलाल मरांडी बताएं कि सेना की जमीन तक नहीं छोड़ने वाले विष्णु अग्रवाल से उनका क्या रिश्ता है? बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी में विष्णु अग्रवाल की केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात से साफ पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी का भ्रष्टाचार के प्रति दोहरा रवैया है और उसकी कथनी और करनी में अंतर है.
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को विष्णु अग्रवाल जैसे लोगों से सबके सामने निर्मला सीतारमण से मिलने में कोई झिझक नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) वित्त मंत्रालय के अधीन है. जिसकी मंत्री निर्मला सीतारमण हैं और हर समझदार व्यक्ति निर्मला-विष्णु और बाबूलाल की इस मुलाकात का मतलब समझ सकता है.
बंधु तिर्की ने कहा कि दो-चार दिन पहले जब कांग्रेस विधायक दल के नेता और संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव के नौकर के घर पर ईडी ने छापेमारी की तो बीजेपी नेता आलमगीर आलम पर आरोप लगाने लगे. तो फिर बीजेपी को बताना चाहिए कि जमानत पर बाहर चल रहे कारोबारी विष्णु अग्रवाल से वित्त मंत्री की मुलाकात पर क्या कहा जाना चाहिए.
बंधु तिर्की ने कहा कि बीजेपी को झारखंड और यहां की जनता को सिर्फ अपने चश्मे से देखना बंद कर देना चाहिए क्योंकि एक तरफ प्रधानमंत्री लव जिहाद और लैंड जिहाद की बात करते हैं तो दूसरी तरफ केंद्रीय वित्त मंत्री की तस्वीर ऐसे आरोपियों के साथ छपती है.
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा संथाल में जनसांख्यिकी की बात करती है, तो उन्हें रांची जिले, जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम), धनबाद, बोकारो को भी उसी नजर से देखना चाहिए, जहां आदिवासियों की आबादी लगातार घट रही है और उन्हें विस्थापन और पलायन की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
बंधु तिर्की ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश से आकर लोग शहर पर कब्जा कर रहे हैं, राजधानी रांची की डेमोग्राफी ही बदल गयी है. जिसका आदिवासियों के जीवन, सभ्यता और संस्कृति के साथ-साथ उनकी आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
यह भी पढ़ें: न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल को बड़ी राहत, हाईकोर्ट से मिली सशर्त जमानत