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बांधवगढ़ की बाघिन भोपाल में बिखेरेगी जलवा, तो बाघ को इसलिए मुकुंदपुर किया गया शिफ्ट - Bandhavgarh Tigress shifted Bhopal - BANDHAVGARH TIGRESS SHIFTED BHOPAL

बांधवगढ़ के जंगल से दो दिनों में एक बाघ और बाघिन का रेस्क्यू किया गया. बाघ घायल था, इलाज के लिए उसे मुकुंदपुर भेज दिया गया. बाघिन कमजोरी की वजह से शिकार नहीं कर पा रही थी, उसे भोपाल के वन विहार शिफ्ट कर दिया गया.

BANDHAVGARH TIGRESS SHIFTED BHOPAL
बांघवगढ़ में बाघिन के रेस्क्यू के बाद रेस्क्यू टीम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 4, 2024, 4:53 PM IST

उमरिया। शहडोल संभाग के उमरिया जिले के बांधवगढ़ से दो दिन में एक बाघ और एक बाघिन का रेस्क्यू किया गया है. कमजोरी की वजह से बाघिन शिकार भी नहीं कर पा रही थी. बाघिन को भोपाल के वन विहार में शिफ्ट किया गया है. बाघ घायल हो गया था और शिकार नहीं कर पा रहा था. इलाज के लिए बाघ को मुकुंदपुर ले जाया गया है.

Tiger tigress rescued Bandhavgarh
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से घायल बाघ का किया गया रेस्क्यू (ETV Bharat)

बाघ घायल हो गया था

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर वन परीक्षेत्र के बदरेहल बीट के कक्ष क्रमांक आर एफ 103 से जंगल में घायल बाघ की जानकारी मिली थी. वन प्रबंधन ने यह जानकारी मिलने के बाद रेस्क्यू करने का फैसला किया. जिसके बाद रेस्क्यू टीम और डॉक्टर्स की टीम ने जंगल पहुंचकर बाघ की निगरानी की. जिसके बाद बाघ का रेस्क्यू कर लिया गया. बाघ के पैर में चोट है और उसके दांत टूटे हुए हैं. जिससे बाघ को जंगल में शिकार करने में भी परेशानी हो रही थी. इलाज के लिए उसको मुकुंदपुर सफारी भेजा गया है.

Weak tigress rescued in Bandhavgarh
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघिन का किया गया रेस्क्यू (ETV Bharat)

बाघिन कमजोरी की वजह से नहीं कर पा रही थी शिकार
वहीं, दूसरे दिन उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ही एक बाघिन का भी रेस्क्यू किया गया है. प्रबंधन ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक बाघिन की उम्र लगभग 2 से 3 वर्ष की है. पहले उसे ट्रेंक्यूलाइज किया गया. फिर उसका रेस्क्यू करके उसे भोपाल वन विहार भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि बाघिन बहुत कमजोर हो गई थी. इंक्लोजर (घेरा) में छोड़े जाने वाले जानवरों का भी शिकार नहीं कर पा रही थी. जिस वजह से उसे भोपाल वन विहार भेजने का फैसला लेना पड़ा.

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कान्हा नेशनल पार्क में घायल बाघों को नहीं मिल रहा उपचार, पार्क प्रबंधन की मॉनिटरिंग पर भी सवाल

बाघों का गढ़ बांधवगढ़

गौरतलब है की शहडोल संभाग के उमरिया जिले का बांधवगढ़ वन परिक्षेत्र बाघों के लिए जाना जाता है. अक्सर ही यहां पर पर्यटक बाघों का दीदार करने के लिए आते हैं, क्योंकि बांधवगढ़ को बाघों का गढ़ माना जाता है. जो भी पर्यटक बांधवगढ़ में आता है, उसे बाघ के दीदार हो ही जाते हैं. इसलिए बांधवगढ़ बाघों के दीदार के लिए बहुत प्रसिद्ध है.

उमरिया। शहडोल संभाग के उमरिया जिले के बांधवगढ़ से दो दिन में एक बाघ और एक बाघिन का रेस्क्यू किया गया है. कमजोरी की वजह से बाघिन शिकार भी नहीं कर पा रही थी. बाघिन को भोपाल के वन विहार में शिफ्ट किया गया है. बाघ घायल हो गया था और शिकार नहीं कर पा रहा था. इलाज के लिए बाघ को मुकुंदपुर ले जाया गया है.

Tiger tigress rescued Bandhavgarh
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से घायल बाघ का किया गया रेस्क्यू (ETV Bharat)

बाघ घायल हो गया था

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर वन परीक्षेत्र के बदरेहल बीट के कक्ष क्रमांक आर एफ 103 से जंगल में घायल बाघ की जानकारी मिली थी. वन प्रबंधन ने यह जानकारी मिलने के बाद रेस्क्यू करने का फैसला किया. जिसके बाद रेस्क्यू टीम और डॉक्टर्स की टीम ने जंगल पहुंचकर बाघ की निगरानी की. जिसके बाद बाघ का रेस्क्यू कर लिया गया. बाघ के पैर में चोट है और उसके दांत टूटे हुए हैं. जिससे बाघ को जंगल में शिकार करने में भी परेशानी हो रही थी. इलाज के लिए उसको मुकुंदपुर सफारी भेजा गया है.

Weak tigress rescued in Bandhavgarh
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघिन का किया गया रेस्क्यू (ETV Bharat)

बाघिन कमजोरी की वजह से नहीं कर पा रही थी शिकार
वहीं, दूसरे दिन उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ही एक बाघिन का भी रेस्क्यू किया गया है. प्रबंधन ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक बाघिन की उम्र लगभग 2 से 3 वर्ष की है. पहले उसे ट्रेंक्यूलाइज किया गया. फिर उसका रेस्क्यू करके उसे भोपाल वन विहार भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि बाघिन बहुत कमजोर हो गई थी. इंक्लोजर (घेरा) में छोड़े जाने वाले जानवरों का भी शिकार नहीं कर पा रही थी. जिस वजह से उसे भोपाल वन विहार भेजने का फैसला लेना पड़ा.

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बाघों का गढ़ बांधवगढ़

गौरतलब है की शहडोल संभाग के उमरिया जिले का बांधवगढ़ वन परिक्षेत्र बाघों के लिए जाना जाता है. अक्सर ही यहां पर पर्यटक बाघों का दीदार करने के लिए आते हैं, क्योंकि बांधवगढ़ को बाघों का गढ़ माना जाता है. जो भी पर्यटक बांधवगढ़ में आता है, उसे बाघ के दीदार हो ही जाते हैं. इसलिए बांधवगढ़ बाघों के दीदार के लिए बहुत प्रसिद्ध है.

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