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बनारस की ये छह रंगों वाली गाजर है खास, सेहत के लिए फायदेमंद, किसानों को मुनाफा ही मुनाफा

Banaras Six Colored Carrots: वाराणसी के वैज्ञानिकों ने सामान्य गाजर पर प्रयोग कर उसे अलग-अलग रंगों में ला दिया है. ये उन गाजरों में मिले हुए पोषक तत्व हैं. ये गाजर आपके शरीर को उन जरूरी तत्वों की पूर्ति कराएंगे जो आप दवाइयों का सेवन करके पूरा करते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 1, 2024, 4:12 PM IST

वाराणसी: बनारस में रेनबो गाजर की खेती होती है, जिसमें एक दो नहीं, बल्कि छह किस्म की गाजर उपजाई जाती है. इसमें लाल, ऑरेंज, मैरून और काले के साथ पीले रंग के गाजर की भी खेती होती है. इस गाजर की खासियत की बात करें तो ये सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

वहीं इससे किसानों की आमदनी भी काफी अच्छी होती है. बनारस के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में इसकी खेती होती है, जहां से कोई भी किसान बीज लेकर खेती कर सकता है. इससे न सिर्फ व बेहतर मुनाफा कमा सकता है, बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी लाभदायक बना सकता है.

Banaras
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बनारस के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में सब्जियों को लेकर अलग-अलग तरीके के शोध होते रहते हैं. अभी भी कई तरह की ऐसी सब्जियों का यहां उत्पादन किया जा चुका है जो अपने आप में बेहद ही अनोखा है. इसी बीच संस्थान ने गाजर को लेकर भी एक अद्धुत प्रयोग किया है.

यहां के वैज्ञानिकों ने सामान्य गाजर पर प्रयोग कर उसे अलग-अलग रंगों में ला दिया है. गाजर के ये रंग कोई सामान्य रंग नहीं हैं. ये उन गाजरों में मिले हुए पोषक तत्व हैं. ये गाजर आपके शरीर को उन जरूरी तत्वों की पूर्ति कराएंगे जो आप दवाइयों का सेवन करके पूरा करते हैं. इससे सेहत सही रहेगी.

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इस बारे में सब्जी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक एके सिंह बताते हैं कि, रेनबो गाजर की खेती में आपको एक तरह से सभी रंग देखने को मिल जाएंगे. इसमें ऑरेंज, येलो, पर्पल रेड भी देखने को मिलता है.

इसमें रेनबो गाजर के फायदे ये हैं कि हमारे शरीर को विभिन्न तरह के विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट्स की जरूरत होती है. हमारे शरीर के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जो परंपरा चल रही उसी पर हमने का किया है.

न
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हमने ये सोचा कि अगर कोई अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए गाजर की विभिन्न किस्मों को खाए तो उसके शरीर की जो आवश्यकताएं हैं जो अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन्स की जो जरूरतें हैं वे सारी इन्हीं से पूरी हो जाएं.

उन्होंने बताया कि, इसकी खेती ठीक वैसे ही होती है जैसे सामान्य गाजर की खेती होती है. वही इसकी भी विधि है. इसकी कोई अलग विधि नहीं है. हमने इसमें ब्रीडिंग के द्वारा सुधार करके जो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की जरूरत होती है, उनकी मात्रा बढ़ा दी है.

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इसकी खेती के लिए हमारे पास बीज मौजूद हैं. इसकी अलग-अलग किस्मों के नाम हैं. काशी कृष्णा एक किस्म है, इसमें बहुत ही ज्यादा एंथोसायनिन है, जिसकी वजह से इसका रंग ज्यादा काला हो गया है. इससे इसका नाम कृष्णा दिया है. काशी अरुण लाल रंग में है. अन्य पर भी काम चल रहा है.

वो बताते हैं कि, किसानों को अगर इसकी खेती करनी है तो ये हमारे पास आकर इनके बीज हमारे सेल काउंटर से ले सकते हैं. अगर इसके मुनाफे की बात करें तो हमारे किसान भाई इस गाजर को जब भी बेचें तो इसे ये बताकर बेचें कि हम केवल आपको गाजर नहीं दे रहे हैं बल्कि गाजर में दवा दे रहे हैं.

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ये मेडिसिनल गाजर हम आपको दे रहे हैं. अगर मेडिसिनल गाजर है तो उसका जो मूल्य वह भी अच्छा मिलेगा. सीधे तौर पर यह भी कह सकते हैं कि किसानों को कम लागत पर रेनबो गाजर से अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरी! बनारस के इस अस्पताल में अब एक रुपये में होगी डायलिसिस, यहां बनेगा पर्चा

वाराणसी: बनारस में रेनबो गाजर की खेती होती है, जिसमें एक दो नहीं, बल्कि छह किस्म की गाजर उपजाई जाती है. इसमें लाल, ऑरेंज, मैरून और काले के साथ पीले रंग के गाजर की भी खेती होती है. इस गाजर की खासियत की बात करें तो ये सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

वहीं इससे किसानों की आमदनी भी काफी अच्छी होती है. बनारस के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में इसकी खेती होती है, जहां से कोई भी किसान बीज लेकर खेती कर सकता है. इससे न सिर्फ व बेहतर मुनाफा कमा सकता है, बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी लाभदायक बना सकता है.

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बनारस के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में सब्जियों को लेकर अलग-अलग तरीके के शोध होते रहते हैं. अभी भी कई तरह की ऐसी सब्जियों का यहां उत्पादन किया जा चुका है जो अपने आप में बेहद ही अनोखा है. इसी बीच संस्थान ने गाजर को लेकर भी एक अद्धुत प्रयोग किया है.

यहां के वैज्ञानिकों ने सामान्य गाजर पर प्रयोग कर उसे अलग-अलग रंगों में ला दिया है. गाजर के ये रंग कोई सामान्य रंग नहीं हैं. ये उन गाजरों में मिले हुए पोषक तत्व हैं. ये गाजर आपके शरीर को उन जरूरी तत्वों की पूर्ति कराएंगे जो आप दवाइयों का सेवन करके पूरा करते हैं. इससे सेहत सही रहेगी.

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इस बारे में सब्जी अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक एके सिंह बताते हैं कि, रेनबो गाजर की खेती में आपको एक तरह से सभी रंग देखने को मिल जाएंगे. इसमें ऑरेंज, येलो, पर्पल रेड भी देखने को मिलता है.

इसमें रेनबो गाजर के फायदे ये हैं कि हमारे शरीर को विभिन्न तरह के विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट्स की जरूरत होती है. हमारे शरीर के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जो परंपरा चल रही उसी पर हमने का किया है.

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हमने ये सोचा कि अगर कोई अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए गाजर की विभिन्न किस्मों को खाए तो उसके शरीर की जो आवश्यकताएं हैं जो अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन्स की जो जरूरतें हैं वे सारी इन्हीं से पूरी हो जाएं.

उन्होंने बताया कि, इसकी खेती ठीक वैसे ही होती है जैसे सामान्य गाजर की खेती होती है. वही इसकी भी विधि है. इसकी कोई अलग विधि नहीं है. हमने इसमें ब्रीडिंग के द्वारा सुधार करके जो हमारे शरीर में पोषक तत्वों की जरूरत होती है, उनकी मात्रा बढ़ा दी है.

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इसकी खेती के लिए हमारे पास बीज मौजूद हैं. इसकी अलग-अलग किस्मों के नाम हैं. काशी कृष्णा एक किस्म है, इसमें बहुत ही ज्यादा एंथोसायनिन है, जिसकी वजह से इसका रंग ज्यादा काला हो गया है. इससे इसका नाम कृष्णा दिया है. काशी अरुण लाल रंग में है. अन्य पर भी काम चल रहा है.

वो बताते हैं कि, किसानों को अगर इसकी खेती करनी है तो ये हमारे पास आकर इनके बीज हमारे सेल काउंटर से ले सकते हैं. अगर इसके मुनाफे की बात करें तो हमारे किसान भाई इस गाजर को जब भी बेचें तो इसे ये बताकर बेचें कि हम केवल आपको गाजर नहीं दे रहे हैं बल्कि गाजर में दवा दे रहे हैं.

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ये मेडिसिनल गाजर हम आपको दे रहे हैं. अगर मेडिसिनल गाजर है तो उसका जो मूल्य वह भी अच्छा मिलेगा. सीधे तौर पर यह भी कह सकते हैं कि किसानों को कम लागत पर रेनबो गाजर से अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

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