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मंगला आरती के बाद काशी विश्वनाथ धाम में उमड़ी भीड़, रुद्राभिषेक के बाद बांधी गई राखी, शाम को परिवार संग झूले पर विराजेंगे शिव - Banaras Kashi Vishwanath Dham - BANARAS KASHI VISHWANATH DHAM

आज सावन का अंतिम सोमवार है. तड़के ही काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. आज रक्षाबंधन भी है. रुद्राभिषेक के बाद भगवान शिव को राखी बांधी गई. आज भगवान शिव के खास दर्शन होंगे.

सावन के अंतिम सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम में उमड़ी भीड़.
सावन के अंतिम सोमवार को काशी विश्वनाथ धाम में उमड़ी भीड़. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 19, 2024, 9:27 AM IST

Updated : Aug 19, 2024, 9:37 AM IST

भक्तों पर बरसाए गए फूल. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी/प्रयागराज : श्री काशी विश्वनाथ को सावन का महीना अतिप्रिय है. आज सावन का अंतिम और पांचवां सोमवार है. आज सावन का अंतिम दिन भी है. इस बार के सावन में 5 सोमवार पड़े. आज रक्षाबंधन का पर्व भी है. सुबह मंगला आरती के बाद रुद्राभिषेक हुआ. इसके बाद बाबा विश्वनाथ को राखी बांधी गई. आज शाम को भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ झूले पर विराजेंगे. भक्त उनके अद्भुत दर्शन करेंगे.

इस बार सावन महीने की शुरुआत सोमवार से हुई. अब समापन भी सोमवार को ही हो रहा है. बाबा विश्वनाथ के भक्तों का बड़ा समूह आज दर्शन पूजन के लिए काशी पहुंचा है. आज रक्षाबंधन का भी पावन पर्व है. सुबह मंगला आरती हुई. इसके बाद रुद्राभिषेक किया गया. भगवान शिव को राखी भी बांधी गई. शाम को काशीपुराधिपति अपने पूरे परिवार के साथ झूले पर विराजेंगे.

भगवान विश्वनाथ का अद्भुत श्रंगार : श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आज सुबह भगवान विश्वनाथ का अद्भुत श्रंगार किया गया है. मंगला आरती के बाद भगवान विश्वनाथ मंदिर के कपाट आम भक्तों के लिए खोले दिए गए. बाहर कतार में खड़े शिवभक्तों पर मंदिर प्रशासन की तरफ से पुष्प वर्षा की गई. मंदिर तक आने वाले रास्तों पर रेड कारपेट बिछाए गए हैं, ताकि शिव भक्तों को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े. आज शाम को मंदिर अपनी पुरानी परंपरा का निर्वहन करेगी. हालांकि इस बार इसमें बदलाव रहेगी.

इस बार बदली नजर आएगी व्यवस्था : यह परंपरा महंत आवास से 350 वर्षों से निभाई जाती रही है. महंत आवास से हर वर्ष आज के दिन भगवान विश्वनाथ, माता पार्वती और गणेश भगवान की चल रजत प्रतिमा मंदिर में पहुंचती है. महंत परिवार के लोग झूला श्रृंगार संपन्न करवाते हैं, लेकिन इस बार मंदिर ने इस व्यवस्था को बदलने का निर्णय लिया है. मंदिर न्यास की तरफ से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में यह स्पष्ट किया गया है कि महंत परिवार में दो भाइयों के बीच विवाद है. मामला न्यायालय में होने और बेवजह न्यायिक प्रक्रिया में फंसने से बचने के लिए विश्वनाथ मंदिर न्यास अपनी खुद की प्रतिमा का इस्तेमाल श्रृंगार इत्यादि परंपराओं में करेगा. इसकी शुरुआत आज से हो जाएगी.

चल रजत प्रतिमा की जगह दूसरी प्रतिमा का होगा इस्तेमाल : मंदिर न्यास की तरफ से जारी इस विज्ञप्ति के बाद बनारस में भी खलबली है. चल रजत प्रतिमा हमेशा से ही मंदिर में पहुंचती रही है, लेकिन प्रशासन 350 वर्ष बाद प्रतिमा भी बदलने जा रहा है और परंपरा भी. फिलहाल आज सावन की अंतिम सोमवार पर बाबा के भक्तों की भीड़ सुबह से ही लगी हुई है. आज सुबह मंगला आरती के बाद से शुरू हुआ दर्शन पूजन का सिलसिला अभी भी जारी है. भीषण गर्मी और उमस के बीच भक्त लगातार विश्वनाथ दरबार में माता देखने के लिए पहुंच रहे हैं.

स्पर्श दर्शन पर आज पूरी तरह से रोक लगा दी गई है और सुगम दर्शन के टिकट को भी आज बंद कर दिया गया है. सभी तरह की वीआईपी व्यवस्था भी आज रोकी गई है. आज झूला श्रृंगार से पहले प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ के अलग-अलग श्रृंगार हुए हैं. पिछले सोमवार को रुद्राक्ष श्रृंगार उसके पहले अर्धनारीश्वर श्रृंगार समेत प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ का एक अद्भुत रूप लोगों ने देखा है.

प्रयागराज के शिव मंदिरों में भी उमड़ी भक्तों की भीड़ : सावन मास के अंतिम सोमवार पर प्रयागराज के सोरांव विकासखंड में स्थित पडिला महादेव मंदिर में सुबह से श्रद्धालु जलाभिषेक कर सुख समृद्धि की मंगल कामना कर रहे हैं. पाण्डेश्वरनाथ धाम पड़िला में भी भीड़ उमड़ी. यमुना तट पर स्थित प्राचीन और पौराणिक मनकामेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ है. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में शिव की आराधना से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कांवड़ियों और दर्शनार्थियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए मंदिर में जगह-जगह पर सिविल पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है.

यह भी पढ़ें : भोलेनाथ के इस मंदिर पर कौवे ने फेंक दी थी हड्डी, यहां नहीं बन पाई काशी, अब दूसरी काशी के नाम से है प्रसिद्ध

भक्तों पर बरसाए गए फूल. (Video Credit; ETV Bharat)

वाराणसी/प्रयागराज : श्री काशी विश्वनाथ को सावन का महीना अतिप्रिय है. आज सावन का अंतिम और पांचवां सोमवार है. आज सावन का अंतिम दिन भी है. इस बार के सावन में 5 सोमवार पड़े. आज रक्षाबंधन का पर्व भी है. सुबह मंगला आरती के बाद रुद्राभिषेक हुआ. इसके बाद बाबा विश्वनाथ को राखी बांधी गई. आज शाम को भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ झूले पर विराजेंगे. भक्त उनके अद्भुत दर्शन करेंगे.

इस बार सावन महीने की शुरुआत सोमवार से हुई. अब समापन भी सोमवार को ही हो रहा है. बाबा विश्वनाथ के भक्तों का बड़ा समूह आज दर्शन पूजन के लिए काशी पहुंचा है. आज रक्षाबंधन का भी पावन पर्व है. सुबह मंगला आरती हुई. इसके बाद रुद्राभिषेक किया गया. भगवान शिव को राखी भी बांधी गई. शाम को काशीपुराधिपति अपने पूरे परिवार के साथ झूले पर विराजेंगे.

भगवान विश्वनाथ का अद्भुत श्रंगार : श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आज सुबह भगवान विश्वनाथ का अद्भुत श्रंगार किया गया है. मंगला आरती के बाद भगवान विश्वनाथ मंदिर के कपाट आम भक्तों के लिए खोले दिए गए. बाहर कतार में खड़े शिवभक्तों पर मंदिर प्रशासन की तरफ से पुष्प वर्षा की गई. मंदिर तक आने वाले रास्तों पर रेड कारपेट बिछाए गए हैं, ताकि शिव भक्तों को किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े. आज शाम को मंदिर अपनी पुरानी परंपरा का निर्वहन करेगी. हालांकि इस बार इसमें बदलाव रहेगी.

इस बार बदली नजर आएगी व्यवस्था : यह परंपरा महंत आवास से 350 वर्षों से निभाई जाती रही है. महंत आवास से हर वर्ष आज के दिन भगवान विश्वनाथ, माता पार्वती और गणेश भगवान की चल रजत प्रतिमा मंदिर में पहुंचती है. महंत परिवार के लोग झूला श्रृंगार संपन्न करवाते हैं, लेकिन इस बार मंदिर ने इस व्यवस्था को बदलने का निर्णय लिया है. मंदिर न्यास की तरफ से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में यह स्पष्ट किया गया है कि महंत परिवार में दो भाइयों के बीच विवाद है. मामला न्यायालय में होने और बेवजह न्यायिक प्रक्रिया में फंसने से बचने के लिए विश्वनाथ मंदिर न्यास अपनी खुद की प्रतिमा का इस्तेमाल श्रृंगार इत्यादि परंपराओं में करेगा. इसकी शुरुआत आज से हो जाएगी.

चल रजत प्रतिमा की जगह दूसरी प्रतिमा का होगा इस्तेमाल : मंदिर न्यास की तरफ से जारी इस विज्ञप्ति के बाद बनारस में भी खलबली है. चल रजत प्रतिमा हमेशा से ही मंदिर में पहुंचती रही है, लेकिन प्रशासन 350 वर्ष बाद प्रतिमा भी बदलने जा रहा है और परंपरा भी. फिलहाल आज सावन की अंतिम सोमवार पर बाबा के भक्तों की भीड़ सुबह से ही लगी हुई है. आज सुबह मंगला आरती के बाद से शुरू हुआ दर्शन पूजन का सिलसिला अभी भी जारी है. भीषण गर्मी और उमस के बीच भक्त लगातार विश्वनाथ दरबार में माता देखने के लिए पहुंच रहे हैं.

स्पर्श दर्शन पर आज पूरी तरह से रोक लगा दी गई है और सुगम दर्शन के टिकट को भी आज बंद कर दिया गया है. सभी तरह की वीआईपी व्यवस्था भी आज रोकी गई है. आज झूला श्रृंगार से पहले प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ के अलग-अलग श्रृंगार हुए हैं. पिछले सोमवार को रुद्राक्ष श्रृंगार उसके पहले अर्धनारीश्वर श्रृंगार समेत प्रत्येक सोमवार को बाबा विश्वनाथ का एक अद्भुत रूप लोगों ने देखा है.

प्रयागराज के शिव मंदिरों में भी उमड़ी भक्तों की भीड़ : सावन मास के अंतिम सोमवार पर प्रयागराज के सोरांव विकासखंड में स्थित पडिला महादेव मंदिर में सुबह से श्रद्धालु जलाभिषेक कर सुख समृद्धि की मंगल कामना कर रहे हैं. पाण्डेश्वरनाथ धाम पड़िला में भी भीड़ उमड़ी. यमुना तट पर स्थित प्राचीन और पौराणिक मनकामेश्वर महादेव मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ है. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में शिव की आराधना से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कांवड़ियों और दर्शनार्थियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए मंदिर में जगह-जगह पर सिविल पुलिस व सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है.

यह भी पढ़ें : भोलेनाथ के इस मंदिर पर कौवे ने फेंक दी थी हड्डी, यहां नहीं बन पाई काशी, अब दूसरी काशी के नाम से है प्रसिद्ध

Last Updated : Aug 19, 2024, 9:37 AM IST
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