जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए के तत्कालीन आयुक्त आईएएस रवि जैन व जोन-12 के तत्कालीन उपायुक्त प्रवीण कुमार के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग की ओर से जारी जमानती वारंट की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने आयोग के समक्ष पक्षकार रहे राजीव चतुर्वेदी से 22 मई तक जवाब मांगा है. जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रवि जैन व अन्य की याचिका पर दिए. याचिका में राज्य उपभोक्ता आयोग की बेंच संख्या 3 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें आयोग ने आदेश की पालना नहीं करने पर दोनों अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर मुख्य सचिव को तामील कराने को कहा था.
याचिका में बताया कि राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवादी की आदेश की पालना को लेकर पेश प्रार्थना पत्र सुनवाई योग्य नहीं था. सितंबर 2022 में परिवादी ने अपने पहले प्रार्थना पत्र को यह कहते हुए आयोग से वापस ले लिया था कि वह 27 सितंबर, 2018 को अवार्ड की राशि प्राप्त कर चुका है. इसके बावजूद उसने दूसरा प्रार्थना पत्र पेश कर 19 लाख रुपए दिलवाने का आग्रह किया.
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इसके अलावा मामले की सुनवाई के दौरान केस के ओआईसी मौजूद थे, लेकिन फिर भी आयोग ने याचिकाकर्ता अफसर को बुलाया. जबकि उनका जेडीए से ट्रांसफर हो चुका था. इसलिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ जमानती वारंट की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाए. गौरतलब है कि राजीव चतुर्वेदी ने जेडीए की आनंद विहार आवासीय योजना में भूमि समतल कर कब्जा नहीं सौंपने पर राज्य उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया था. जिस पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के पक्ष में फैसला देते हुए जेडीए पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाया और परिवादी को 46 लाख रुपए 9 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने को कहा था.