बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में आरक्षकों की भर्ती पर लगी रोक को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हटा लिया है. इस मसले पर बुधवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर में सुनवाई हुई. जिसके बाद कोर्ट ने आरक्षक भर्ती की प्रक्रिया को जारी रखने का निर्देश जारी किया है. यह पूरी सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच में हुई है. जिसके बाद अदालत ने छत्तीसगढ़ आरक्षक की भर्ती को जारी रखने का निर्देश दिया.
कोर्ट में क्या हुआ ?: सभी पुलिसकर्मियों के बच्चों को मिलने वाली छूट को हटाया गया है. शहीद पुलिसकर्मियों के बच्चों को मिलने वाली छूट यथावत रखी गई है. नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा कर रहे जवानों के बच्चों को भी छूट देने का प्रावधान किया गया है. सभी पुलिसकर्मियों के बच्चे जो आरक्षक पद के लिए आवेदन किए हैं उनको मिलने वाली छूट को गलत माना गया है. यानि की सभी पुलिसकर्मियों के बच्चों को छूट नहीं मिलेगी. सभी पुलिस कर्मियों के बच्चों को भर्ती की छूट को अदालत ने आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन माना है .अब फिजिकल टेस्ट के बाद आगे बढ़ेगी भर्ती की प्रक्रिया होगी. अदालत ने आज की सुनवाई में यह साफ किया है कि सिर्फ शहीद पुलिसकर्मियों के बच्चों को और नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा कर रहे जवानों के बच्चों भर्ती प्रक्रिया में छूट मिलेगी.
पहले कहां फंसा था पेंच?: आरक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर बेदराम टंडन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें यह कहा गया था कि उनके बेटे ने राजनांदगांव में होने वाले कॉन्स्टेबल जीडी के लिए आवेदन दिया था. राजनांदगांव जिले में इस केटेगरी के तहत 143 पद जारी किए गए थे. इस भर्ती में पूर्व पुलिस कर्मचारियों के बच्चों को छूट देने के प्रावधान को चुनौती दी गई थी. जिसमें यह कहा गया था कि केवल अपने विभाग के कर्मचारियों को छूट देना साफ तौर पर आम लोगों के साथ भेदभाव है. इसलिए इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए. जिसके बाद हाईकोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को आरक्षक संवर्ग 2023-24 के अलग अलग पदों पर होने वाली भर्तियों पर रोक लगा दी थी.
भारत के संविधान में आर्टिकल 16 के मुताबिक कई प्रावधान हैं. इसके तहत सार्वजनिक रोज़गार में भारत के सभी नागरिकों को समान अवसर दिए जाने का प्रावधान है. इस अनुच्छेद के तहत रोज़गार और नौकरी के अवसरों में समानता सुनिश्चित की जाती है.