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दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बना बांसेरा पार्क 25 तरीकों से टूरिस्ट को करता है आकर्षित, विश्व बांस दिवस पर जानिए इसकी सभी खासियतें - World Bamboo Day 2024 - WORLD BAMBOO DAY 2024

हर साल 18 सितंबर के दिन 'विश्व बांस दिवस' मनाया जाता है. बांस सदियों से मनुष्य के जीवन के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है. इसका इस्तेमाल कई जरूरत की वस्तुएं बनाने में किया जाता है. बांस को पर्यावरण के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है. आइए जानते हैं खासियतें...

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दिल्ली का बांसरेा पार्क (Animated)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 18, 2024, 11:52 AM IST

Updated : Sep 18, 2024, 12:18 PM IST

दिल्ली का बांसेरा पार्क (ETV Bharat)

नई दिल्ली: बांस की उपयोगिता और महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है. दिल्ली की बात करें तो सराय काले खां में यमुना नदी के किनारे एक ऐसा पार्क बनाया गया है, जो बांस की थीम पर है और इसका नाम बांसेरा पार्क है. यहां पर बांस की बनी उपयोगी वस्तुएं आदि लोगों को बांस के के बारे में बताती हैं. देश भर में पाए जाने वाले 25 प्रजाति के बांस इस पार्क में लगाए गए हैं. जो पार्क की सुंदरता को चारचांद लगा रहे हैं.

दिल्ली का अनूठा पार्क बांसेरा: दिल्ली के सराय काले खां में करीब 163 हेक्टेयर में बांसेरा पार्क को बनाया गया है. यह दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे एनसीआर का इकलौता बांस की थीम पर बना पार्क है. इस पार्क का गेट, चारदीवारी, गार्ड रूम, शेड समेत तमाम आकर्षक वस्तुएं बांस से बनाई गई हैं. यहां पर बांस से ही कन्वेंशन सेंटर बनाया जाना है. पार्क में बांस से ही विभिन्न सजावटी सामान बनाकर लगाए गए हैं, जिसके जरिए यहां आने वाले लोगों को बांस की उपयोगिता और महत्व का पता चलता है.

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दिल्ली का खूबसूरत बांसेरा पार्क (ETV Bharat)

इस पार्क में रोजाना सैकड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं. यह पार्क यमुना नदी के किनारे बना है. यहां रिवर बीच भी बनाया गया है. पार्क में एक बड़ा सा चांद बनाया गया है. इस चांद के बांस से हुमायूं मकबरा भी दिखाई देता है. बांसेरा पार्क के निर्माण का उद्घाटन 9 अगस्त 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने किया था. दिल्ली डेवलपमेंट अथारिटी (डीडीए) की तरफ से इस पार्क को विकसित किया गया है. इस पार्क को उपराज्यपाल ने गोद लिया हुआ है.

बांसेरा पार्क में 25 से अधिक प्रजाति के लगाए गए हैं बांस : दिल्ली डेपलपमेंट अथारिटी (डीडीए) के हॉर्टिकल्चर के अधिकारियों ने बताया कि इस पार्क में देशभर की 25 प्रजाति के करीब 30,000 बांस लगाए गए हैं. आने वाले दिनों में और भी बांस लगाए जाएंगे. जगह-जगह बांस लगाने का काम अभी भी चल रहा है. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक बम्बुसा बालकोआ, बम्बूसा बम्बोस, बम्बुसा कैच्रेन्सिस, बम्बूसा नूतन, बम्बूसा पल्लिडा, बम्बूसा पॉलीमोर्फा, बम्बुसा स्ट्रेटा, बम्बुसा टुल्डा, बम्बुसा वेंट्रिकोसा, डेंड्रोकैलामस एस्पर, डेंड्रोकैलामस ब्रैंडिसि, डेंड्रोकैलामस हैमिल्टन, डेंड्रोकैलेमस लॉन्गिस्पैथस, डेंड्रोकैलामस स्टॉक्सआई और डेंड्रोकैलामस स्ट्रिक्टस प्रजाति के बांस दिल्ली के बांसेरा पार्क में लगाए गए हैं.

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बांसेरा पार्क (ETV Bharat)

बांस से बनेगा मिनी दिल्लीः हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बांसेरा पार्क को अभी और आकर्षक बनाने के लिए काम किया जा रहा है. जगह-जगह सुव्यवस्थित तरीके से बांस लगाए जा रहे हैं. बांसेरा पार्क में मिनी दिल्ली बनाए जाने का प्लान है. इस मिनी दिल्ली में बांस से इंडिया गेट, कुतुब मीनार, लाल किला समेत दिल्ली के अन्य ऐतिहासिक इमारतों को बांस से बनाकर दर्शाया जाएगा. इससे बांस की उपयोगिता का एक अच्छा प्रदर्शन होगा. साथ ही पार्क कि सुंदरता भी बढ़ेगी. इसके साथ ही पार्क में बच्चों के लिए प्ले जोन आदि बनाया गया है, जिससे बच्चे मनोरंजन कर सकें.

विश्व बांस दिवस मनाने का उद्देश्य: बांस बहुत अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है. इसलिए इसे पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है. इससे हवा साफ होती है. बांस को बढ़ाने के लिए किसी रसायन की जरूरत नहीं होती है. हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस, बांस के पर्यावरणीय, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. बांस तेजी से वृद्धि और जल्दी से पुनर्जीवित होने की क्षमता के लिए जाना जाता है. बांस से वनों की रक्षा, बांस से जलवायु परिवर्तन से लड़ने व क्षतिग्रस्त भूमि की मरम्मत में मदद मिलती है. देश में जगह-जगह ग्रामीण इलाकों में बांस लोगों के लिए रोजगार और आय का स्रोत है. बांस से टिकाऊ व स्टाइलिश फर्नीचर, बांस की फर्स, बांस के बर्तन, बांस के टूथब्रश आदि बनाए जाते हैं. बांस के स्ट्रॉ, बांस के कागज बनते हैं, जिनका उपयोग नोटबुक और पैकिंग आदि के लिए किया जाता है. बांस से कोयला बनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में यमुना नदी के किनारे फिर बसाया गया बांसेरा पार्क, बेमिशाल है इसकी खूबसूरती

ये भी पढ़ें: उपराज्यपाल ने दिल्ली के पहले बैंबू थीम पार्क 'बांसेरा' का किया निरीक्षण, खिंचवाई तस्वीरें

दिल्ली का बांसेरा पार्क (ETV Bharat)

नई दिल्ली: बांस की उपयोगिता और महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस मनाया जाता है. दिल्ली की बात करें तो सराय काले खां में यमुना नदी के किनारे एक ऐसा पार्क बनाया गया है, जो बांस की थीम पर है और इसका नाम बांसेरा पार्क है. यहां पर बांस की बनी उपयोगी वस्तुएं आदि लोगों को बांस के के बारे में बताती हैं. देश भर में पाए जाने वाले 25 प्रजाति के बांस इस पार्क में लगाए गए हैं. जो पार्क की सुंदरता को चारचांद लगा रहे हैं.

दिल्ली का अनूठा पार्क बांसेरा: दिल्ली के सराय काले खां में करीब 163 हेक्टेयर में बांसेरा पार्क को बनाया गया है. यह दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे एनसीआर का इकलौता बांस की थीम पर बना पार्क है. इस पार्क का गेट, चारदीवारी, गार्ड रूम, शेड समेत तमाम आकर्षक वस्तुएं बांस से बनाई गई हैं. यहां पर बांस से ही कन्वेंशन सेंटर बनाया जाना है. पार्क में बांस से ही विभिन्न सजावटी सामान बनाकर लगाए गए हैं, जिसके जरिए यहां आने वाले लोगों को बांस की उपयोगिता और महत्व का पता चलता है.

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दिल्ली का खूबसूरत बांसेरा पार्क (ETV Bharat)

इस पार्क में रोजाना सैकड़ों लोग घूमने के लिए आते हैं. यह पार्क यमुना नदी के किनारे बना है. यहां रिवर बीच भी बनाया गया है. पार्क में एक बड़ा सा चांद बनाया गया है. इस चांद के बांस से हुमायूं मकबरा भी दिखाई देता है. बांसेरा पार्क के निर्माण का उद्घाटन 9 अगस्त 2022 को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने किया था. दिल्ली डेवलपमेंट अथारिटी (डीडीए) की तरफ से इस पार्क को विकसित किया गया है. इस पार्क को उपराज्यपाल ने गोद लिया हुआ है.

बांसेरा पार्क में 25 से अधिक प्रजाति के लगाए गए हैं बांस : दिल्ली डेपलपमेंट अथारिटी (डीडीए) के हॉर्टिकल्चर के अधिकारियों ने बताया कि इस पार्क में देशभर की 25 प्रजाति के करीब 30,000 बांस लगाए गए हैं. आने वाले दिनों में और भी बांस लगाए जाएंगे. जगह-जगह बांस लगाने का काम अभी भी चल रहा है. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक बम्बुसा बालकोआ, बम्बूसा बम्बोस, बम्बुसा कैच्रेन्सिस, बम्बूसा नूतन, बम्बूसा पल्लिडा, बम्बूसा पॉलीमोर्फा, बम्बुसा स्ट्रेटा, बम्बुसा टुल्डा, बम्बुसा वेंट्रिकोसा, डेंड्रोकैलामस एस्पर, डेंड्रोकैलामस ब्रैंडिसि, डेंड्रोकैलामस हैमिल्टन, डेंड्रोकैलेमस लॉन्गिस्पैथस, डेंड्रोकैलामस स्टॉक्सआई और डेंड्रोकैलामस स्ट्रिक्टस प्रजाति के बांस दिल्ली के बांसेरा पार्क में लगाए गए हैं.

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बांसेरा पार्क (ETV Bharat)

बांस से बनेगा मिनी दिल्लीः हॉर्टिकल्चर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक बांसेरा पार्क को अभी और आकर्षक बनाने के लिए काम किया जा रहा है. जगह-जगह सुव्यवस्थित तरीके से बांस लगाए जा रहे हैं. बांसेरा पार्क में मिनी दिल्ली बनाए जाने का प्लान है. इस मिनी दिल्ली में बांस से इंडिया गेट, कुतुब मीनार, लाल किला समेत दिल्ली के अन्य ऐतिहासिक इमारतों को बांस से बनाकर दर्शाया जाएगा. इससे बांस की उपयोगिता का एक अच्छा प्रदर्शन होगा. साथ ही पार्क कि सुंदरता भी बढ़ेगी. इसके साथ ही पार्क में बच्चों के लिए प्ले जोन आदि बनाया गया है, जिससे बच्चे मनोरंजन कर सकें.

विश्व बांस दिवस मनाने का उद्देश्य: बांस बहुत अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है. इसलिए इसे पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है. इससे हवा साफ होती है. बांस को बढ़ाने के लिए किसी रसायन की जरूरत नहीं होती है. हर साल 18 सितंबर को विश्व बांस दिवस, बांस के पर्यावरणीय, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. बांस तेजी से वृद्धि और जल्दी से पुनर्जीवित होने की क्षमता के लिए जाना जाता है. बांस से वनों की रक्षा, बांस से जलवायु परिवर्तन से लड़ने व क्षतिग्रस्त भूमि की मरम्मत में मदद मिलती है. देश में जगह-जगह ग्रामीण इलाकों में बांस लोगों के लिए रोजगार और आय का स्रोत है. बांस से टिकाऊ व स्टाइलिश फर्नीचर, बांस की फर्स, बांस के बर्तन, बांस के टूथब्रश आदि बनाए जाते हैं. बांस के स्ट्रॉ, बांस के कागज बनते हैं, जिनका उपयोग नोटबुक और पैकिंग आदि के लिए किया जाता है. बांस से कोयला बनाया जाता है.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 12:18 PM IST
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