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बालोद में पाताल में पहुंचा पानी, खतरे को सामने देख एक्शन में आए अधिकारी - Ground water reached danger zone

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 28, 2024, 8:37 PM IST

बालोद में भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी का आलम ये है कि पानी पाताल में पहुंच चुका है. जो पानी पहले तीन सौ से लेकर 400 फीट तक मिल जाता था. वह पानी अब 500 मीटर के नीचे मिल रहा है.

Ground water reached danger zone
वाटर लेवल रेड जोन में (ETV Bharat)

बालोद: गर्मी ने इस बार बालोद के लोगों को भविष्य के लिए अभी से अलर्ट करना शुरु कर दिया है. दरअसल बालोद जिले का भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. गुरुर विकासखंड में तो पानी रेड जोन के नीचे पहुंच गया है. गुरुर में 500 मीटर की गहराई में बोर करने पर पानी मिल रहा है. जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों को मानें तो अगर 500 मीटर की गहराई में पानी मिलता है तो वो इलाका रेड जोन में आता है. रेड जोन में आने का मतलब है कि खतरनाक स्थिति में पानी पहुंच गया है. आने वाले दिनों में ये पानी का स्तर और नीचे जाने की पूरी उम्मीद है.

वाटर लेवल रेड जोन में (ETV Bharat)

रेड जोन में पहुंचा पानी: भूमिगत जल स्रोत नीचे जाने के बाद अब जिला प्रशासन के अधिकारी भी हरकत में आ गए हैं. गुरुक विकासखंड के 121 गांवों में अब आनन फानन में जल संरक्षण को लेकर अभियान शुरु कर दिया गया है. जल संरक्षण पखवाड़े के तहत लोगों को पानी बचाने से लेकर सोकपिट बनाने उसे रिचार्ज करने के तरीके लोगों को सिखाए जा रहे हैं.

जल संरक्षण के लिए चलाया गया बड़ा अभियान: जिला प्रशासन द्वारा जिले में जल संरक्षण महाअभियान के अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड के 78 ग्राम पंचायतों के 121 गांव में बारिश में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को संरक्षित करने के लिए महाअभियान चलाया जा रहा है. जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि जिसके अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड के कुल 30 हजार 899 परिवार के घरों में सोकपीट एवं रिचार्ज पिट निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से जल शक्ति अभियान 2019 के तहत 13 हजार 858 परिवार एवं स्वप्रेरणा से 3570 परिवारों के घरों में सोकपीट का निर्माण किया जा चुका है. जिसमें से 10431 सौकपीट क्रियाशील है. 3420 अक्रियाशील हैं, जिसे प्रथम पखवाड़े में क्रियाशील बनाने का लक्ष्य रखा गया है.


2019 में चला था अभियान: जल शक्ति मिशन के तहत 2019 में भी विशेष अभियान चलाया गया था. गुरुर विकासखंड में सबसे ज्यादा धान की फसल ली जाती है जिसके कारण काफी मात्रा में जल स्त्रोतों में कमी देखने को मिल रही है. प्रशासन द्वारा समय-समय पर दलहन तिलहन खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. बावजूद इसके लोग धान की फसल ज्यादा लगाते हैं.

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वाटर लेवल रेड जोन में (ETV Bharat)

रेड जोन में पहुंचा पानी: भूमिगत जल स्रोत नीचे जाने के बाद अब जिला प्रशासन के अधिकारी भी हरकत में आ गए हैं. गुरुक विकासखंड के 121 गांवों में अब आनन फानन में जल संरक्षण को लेकर अभियान शुरु कर दिया गया है. जल संरक्षण पखवाड़े के तहत लोगों को पानी बचाने से लेकर सोकपिट बनाने उसे रिचार्ज करने के तरीके लोगों को सिखाए जा रहे हैं.

जल संरक्षण के लिए चलाया गया बड़ा अभियान: जिला प्रशासन द्वारा जिले में जल संरक्षण महाअभियान के अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड के 78 ग्राम पंचायतों के 121 गांव में बारिश में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को संरक्षित करने के लिए महाअभियान चलाया जा रहा है. जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि जिसके अंतर्गत गुरूर विकासखण्ड के कुल 30 हजार 899 परिवार के घरों में सोकपीट एवं रिचार्ज पिट निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से जल शक्ति अभियान 2019 के तहत 13 हजार 858 परिवार एवं स्वप्रेरणा से 3570 परिवारों के घरों में सोकपीट का निर्माण किया जा चुका है. जिसमें से 10431 सौकपीट क्रियाशील है. 3420 अक्रियाशील हैं, जिसे प्रथम पखवाड़े में क्रियाशील बनाने का लक्ष्य रखा गया है.


2019 में चला था अभियान: जल शक्ति मिशन के तहत 2019 में भी विशेष अभियान चलाया गया था. गुरुर विकासखंड में सबसे ज्यादा धान की फसल ली जाती है जिसके कारण काफी मात्रा में जल स्त्रोतों में कमी देखने को मिल रही है. प्रशासन द्वारा समय-समय पर दलहन तिलहन खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. बावजूद इसके लोग धान की फसल ज्यादा लगाते हैं.

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