बालोद: बालोद जिले में धान खरीदी जोर शोर से चल रही है. अब तक 5 लाख क्विंटल से ज्यादा धान की खरीदी हो चुकी है. 31 जनवरी तक धान खरीदी होगी. उसके बाद धान की कस्टम मिलिंग की बात आती है. लेकिन नई कस्टम मिलिंग नीति को लेकर मिलर्स हड़ताल पर है.
राइस मिलर्स संगठन की माने तो साल 2021 से कस्टम मिलिंग की राशि अब तक पेंडिंग है. जो लगभग 200 करोड़ के आसपास है. राइस मिलर संगठन का कहना है कि हर महीने उन्हें लाखों रुपए ब्याज के रूप में बैंक में जमा करना पड़ता है. मिलर्स का कहना है कि नई कस्टम मिलिंग नीति के तहत मिलिंग चार्ज पर प्रति क्विंटल 120 रुपए से घटाकर 60 रुपए कर दिया गया है, परिवहन का भाड़ा भी काम कर दिया गया है. ऐसे में काम कर पाना काफी मुश्किल है.
बैंकों से मिल रहा नोटिस: राइस मिलर संगठन के प्रेसिडेंट ताराचंद सांखला ने बताया कि हम लगातार उच्च अधिकारियों से भी बात कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. उन्होंने कहा कि बैंक से बार-बार नोटिस आ रहा है. सरकार यदि पिछला भुगतान जल्द नहीं करती है तो कई मिलर्स को अपना मिल बंद करना पड़ सकता है.
सरकार से धान मिलिंग का लगभग 200 करोड़ रुपये बकाया है. सरकार की नई पॉलिसी के कारण मिलर्स काम करने में असमर्थ है: ताराचंद सांखला, जिलाध्यक्ष, राइस मिल एसोसिएशन
राइस मील संगठन के प्रदेश संरक्षक मोहन भाई पटेल ने बताया कि साल 2024-25 की कस्टम मिलिंग पॉलिसी में काम करना काफी कठिन है. सरकार ने धान और चावल के परिवहन की जो दर घोषित की वो काफी अन्यायपूर्ण है. न्यूनतम दर पर काम करने को कहा जा रहा है. सरकार के पास चावल रखने के लिए कोई निश्चित कार्ययोजना नहीं है लेकिन यदि मिलर्स धान उठाकर समय पर चावल जमा नहीं किया जाता है तो हम पर काफी अर्थदंड लगाया जाता है, जो सही नहीं है.
मिलिंग नहीं तो प्रशासन खोल रही बंद संग्रहण केंद्र: जिला विपणन अधिकारी सौरभ भारद्वाज ने बताया कि अब तक बालोद जिले में 5 लाख 40 हजार क्विंटल टन धान की खरीदी हो चुकी है. धान की खरीदी जारी है. उन्होंने कहा कि कस्टम मिलिंग के लिए मिलर्स से बात की जा रही है. परिवहन कुछ दिनों में शुरू हो जाएगा. यदि मिलर धान को नहीं उठाते हैं तो जिले में 2 साल से बंद चार धान संग्रहण केंद्रों में धान रखा जाएगा. उनमें 22 लाख क्विंटल तक धान का स्टोरेज किया जा सकता है.