बालाघाट। वन विहार भोपाल से दो बाघ शावकों को कान्हा टाइगर रिजर्व लाया गया है. कमजोरी और कुपोषण के कारण बेहतर देखभाल के लिए यहां लाया गया. इन शावकों को कान्हा के बाघ रिवाइल्डिंग सेन्टर में रखा गया है. शासन के निर्देशानुसार इनकी देखरेख, उपचार और पोषण के बाद 2 से ढाई साल तक यहां रखा जाएगा. जिसके बाद उनके व्यवहार के अध्ययन के बाद स्वतंत्र रूप से जंगल मे छोड़ा जाएगा.
3 से 4 माह के हैं बाघ शावक
कान्हा टाइगर रिजर्व का बाघ रिवाइल्डिंग सेंटर वन्यप्राणी संरक्षण का सफल उदाहरण है. 30 मई को दो नये बाघ शावक इस प्रक्रिया के लिए वन विहार भोपाल से कान्हा के रिवाइल्डिंग सेंटर घोरेला लाये गये हैं. बता दें कि ये शावक 3 से 4 माह के हैं. इन दोनों शावकों को रातापानी अभ्यारण से इनकी मां एवं एक अन्य शावक की मृत्यु के उपरांत रेस्क्यू किया गया था. रातापानी अभ्यारण से रेस्क्यू किये जाने पर ये कमजोर नजर आ रहे थे.
कुपोषित हालत में मिले बाघ शावक
बाघ शावकों की मां की मौत और भोजन की अनुपलब्धता के कारण दोनों शावक कुपोषित हो गए थे. जिस कारण वन विहार भोपाल में 15 से 17 दिन तक इन शावकों को बेहतर देखभाल के लिए रखा गया था. इस अवधि में उपचार एवं पोषण आहार उपलब्ध होने से इनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक भोपाल द्वारा इनके भविष्य को देखते हुये रिवाइल्डिंग के अधीन रखने का निर्णय लिया गया. जिसके के बाद शावकों को कान्हा टाइगर रिजर्व भेजा गया.
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2 साल रहेंगे बाघ शावक
अधिकारियों की माने तो घोरेला बाघ रिवाइल्डिंग सेंटर कान्हा में बाघ शावकों को 2 से ढाई वर्ष तक रखकर रिवाइल्डिंग हेतु निर्धारित शासन की गाइडलाइन के अनुसार देख-रेख की जाएगी. इसके बाद बाघ शावकों के व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा और फिर विशेषज्ञों की राय के अनुसार स्वतंत्र वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा.