बालाघाट। होली रंगों का त्योहार है और इस त्योहार में रंग बिरंगे रंगों से सराबोर होने के लिए हर किसी का मन मचल उठता है. लेकिन बाजार में उपलब्ध केमिकल युक्त रंग गुलालों की भरमार के चलते अब इस रंगों के त्योहार का मजा बेरंग होता नजर आ रहा है. लोगों के मन में अब यह भय उत्पन्न होने लगा है कि कहीं केमिकल युक्त रंगों से किसी प्रकार का नुकसान तो नहीं हो जाएगा. एक्सपर्ट की माने तो बाजारों में उपलब्ध केमिकल युक्त रंग लोगों की त्वचा को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
महिलाएं बना रही हर्बल गुलाल
लेकिन अब संकोच करने या फिर अपनी त्वचा को लेकर चिंतित होने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है. आप होली के रंगों से पूरी तरह सराबोर भी हो सकते हैं और किसी भी प्रकार से रंगों से होने वाले साइडइफेक्ट से भी बच सकते हैं. अब केमिकल युक्त रंगों की जगह बाजारों से खरीदें प्राकृतिक हर्बल गुलाल, जो पूरी तरह से केमिकल की बजाय खाद्य पदार्थो से बनाया गया है. बालाघाट जिले के वारासिवनी तहसील अंतर्गत ग्राम संवगी में स्व सहायता समूह की महिलाओं ने हर्बल गुलाल तैयार करना शुरू किया है, जो कि पूरी तरह केमिकल रहित है, जिसका किसी भी प्रकार से त्वचा पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ने वाला है.
ग्राम साँवगी की शिक्षा आजीविका स्व सहायता समूह की सदस्य सुनीता छिंदकेवट ने बताया कि ''समूह की महिला सदस्यों की टीम हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही है. उनके द्वारा तैयार किए जा रहे हर्बल गुलाल की कई विशेषताएं हैं. इस हर्बल गुलाल में रंग और सुगंध के लिए गुलाब, पलाश, गेंदा के फूलों का इस्तेमाल किया गया है. खास बात यह कि किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया गया है, जिससे चेहरे को कोई नुकसान हो सके.'' समूह की महिलाओं ने गुलाल बनाने का काम प्रारंभ कर दिया है. जहां 25-25 ग्राम के पैकेट तैयार किये जा रहे हैं और 10 रूपये प्रति पैकेट उनकी कीमत रखी गई है.
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आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम
सुनीता छिंदकेवट ने बताया कि ''हर्बल गुलाल तैयार करने में दो से तीन दिनों का समय लगता है. पहले पलाश के फूल, चुकंदर और पालक भाजी को अच्छी तरह से सुखाया जाता है और फिर उन्हें मिक्सी में पीसकर फाउडर तैयार किया जाता है. जिसके बाद उसमें सुगंध के लिये गुलाब के फूल का रस निकालकर मिश्रण किया जाता है. इसके साथ ही अरारोट का मिश्रण करके हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है.'' वहीं उन्होंने इस हर्बल गुलाल के फायदे बताते हुए अबकी बार प्राकृतिक हर्बल गुलाल से ही होली खेलने की अपील की है, ताकि आपकी त्वचा पर किस तरह का केमिकल न पड़े जिससे वह खराब हो, साथ ही आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही महिलाओं को प्रोत्साहन के साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त होने में सहायता भी मिल सके.
फूलों से तैयार हर्बल गुलाल
बालाघाट में यह हर्बल गुलाल वारासिवनी, खैरलांजी सहित अन्य जगहों पर बाजार में आसानी से उपलब्ध है. इस प्रोडक्ट की खास बातें यह है कि गेंदे व पलाश के फूल से पीला गुलाल तैयार किया गया है. पालक भाजी से हरा गुलाल तैयार किया गया है तो वही बीट फल (चुकंदर) से लाल रंग का गुलाल तैयार किया गया है और सभी गुलाल में गुलाब की सुगंध बिखेरी गई है.