बालाघाट: लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं. इसके लिए हाल ही में बड़ी मात्रा में इथेनॉल के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने का काम शुरु हुआ है. बात करें बालाघाट जिले की तो यहां पर अलग-अलग जगहों पर इथेनॉल प्लांट बनाए गए हैं और इनमें इथेनॉल बनना शुरू भी हो चुका है, लेकिन जिले का एक इथेनॉल प्लांट ऐसा है जो लोगों के लिए परेशानी का कारण बन चुका है. वारासिवनी क्षेत्र के बासी पंचायत में निजी कंपनी के द्वारा बनाया गया इथेनॉल प्लांट लोगों को काफी परेशान कर रहा है.
इथेनॉल प्लांट में नहीं है पार्किंग की व्यवस्था
इस प्लांट को चालू हुए लगभग एक साल होने जा रहे हैं, लेकिन इनके मैनेजमेंट द्वारा आज तक पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई है. वहीं इथेनॉल बनाने के लिए मक्का और धान के भूसे को बड़े-बड़े ट्रकों के द्वारा यहां लाया जाता है, जिन्हें मेन रोड पर खड़ा कर दिया जाता है. ऐसे में लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं. 3 दिनों पहले ही इस प्लांट के पास एक हादसा हुआ. जिसमें बाइक सवार एक युवक ट्रक की चपेट में आने से घायल हो गया. इस घटना के बाद लोगों ने जमकर हंगामा किया. फिर क्षेत्रीय विधायक ने लोगों को समझाइश दी व प्लांट के मैनेजमेंट से बात कर जल्द से जल्द पार्किंग व्यवस्था ठीक करने को कहा.
प्लांट की वजह से बढ़ रहा है जल प्रदूषण
आपको बता दें कि बासी पंचायत के इस इथेनॉल प्लांट से वायु प्रदूषण तो दूर होगा, लेकिन जल प्रदूषण बढ़ गया है. लोगों ने बताया कि प्लांट में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाया गया है, जिसके चलते प्लांट से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी नहर में जाकर मिलता है. यह नहर जंगल से होकर गुजरती है और वन्य प्राणी नहर के इस पानी को पीते हैं. ऐसे में इस केमिकल युक्त पानी को पीने से उनकी जान को खतरा है. साथ ही यह पानी किसानों के खेतों तक भी जाता है जिससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं. वहीं खेतों में काम करने वाले किसानों के पैरो में छाले भी पड़ रहे हैं. जिसके चलते लोगों में काफी नाराजगी है. फिलहाल विधायक की समझाइश के बाद प्लांट से निकलने वाले पानी को नहर में जाने से रोक दिया गया है. विधायक विवेक पटेल ने बताया कि ग्रामीणों से शिकायत मिलने पर मैं ग्रामीणों के साथ प्लांट पहुंचा और मैनेजमेंट को लोगों की समस्याओं से अवगत कराया. उन्होंने इन समस्याओं को हल करने के लिए कुछ समय मांगा है.
ये भी पढ़ें: अब मक्का के खेतों से निकले वेस्टेज से बनेगा इथेनॉल, किसान होंगे कंपनी के शेयर होल्डर स्मार्ट सिटी पहल: यहां अब मशीन करेगी दाह संस्कार, 300 की जगह 100 किलो लगेगी लकड़ी |
'क्षेत्र के युवाओं को नहीं दिया गया रोजगार'
ज्ञात हो कि इथेनॉल प्लांट लगाने के पीछे सरकार की मंशा जहां एक ओर वायु प्रदूषण को कम करना है तो वहीं जिस क्षेत्र में यह प्लांट लगाना है उस क्षेत्र के लगभग 70% पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना है. इस मामले में उप सरपंच ने बताया कि प्लांट बनाने के लिए हमारे द्वारा एनओसी दी गई थी और यह सहमति बनी थी कि ग्राम के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार दें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जबकि इस प्लांट में दूसरे प्रदेश से बुलाकर लोगों को यहां पर रोजगार दिया जा रहा है जो गलत है.