गिरिडीह: हजारीबाग पूर्वी वन प्रक्षेत्र के अंतर्गत बगोदर वन क्षेत्र के मड़मो गांव के लोग जंगल की रखवाली के लिए काफी सजग है. यहां की महिलाओं के द्वारा जंगल की पहरेदारी की जाती है. इसके लिए महिलाओं की टोलियां रोज अपने-अपने घरों से जंगल के लिए निकलती हैं. इस दौरान जंगल की लकड़ी की कटाई पर विशेष निगरानी रखी जाती है.
वहीं, लकड़ी काटने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाता है और इस जुर्माने की राशि को सार्वजनिक कार्यों में खर्च किया जाता है. जंगल की रखवाली और पहरेदारी का मॉनिटरिंग ग्राम वन प्रबंधन सुरक्षा समिति करती है. इसके लिए 18 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. समिति के अध्यक्ष कैलाश महतो, सचिव तिलकचंद महतो और उपाध्यक्ष भगिया देवी हैं.
वन सुरक्षा को लेकर हर रविवार को होती है बैठक
इस समिति की बैठक प्रत्येक रविवार को होती है, जिसमें प्रत्येक घर से एक सदस्य उपस्थित होते हैं. बैठक में एक सप्ताह की समीक्षा होती है. साथ ही वन बचाव को लेकर आगे के कार्यक्रमों की प्लान तैयार की जाती है. बताया जाता है कि जंगल की रखवाली के लिए समिति और उससे जुड़े महिलाओं की सजगता के कारण आज मड़मो का जंगल काफी घना रूप ले चुका है.
समिति के अध्यक्ष कैलाश महतो बताते हैं कि जंगल की रखवाली के लिए रोज गांव की महिलाओं की टोली निकलती है और जंगल में लकड़ी काटने वालों पर निगरानी रखी जाती है. वहीं, लकड़ी काटते पकड़े जाने पर ग्राम वन प्रबंधन सुरक्षा समिति द्वारा जुर्माना लगाया जाता है और इस राशि को सार्वजनिक कार्यों में खर्च कर दिया जाता है. बता दें कि 2021 में ग्राम वन प्रबंधन सुरक्षा समिति का गठन किया गया था. इसके पूर्व 2007 में वन बचाव समिति का गठन किया गया था. तब से मडमो के ग्रामीण वन बचाव को लेकर सजग है.
पूर्वजों के समय से चला आ रहा है जंगल रखवाली का परंपरा
स्थानीय निवासी टहल महतो बताते हैं कि मड़मो गांव में जंगल की रखवाली की कहानी पुरानी है. पूर्वजों के समय से जंगल की रखवाली का परंपरा चलता आ रहा है. उस समय गांव के एक व्यक्ति को सिपाही के रूप में चुना जाता था और उसके द्वारा ही जंगल की रखवाली की जाती थी. इसके बदले में उसे अगहन महीने में धान दिया जाता था. समय के साथ बदलाव हुआ और आज गांव की सभी महिलाएं, पुरुष और युवा जंगल की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं.
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