बगहाः कहते हैं न कि इरादे नेक और हौसले बुलंद हों, तो रास्ते अपने आप ही मिलते जाते हैं. बगहा की रामावती देवी इसकी जीती जागती मिसाल हैं. जिले के आदिवासी बहुल गांव बहुअरवा की इस महिला ने यू-ट्यूब देखकर रोजगार का आइडिया लिया और फिर जी-जान से जुट गयी अपने सपनों को साकार करने. कड़ी मेहनत से रामावती देवी ने न सिर्फ अपनी तकदीर बदल डाली बल्कि आज गांव की दर्जनों महिलाओं को रोजगार दे रही हैं.
पेपर प्लेट बनाने का प्लांट खोलाः खुद को आत्मनिर्भर बनाने की ललक लिए रामावती देवी कुछ करना चाहती थीं. यू-टयूब के जरिये उन्हें पेपर प्लांट शुरू करने का आइडिया मिला. पति से बात की तो पति ने भी हामी भर दी. उसके बाद रामावती देवी ने जीविका समूह की दीदियों से बात की और मदद मांगी. दीदियों ने पैसों से मदद की तो रामावती और उसके पति ने पेपर प्लेट प्लांट शुरू कर दिया.
"हम पति पत्नी काफी दिनों से सोच रहे थे कि कौन सा कारोबार करें जिससे अच्छी आमदनी हो और जीविकोपार्जन अच्छे तरीके से हो सके. इसी बीच यू ट्यूब पर पेपर प्लेट प्लांट के बारे में देखा तो मुझे अच्छा लगा कि यह एक बेहतर कारोबार हो सकता है.फिर पति से सहमति मिलने के बाद जीविका समूह के दीदियों से चर्चा की और उनसे पैसा लेकर छोटे स्तर पर इस कारोबार को शुरू किया. 5 वर्षों में अब मेरा बिजनेस बड़े पैमाने पर बढ़ गया है और दर्जनों दीदियों को रोजगार मिला है जिससे उनको भी अच्छी आमदनी हो रही है"- रामावती देवी, महिला उद्यमी
प्रतिदिन 60 से 70 हजार प्लेट का उत्पादनः रामावती के पति शत्रुघ्न पटवारी का कहना है कि महिलाएं प्रतिदिन 60 से 70 हजार प्लेटें बना लेती हैं. साथ ही हमलोग अब पेस्टिंग कर रॉ मटेरियल भी तैयार करते हैं जिसको अन्य पेपर प्लेट प्लांट वालों को सप्लाई करते हैं. इसके अलावा पेपर का वेस्ट मटेरियल भी बिक जाता है. इस वेस्टेज का उपयोग अंडा रखने वाला गत्ता बनाने के काम आता है.
"2018 में मैं और मेरी पत्नी काफी परेशान थे कि जीविकोपार्जन के लिए कौन सा रोजगार किया जाए. जब पत्नी ने यू ट्यूब देख बिजनेस का आइडिया सुझाया तो मुझे अच्छा लगा. क्योंकि वनाधिकार कानून आने के बाद पेड़-पौधों के पत्तों से बनने वाले प्लेट पर अंकुश लग गया था. इसलिए हम पति-पत्नी ने पेपर प्लेट प्लांट स्थापित किया और पहले जीविका समूह के दीदियों से मदद मिली फिर बाद में मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति जनजाति उद्यमी योजना से 10 लाख की राशि मिली."- शत्रुघ्न पटवारी, रामावती के पति
कहीं से कम नहीं हैं महिलाएंः रामावती देवी ने सीमित संसाधनों के जरिये ही एक बड़ा बिजनेस खड़ा कर ये बात पूरी तरह साबित कर दी है कि महिलाएं किसी भी मायने में पुरुषों से कम नहीं है. आज राजनीतिक दायित्व निभाना हो या फिर सामाजिक दायित्व, तकनीकी क्षेत्र या बिजनेस, महिलाएं कामयाबी का पर्याय बनती जा रही हैं.
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