ETV Bharat / state

शान-ओ-शौकत से निकली बादशाह की सवारी, खर्ची पाने के लिए उमड़े लोग, एसडीएम को सौंपा फरमान - Badshah Ki sawari

ब्यावर में मंगलवार को बादशाह की सवारी निकाली गई. इस दौरान बादशाही से खर्ची पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. बादशाह ने भी खर्ची रूपी गुलाल उड़ाई. इसके बाद एसडीएम को फरमान सौंपा.

Badshah Ki Sawari in Beawar
Badshah Ki Sawari in Beawar
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 26, 2024, 10:41 PM IST

Updated : Mar 26, 2024, 10:52 PM IST

शान-ओ-शौकत से निकली बादशाह की सवारी.

ब्यावर. जिले का सुप्रसिद्ध बादशाह का मेला मंगलवार को आयोजित किया गया. शान-ओ-शौकत के ब्यावर में बादशाह की सवारी निकली गई. बादशाह की सवारी के बीच बीरबल नाचते गाते शामिल हुए. बादशाह से खर्ची पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. प्रजा रूपी जनता में बादशाह ने खर्ची रूपी खूब गुलाल उड़ाई. इससे ब्यावर शहर गुलाल से अट गया. बादशाह की सवारी ब्यावर एसडीएम कार्यालय के सामने से गुजरी तो बादशाह ने एसडीएम को फरमान दे डाला. आइए जानते हैं क्या है इस बार का बादशाह का फरमान.

बादशाह सवारी मेला समिति के संयोजक भरत मंगल ने बताया कि ब्यावर में सुप्रसिद्ध बादशाह की सवारी मंगलवार को धूमधाम से निकाली गई. बादशाह की सवारी देखने और खर्ची लूटने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े. बादशाह की सवारी के दौरान हर तरफ गुलाल ही गुलाल उड़ती हुई नजर आई. 173 वर्ष पहले ब्यावर में शुरू हुई बादशाह की सवारी की परंपरा को स्थानीय लोग पूरी शिद्दत के साथ निभाते हैं. होली के दूसरे दिन यानी मंगलवार को बादशाह की सवारी का आयोजन हुआ. अग्रवाल समाज की ओर से बादशाह को तैयार किया गया. परंपरागत वस्त्र पहन कर बादशाह का मनमोहक श्रृंगार किया गया. इस बार रोशन प्रकाश सिंहल को बादशाह और वजीर श्यामसुंदर गर्ग को बनाया गया. बीरबल की भूमिका मुकेश उपाध्याय ने निभाई. बादशाह की सवारी आने पर कई सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गर्म जोशी के साथ स्वागत किया. बादशाह के आगमन पर जमकर लाल गुलाल उड़ाई गई. इस दौरान बादशाह ने भी प्रजा रूपी जनता पर खूब खर्ची लुटाई. बादशाह की सवारी निकलने से पहले जैन समाज की ओर से सवारी में शामिल हजारों लोगों को ठंडाई पिलाई गई.

पढ़ें. हंसी-ठिठोली और उड़ते रंगों के बीच प्यार की लाठियां बरसी, देखें VIDEO

तिजोरी या गल्ले में रखते हैं बादशाह से मिली खर्ची : बादशाह की सवारी के दौरान लोगों में खर्ची लूटने की होड़ मची रहती है. दरअसल, सवारी के दौरान बादशाह गुलाल रूपी पुड़िया अशर्फियां के रूप में जनता पर लुटाते हैं और जिसके हाथ में गुलाल रूपी पुड़िया आती है, वह उसे सहेज कर रखते हैं. बादशाह से मिली खर्ची को लक्ष्मी का रूप मानकर लोग इसकी पूजा भी करते हैं. यही वजह है कि बादशाह से मिली खर्ची को लोग तिजोरी और गल्ले में रखते हैं. लोगों को विश्वास है कि ऐसा करने से उनके व्यापार में बरकत होगी. यही वजह है कि बादशाह से मिली खर्ची को पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं. बताया जाता है कि नगर भ्रमण के दौरान बादशाह करीब सवा लाख गुलाल की पुड़िया खर्ची के रूप में जनता में लुटा देते हैं. देर शाम तक बादशाह की सवारी निकली गई. बादशाह की सवारी के दौरान तीन टन से भी अधिक लाल गुलाल का उपयोग होता है. ऐसा माना जाता है कि लाल रंग लक्ष्मी माता को पसंद है. यही वजह है कि बादशाह की सवारी में लाल के अलावा अन्य किसी भी रंग की गुलाल का उपयोग नहीं होता. सवारी के दौरान इतनी लाल रंग की गुलाल उड़ाई जाती है कि हवा के साथ आसपास के घरों और इमारतो में ही नहीं सड़क पर भी गुलाल की मोटी परत जम जाती है.

ऐसे शुरू हुई बादशाह की सवारी : बादशाह अकबर के नवरत्नों में एक टोडरमल अग्रवाल थे. एक बार जब बादशाह अकबर जंगल में शिकार खेलने गए थे तब उनके साथ टोडरमल अग्रवाल भी थे. तब डाकुओं ने अचानक हमला कर दिया और अकबर और उसके लवाजमे को घेर लिया. टोडरमल वाक चातुर्य में माहिर थे. उनका हुनर काम आया. टोडरमल ने बादशाह अकबर के साथ लवाजमे में शामिल लोगों की जान बचाई बल्कि लूटने से भी बचा लिया. इससे बादशाह अकबर इतना खुश हुए कि उसने टोडरमल अग्रवाल को ढाई दिन के लिए अपनी बादशाहत सौंप दी थी. बादशाहत मिलने के बाद टोडरमल ने नगर भ्रमण करते हुए गरीब और आमजन पर खूब धन लुटाया. इस घटना की याद में ही ब्यावर में बादशाह की सवारी निकलने की परंपरा अग्रवाल समाज ने 173 वर्ष पहले शुरू की थी. अंग्रेजों के जमाने में भी बादशाह की सवारी के परंपरा निभाई जाती रही. इसके लिए उसे वक्त ब्यावर के संस्थापक डिक्सन ने बादशाह की सवारी के लिए राजकोष की व्यवस्था भी की थी.

पढ़ें. देवरों ने जमकर लगाए रंग तो भाभियों ने बरसाए कोड़े, जानिए क्या है ये कोड़ा मार होली की प्रथा

सद्भाव का प्रतीक है बादशाह की सवारी : बादशाह की सवारी के लिए बादशाह अग्रवाल समाज से कोई व्यक्ति बनता है. बादशाह को पारंपरिक वस्त्र पहने और श्रृंगार करने का तमाम जिम्मा अग्रवाल समाज के लोग ही निभाते हैं, जबकि ब्राह्मण समाज की ओर से बीरबल को पारंपरिक रूप से तैयार किया जाता है. जैन समाज की ओर से बादशाह की सवारी में शामिल लोगों के लिए ठंडाई की व्यवस्था की जाती है. ब्यावर में मुस्लिम समाज के लोग भी बादशाह की सवारी में अपना सहयोग देते हैं. विभिन्न धर्म और समाज के लोगों की बादशाह की सवारी में भागीदारी रहती है. यही वजह है कि ब्यावर के बादशाह की सवारी सद्भाव का प्रतीक बन गई है. बादशाह की सवारी उपखंड कार्यालय के सामने से होकर जब गुजरती है तो कार्यालय से सवारी पर जमकर गुलाल उड़ाई जाती है. इसके जवाब में सवारी में शामिल लोग भी जमकर गुलाल उड़ाते हैं. इसके बाद बादशाह की ओर से ब्यावर एसडीएम को फरमान दिया है. यह फरमान एक तरह से ब्यावर की जनसमस्याएं होती हैं.

बादशाह ने यह सुनाया फरमान : फरमान के तहत ब्यावर में मेडिकल कॉलेज और लॉ कॉलेज खोले जाएं. सुभाष उद्यान स्थित बिचड़ली तालाब में फैली जलकुंभी की जल्द से जल्द सफाई करवाई जाए और सौंदर्य करण के कार्य सुभाष उद्यान में कराया जाए. ब्यावर शहर में स्मैक और अन्य मादक पदार्थों का सेवन युवाओं में बढ़ता जा रहा है, जिसकी रोकथाम के लिए पुलिस प्रशासन कड़े कदम उठाए. शहर में प्रतिदिन पनप रही आपराधिक गतिविधियों से जुड़े गिरोह को खत्म किया जाए. ब्यावर शहर को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किया जाए. इसके लिए प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा जाए. शहर में गिब्सन हॉस्टल जैसे अनेक स्थानों पर सालों से कचरा का विशालकाय ढेर पड़ा है, इसे साफ करवा कर शहर को स्वच्छ सुंदर एवं स्वस्थ रखने की ओर कदम बढ़ाए जाएं.

शान-ओ-शौकत से निकली बादशाह की सवारी.

ब्यावर. जिले का सुप्रसिद्ध बादशाह का मेला मंगलवार को आयोजित किया गया. शान-ओ-शौकत के ब्यावर में बादशाह की सवारी निकली गई. बादशाह की सवारी के बीच बीरबल नाचते गाते शामिल हुए. बादशाह से खर्ची पाने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. प्रजा रूपी जनता में बादशाह ने खर्ची रूपी खूब गुलाल उड़ाई. इससे ब्यावर शहर गुलाल से अट गया. बादशाह की सवारी ब्यावर एसडीएम कार्यालय के सामने से गुजरी तो बादशाह ने एसडीएम को फरमान दे डाला. आइए जानते हैं क्या है इस बार का बादशाह का फरमान.

बादशाह सवारी मेला समिति के संयोजक भरत मंगल ने बताया कि ब्यावर में सुप्रसिद्ध बादशाह की सवारी मंगलवार को धूमधाम से निकाली गई. बादशाह की सवारी देखने और खर्ची लूटने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े. बादशाह की सवारी के दौरान हर तरफ गुलाल ही गुलाल उड़ती हुई नजर आई. 173 वर्ष पहले ब्यावर में शुरू हुई बादशाह की सवारी की परंपरा को स्थानीय लोग पूरी शिद्दत के साथ निभाते हैं. होली के दूसरे दिन यानी मंगलवार को बादशाह की सवारी का आयोजन हुआ. अग्रवाल समाज की ओर से बादशाह को तैयार किया गया. परंपरागत वस्त्र पहन कर बादशाह का मनमोहक श्रृंगार किया गया. इस बार रोशन प्रकाश सिंहल को बादशाह और वजीर श्यामसुंदर गर्ग को बनाया गया. बीरबल की भूमिका मुकेश उपाध्याय ने निभाई. बादशाह की सवारी आने पर कई सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गर्म जोशी के साथ स्वागत किया. बादशाह के आगमन पर जमकर लाल गुलाल उड़ाई गई. इस दौरान बादशाह ने भी प्रजा रूपी जनता पर खूब खर्ची लुटाई. बादशाह की सवारी निकलने से पहले जैन समाज की ओर से सवारी में शामिल हजारों लोगों को ठंडाई पिलाई गई.

पढ़ें. हंसी-ठिठोली और उड़ते रंगों के बीच प्यार की लाठियां बरसी, देखें VIDEO

तिजोरी या गल्ले में रखते हैं बादशाह से मिली खर्ची : बादशाह की सवारी के दौरान लोगों में खर्ची लूटने की होड़ मची रहती है. दरअसल, सवारी के दौरान बादशाह गुलाल रूपी पुड़िया अशर्फियां के रूप में जनता पर लुटाते हैं और जिसके हाथ में गुलाल रूपी पुड़िया आती है, वह उसे सहेज कर रखते हैं. बादशाह से मिली खर्ची को लक्ष्मी का रूप मानकर लोग इसकी पूजा भी करते हैं. यही वजह है कि बादशाह से मिली खर्ची को लोग तिजोरी और गल्ले में रखते हैं. लोगों को विश्वास है कि ऐसा करने से उनके व्यापार में बरकत होगी. यही वजह है कि बादशाह से मिली खर्ची को पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं. बताया जाता है कि नगर भ्रमण के दौरान बादशाह करीब सवा लाख गुलाल की पुड़िया खर्ची के रूप में जनता में लुटा देते हैं. देर शाम तक बादशाह की सवारी निकली गई. बादशाह की सवारी के दौरान तीन टन से भी अधिक लाल गुलाल का उपयोग होता है. ऐसा माना जाता है कि लाल रंग लक्ष्मी माता को पसंद है. यही वजह है कि बादशाह की सवारी में लाल के अलावा अन्य किसी भी रंग की गुलाल का उपयोग नहीं होता. सवारी के दौरान इतनी लाल रंग की गुलाल उड़ाई जाती है कि हवा के साथ आसपास के घरों और इमारतो में ही नहीं सड़क पर भी गुलाल की मोटी परत जम जाती है.

ऐसे शुरू हुई बादशाह की सवारी : बादशाह अकबर के नवरत्नों में एक टोडरमल अग्रवाल थे. एक बार जब बादशाह अकबर जंगल में शिकार खेलने गए थे तब उनके साथ टोडरमल अग्रवाल भी थे. तब डाकुओं ने अचानक हमला कर दिया और अकबर और उसके लवाजमे को घेर लिया. टोडरमल वाक चातुर्य में माहिर थे. उनका हुनर काम आया. टोडरमल ने बादशाह अकबर के साथ लवाजमे में शामिल लोगों की जान बचाई बल्कि लूटने से भी बचा लिया. इससे बादशाह अकबर इतना खुश हुए कि उसने टोडरमल अग्रवाल को ढाई दिन के लिए अपनी बादशाहत सौंप दी थी. बादशाहत मिलने के बाद टोडरमल ने नगर भ्रमण करते हुए गरीब और आमजन पर खूब धन लुटाया. इस घटना की याद में ही ब्यावर में बादशाह की सवारी निकलने की परंपरा अग्रवाल समाज ने 173 वर्ष पहले शुरू की थी. अंग्रेजों के जमाने में भी बादशाह की सवारी के परंपरा निभाई जाती रही. इसके लिए उसे वक्त ब्यावर के संस्थापक डिक्सन ने बादशाह की सवारी के लिए राजकोष की व्यवस्था भी की थी.

पढ़ें. देवरों ने जमकर लगाए रंग तो भाभियों ने बरसाए कोड़े, जानिए क्या है ये कोड़ा मार होली की प्रथा

सद्भाव का प्रतीक है बादशाह की सवारी : बादशाह की सवारी के लिए बादशाह अग्रवाल समाज से कोई व्यक्ति बनता है. बादशाह को पारंपरिक वस्त्र पहने और श्रृंगार करने का तमाम जिम्मा अग्रवाल समाज के लोग ही निभाते हैं, जबकि ब्राह्मण समाज की ओर से बीरबल को पारंपरिक रूप से तैयार किया जाता है. जैन समाज की ओर से बादशाह की सवारी में शामिल लोगों के लिए ठंडाई की व्यवस्था की जाती है. ब्यावर में मुस्लिम समाज के लोग भी बादशाह की सवारी में अपना सहयोग देते हैं. विभिन्न धर्म और समाज के लोगों की बादशाह की सवारी में भागीदारी रहती है. यही वजह है कि ब्यावर के बादशाह की सवारी सद्भाव का प्रतीक बन गई है. बादशाह की सवारी उपखंड कार्यालय के सामने से होकर जब गुजरती है तो कार्यालय से सवारी पर जमकर गुलाल उड़ाई जाती है. इसके जवाब में सवारी में शामिल लोग भी जमकर गुलाल उड़ाते हैं. इसके बाद बादशाह की ओर से ब्यावर एसडीएम को फरमान दिया है. यह फरमान एक तरह से ब्यावर की जनसमस्याएं होती हैं.

बादशाह ने यह सुनाया फरमान : फरमान के तहत ब्यावर में मेडिकल कॉलेज और लॉ कॉलेज खोले जाएं. सुभाष उद्यान स्थित बिचड़ली तालाब में फैली जलकुंभी की जल्द से जल्द सफाई करवाई जाए और सौंदर्य करण के कार्य सुभाष उद्यान में कराया जाए. ब्यावर शहर में स्मैक और अन्य मादक पदार्थों का सेवन युवाओं में बढ़ता जा रहा है, जिसकी रोकथाम के लिए पुलिस प्रशासन कड़े कदम उठाए. शहर में प्रतिदिन पनप रही आपराधिक गतिविधियों से जुड़े गिरोह को खत्म किया जाए. ब्यावर शहर को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किया जाए. इसके लिए प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा जाए. शहर में गिब्सन हॉस्टल जैसे अनेक स्थानों पर सालों से कचरा का विशालकाय ढेर पड़ा है, इसे साफ करवा कर शहर को स्वच्छ सुंदर एवं स्वस्थ रखने की ओर कदम बढ़ाए जाएं.

Last Updated : Mar 26, 2024, 10:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.