गिरिडीह: 70 वर्षीय रामदयाल महतो उर्फ बच्चन ने नक्सलवाद छोड़ दिया है. शनिवार को 10 लाख के इस इनामी नक्सली ने सरेंडर कर दिया है. अब इसकी कहानी सामने आई है. रामदयाल की जिंदगी काफी उतार चढ़ाव भरी रही है. रामदयाल महतो का लंबा आपराधिक इतिहास रहा. झारखंड में इसने कई नक्सली वारदातों को अंजाम दिया. लेकिन इसके नक्सली बनने की कहानी काफी दिलचस्प है.
गिरिडीह पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पीरटांड थाना इलाके के पिपराडीह का निवासी गुलाबचंद महतो के इस पुत्र ने मैट्रिक तक की पढ़ाई की. मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद टीचर ट्रेनिंग स्कूल में भर्ती होने की कोशिश की. इंटरव्यू भी दिया लेकिन सफलता नहीं मिली. फिर बीएमपी में शामिल होने दानापुर गया. यहां बीएमपी में इसका चयन हो गया. यह बात 1971-72 की थी. बीएमपी में चयन होने के बाद दानापुर कैंट में 1971-72 में हैजा फैला हुआ था. ऐसे में रामदयाल ने योगदान ही नहीं दिया. यहां के बाद रामदयाल ने वन विभाग में वनरक्षी के पद पर अप्लाई किया जिसमें चयन नहीं हुआ. रामदयाल खोरठा, संथाली एवं हिन्दी के जानकार हैं.
एमसीसी ने किया प्रभावित होर संगठन में शामिल
1989-90 में किसान कमेटी का बोलबाल इनके क्षेत्र में होने लगा. ऐसे में रामदयाल किसान कमेटी में शामिल हो गया. किसान कमेटी में शामिल होने के बाद धान काटने, फसल जब्त करने का काम करने लगा. वर्ष 1996-97 में पहली बार इन्हें किसान कमेटी का नेतृत्व मिला. आगे चलकर इन्हें मुख्य संगठन ने एरिया कमांडर फिर सब जोनल मेंबर, जोनल मेंबर और फिर स्पेशल एरिया कमेटी का पद भी दिया गया.
शीर्ष नेता से सीधा सम्पर्क
गिरिडीह पुलिस के मुताबिक हाल के समय में रामदयाल भले ही भाकपा माओवादी के जोनल कमेटी मेंबर था. लेकिन संगठन के शीर्ष नेता प्रशांत बोस, आशुतोष सोरेन, प्रयाग मांझी, अनल, मिसिर बेसरा एवं अन्य से सीधा संपर्क में था. हाल के दिनों में पार्टी में नीतिगत सिद्धांत से इतर काम किये जाने से ये नाराज चल रहे थे.
सुझाव को नकारा तो दस्ता से लिया किनारा
गिरिडीह पुलिस के मुताबिक 01 - 02 अगस्त 2024 को छलछलवा झरना के पास पार्टी की बैठक हुई. जिसमें इसके सुझाव को अन्य सदस्यों द्वारा नकार दिया गया. इसके बाद ये अपनी बीमारी एवं अधिक उम्र का बहाना बनाकर चलंत दस्ता से बाहर आ गया. इस बीच पुलिस के द्वारा लगातार छापामारी के कारण पकड़े जाने के भय से ये गिरिडीह पुलिस एवं सीआरपीएफ 154 तथा 07 बटालियन के पदाधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया.
40 दिनों से थी समर्पण की चर्चा
नक्सली बच्चन को भले ही शनिवार को मीडिया के सामने लाया गया हो लेकिन इनके आत्मसमर्पण की चर्चा पिछले 40 दिनों से थी. 40 दिन पहले ही ईटीवी भारत ने नक्सली के आत्मसमर्पण की खबर को प्रकाशित किया था. हालांकि उस वक्त पुलिस ने ऐसी किसी भी सूचना की पुष्टि नहीं की थी.
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