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फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में आजम खान को बड़ी राहत; सजा पर रोक, पत्नी-बेटे को बेल - Azam family got relief - AZAM FAMILY GOT RELIEF

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान एवं उनके परिवार के लिए राहत भरी खबर है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान को मिली सात साल की सजा पर रोक लगा दी है, हालांकि पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम की सजाओं पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन तीनों को जमानत दे दी गई है.

आजम परिवार को राहत.
आजम परिवार को राहत. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 2:43 PM IST

Updated : May 24, 2024, 7:18 PM IST

प्रयागराज : फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में हुईं सजा में आज़म खान के परिवार को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने आजम, उनकी पत्नी तंजीम और बेटे अब्दुल्ला की जमानत मंजूर कर ली है. साथ ही आजम खान को इस मामले में दोषसिद्ध करने के आदेश को भी निलंबित कर दिया है. हालाकि कोर्ट ने तंजीम फातिमा और अब्दुल्ला की दोषसिद्धी को बरकरार रखा है.

भाजपा विधायक ने कहा- सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे. (VIDEO CREDIT ETV BHARAT)

आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को एसीजेएम एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 को 7 सात वर्ष कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ अपील एडीजे एमपी-एमएलए कोर्ट रामपुर ने 18 दिसंबर 2023 को खारिज कर दी. इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई. याचिका पर न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह सुनवाई ने सुनवाई की.

आजम खान के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले में दलील रखी. उनका कहना था कि दोनों जन्म प्रमाण पत्र वैधानिक संस्थाओं द्वारा जारी किए गए हैं. इसलिए इनको फर्जी नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि रामपुर नगर निगम से जारी जन्म प्रमाण पत्र में आजम खान और तंजीम फातिमा ने कोई हलफनामा नहीं दिया है, उनके एक नजदीकी रिश्तेदार द्वारा बताई गई तिथि के आधार पर बना है. नगर निगम रामपुर से ऐसा कोई रिकॉर्ड अभियोजन उपलब्ध नहीं कर सका.

जबकि याचिका के विरोध में अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव का कहना था कि इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अब्दुल्ला आजम का पासपोर्ट बनाया गया तथा अन्य सरकारी कार्यों में भी यही जन्म प्रमाण पत्र उपयोग किए गए तथा एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत जालसाजी का काम किया गया.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यह मामला जघन्य अपराध का नहीं है. ट्रायल के दौरान अभियुक्तगण जमानत पर थे और उन्होंने जमानत का दुरुपयोग नहीं किया. तंजीम फातिमा की उम्र 72 वर्ष है, जबकि आजम खान 74 साल के हैं और कई पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं. जमानत पर रिहा किए जाने पर उनके भाग जाने की संभावना नहीं है. तंजीम फातिमा अब तक कुल सुनाई गई 7 वर्ष की सजा में से 1 साल 4 माह, आजम खान 2 साल 5 माह और अब्दुल्ला आजम खान 1 साल 4 माह की सजा काट चुके हैं. कोर्ट ने इस आधार पर तीनों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जबकि सजा को निलंबित करने के प्रश्न पर कोर्ट ने आजम खान के प्रकरण को अन्य दोनों के मामले से अलग पाते हुए आजम खान की दोष सिद्धि को निलंबित कर दिया है. साथ ही तंजीम फातिमा तथा अब्दुल्लाह आजम की सजा निलंबित करने की अर्जी खारिज कर दी है.

बता दें कि कि आजम खान उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे को अब्दुल्ला को रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने सात-सात साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है. सजा के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर हाईकोर्ट में दाखिल की गई.

विधानसभा चुनाव 2017 में अब्दुल्ला आजम स्वार से विधायक चुने गए थे. प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां तथा बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत की थी. इस पर हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 दर्ज है. इनके खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया कि अब्दुल्ला आजम का 28 जून 2012 को नगर निगम रामपुर से जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया, जबकि दूसरा जन्म प्रमाण पत्र 21 जनवरी 2015 को नगर निगम लखनऊ से बनवाया गया.

भाजपा विधायक ने कहा- सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे

इस विषय पर रामपुर से शहर विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि 3 जनवरी 2019 को हमने यह मुकदमा दर्ज कराया था. जिसमें अब्दुल्लाह आजम के दो बर्थ सर्टिफिकेट का जिक्र था. यह मुकदमा पूरा पेपर एविडेंस के आधार पर है.आजम ने अपने बेटे को विधायक बनाने के लिए पहले रामपुर का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया और जब रामपुर के बर्थ सर्टिफिकेट से उनकी एज पूरी नहीं हुई तो लखनऊ का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाकर उससे इनको विधायक बनवाया, पूरी जांच होने के बाद यह सही पाया गया और 18 अक्टूबर 2023 को रामपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने इनको सजा दी. उस सजा के अगेंस्ट यह लोग एमपी एमएलए एडीजी कोर्ट गए, वहां से भी इस सजा को कंटिन्यू कर गया फिर इसके बाद इन लोगों ने उच्च न्यायालय में इसकी अपील की, जिसके अंतर्गत आज इनको बेल दी गई है. हम आर्डर की स्टडी कर रहे हैं और इसके बाद इस आर्डर को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे.

यह भी पढ़ें :दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खान, बेटे अब्दुल्ला और पत्नी तजीन फात्मा को सात-सात साल कैद की सजा

यह भी पढ़ें :एक और मुश्किल में आजम परिवार: किसानों की जमीन कब्जाने के मामले में सपा नेता, पत्नी, 2 बेटों पर आरोप तय - Charges Framed Against Azam Khan

यह भी पढ़ें :डूंगरपुर प्रकरण में आज़म खान को कोर्ट ने दिया बहस का अंतिम अवसर

प्रयागराज : फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में हुईं सजा में आज़म खान के परिवार को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है. कोर्ट ने आजम, उनकी पत्नी तंजीम और बेटे अब्दुल्ला की जमानत मंजूर कर ली है. साथ ही आजम खान को इस मामले में दोषसिद्ध करने के आदेश को भी निलंबित कर दिया है. हालाकि कोर्ट ने तंजीम फातिमा और अब्दुल्ला की दोषसिद्धी को बरकरार रखा है.

भाजपा विधायक ने कहा- सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे. (VIDEO CREDIT ETV BHARAT)

आजम खान, उनकी पत्नी और बेटे को एसीजेएम एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2023 को 7 सात वर्ष कैद और जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस आदेश के खिलाफ अपील एडीजे एमपी-एमएलए कोर्ट रामपुर ने 18 दिसंबर 2023 को खारिज कर दी. इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई. याचिका पर न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह सुनवाई ने सुनवाई की.

आजम खान के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले में दलील रखी. उनका कहना था कि दोनों जन्म प्रमाण पत्र वैधानिक संस्थाओं द्वारा जारी किए गए हैं. इसलिए इनको फर्जी नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि रामपुर नगर निगम से जारी जन्म प्रमाण पत्र में आजम खान और तंजीम फातिमा ने कोई हलफनामा नहीं दिया है, उनके एक नजदीकी रिश्तेदार द्वारा बताई गई तिथि के आधार पर बना है. नगर निगम रामपुर से ऐसा कोई रिकॉर्ड अभियोजन उपलब्ध नहीं कर सका.

जबकि याचिका के विरोध में अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव का कहना था कि इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अब्दुल्ला आजम का पासपोर्ट बनाया गया तथा अन्य सरकारी कार्यों में भी यही जन्म प्रमाण पत्र उपयोग किए गए तथा एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत जालसाजी का काम किया गया.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यह मामला जघन्य अपराध का नहीं है. ट्रायल के दौरान अभियुक्तगण जमानत पर थे और उन्होंने जमानत का दुरुपयोग नहीं किया. तंजीम फातिमा की उम्र 72 वर्ष है, जबकि आजम खान 74 साल के हैं और कई पुरानी बीमारियों से पीड़ित हैं. जमानत पर रिहा किए जाने पर उनके भाग जाने की संभावना नहीं है. तंजीम फातिमा अब तक कुल सुनाई गई 7 वर्ष की सजा में से 1 साल 4 माह, आजम खान 2 साल 5 माह और अब्दुल्ला आजम खान 1 साल 4 माह की सजा काट चुके हैं. कोर्ट ने इस आधार पर तीनों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. जबकि सजा को निलंबित करने के प्रश्न पर कोर्ट ने आजम खान के प्रकरण को अन्य दोनों के मामले से अलग पाते हुए आजम खान की दोष सिद्धि को निलंबित कर दिया है. साथ ही तंजीम फातिमा तथा अब्दुल्लाह आजम की सजा निलंबित करने की अर्जी खारिज कर दी है.

बता दें कि कि आजम खान उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे को अब्दुल्ला को रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने सात-सात साल कैद और जुर्माने की सजा सुनाई है. सजा के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर हाईकोर्ट में दाखिल की गई.

विधानसभा चुनाव 2017 में अब्दुल्ला आजम स्वार से विधायक चुने गए थे. प्रतिद्वंदी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां तथा बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत की थी. इस पर हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 दर्ज है. इनके खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया कि अब्दुल्ला आजम का 28 जून 2012 को नगर निगम रामपुर से जन्म प्रमाण पत्र बनवाया गया, जबकि दूसरा जन्म प्रमाण पत्र 21 जनवरी 2015 को नगर निगम लखनऊ से बनवाया गया.

भाजपा विधायक ने कहा- सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे

इस विषय पर रामपुर से शहर विधायक आकाश सक्सेना ने कहा कि 3 जनवरी 2019 को हमने यह मुकदमा दर्ज कराया था. जिसमें अब्दुल्लाह आजम के दो बर्थ सर्टिफिकेट का जिक्र था. यह मुकदमा पूरा पेपर एविडेंस के आधार पर है.आजम ने अपने बेटे को विधायक बनाने के लिए पहले रामपुर का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया और जब रामपुर के बर्थ सर्टिफिकेट से उनकी एज पूरी नहीं हुई तो लखनऊ का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाकर उससे इनको विधायक बनवाया, पूरी जांच होने के बाद यह सही पाया गया और 18 अक्टूबर 2023 को रामपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने इनको सजा दी. उस सजा के अगेंस्ट यह लोग एमपी एमएलए एडीजी कोर्ट गए, वहां से भी इस सजा को कंटिन्यू कर गया फिर इसके बाद इन लोगों ने उच्च न्यायालय में इसकी अपील की, जिसके अंतर्गत आज इनको बेल दी गई है. हम आर्डर की स्टडी कर रहे हैं और इसके बाद इस आर्डर को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे.

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Last Updated : May 24, 2024, 7:18 PM IST
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