रायपुर : आयुष ग्राम के जरिए ग्रामीणों को आयुर्वेद की जानकारी देकर शिक्षित किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में भी 146 ब्लॉक के गांव में आयुष ग्राम विकसित किए जा रहे हैं. रायपुर में एक कार्यशाला के जरिए योजना की जानकारी दी गई. इस में जिला आयुर्वेद अधिकारियों और सभी ब्लॉक के के आयुष ग्राम के चिकित्सक शामिल हुए.
राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत बनेंगे आयुष ग्राम : आयुष विभाग की संचालक इफ्फत आरा ने कार्यशाला में बताया, "राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत छत्तीसगढ़ में 146 आयुष ग्राम विकसित किए जा रहे हैं. आयुष ग्राम के जरिए ग्रामीणों की सेहत का ध्यान रखा जाएगा. ग्रामीणों को आयुर्वेद, योग और आयुष पद्धतियों की जानकारी दी जाएगी ताकि वह स्वस्थ रहें. आयुष ग्राम में जनभागीदारी के जरिए विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाएगी."
"आयुष ग्राम में लोगों को पेड़ पौधों के औषधीय गुणों की जानकारी देकर जागरुक बनाना है. पौधारोपण और संरक्षण को बढ़ावा देना है." - डॉ. गजेन्द्र बघेल, सहायक संचालक सह राज्य कार्यक्रम प्रबंधक, आयुष विभाग
कार्यशाला का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना : शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, बिलासपुर के सह प्राध्यापक डॉ. विद्याभूषण पाण्डेय ने कार्यशाला में आयुर्विद्या के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "इसके माध्यम से स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों को आयुर्वेद के बारे में जागरुक करना है. स्कूलों में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करना है. स्थानीय स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर लोगों को आयुष की उपयोगिता के बारे में जानकारी देना है."
खास बात यह है कि कार्यशाला में आयुष अधिकारियों और चिकित्सकों को औषधीय पौधों से जुड़ी जानकारी भी दी गई. औषधीय गुणों से भरपूर स्टीविया, शतावरी, कालमेघ, लेमन ग्रास, केऊकंद, अश्वगंधा, सर्पगंधा जैसे 20 पौधों के पौधारोपण की बारीकियां बताई गई.