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6 दिसंबर को त्रेतायुग की तरह सजेगी अयोध्या; दशरथ महल में बजेगी शहनाई, बाजे गाजे के साथ निकलेगी श्री राम बरात

अयोध्या में राम विवाहोत्सव की परंपरा त्रेता युग से मानी जाती है. महाराज दशरथ के राजमहल में राम के विवाहोत्सव का अद्भुत आयोजन हुआ था,

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त्रेतायुग की तरह सजेगी अयोध्या. (Photo Credit; Trust Media Cell)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 22, 2024, 9:39 AM IST

अयोध्या: राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्री राम विवाह उत्सव में महाराजा दशरथ महल के राजभवन में शहनाई बजेगी. 6 दिसंबर को विवाह पंचमी पर भव्य बरात का भी निकाली जाएगी. रामनगरी अयोध्या के मंदिरों में श्री राम विवाह उत्सव की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पूरे शहर को एक बार फिर त्रेतायुग की तरह सजाया जा रहा है.

अयोध्या में राम विवाह उत्सव की परंपरा त्रेता युग से मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दौरान महाराज दशरथ के राजमहल में राम के विवाह उत्सव का अद्भुत आयोजन किया गया था, जिसमें पूरी दुनिया के राजा महाराजा और देवी देवता शामिल हुए थे. इसी परंपरा को आज भी निर्वाह किया जा रहा है. रामकोट क्षेत्र स्थित राम मंदिर के पूरब में महाराजा दशरथ का प्राचीन राजमहल बना हुआ है. जहां पर श्री राम विवाह उत्सव की तैयारी शुरू हो गई है.

एक दिसंबर से मंदिर प्रांगण के जगदगुरु राम दिनेशाचार्य के मुखारबिंदु से श्री राम कथा आयोजन के साथ विधि-विधान से पूरा किया जाएगा. इसमें धार्मिक अनुष्ठान के साथ हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक गणेश पूजा, तेल पूजा, हल्दी रस्म, मेहंदी रस्म के साथ राम बरात का आयोजन किया जाता है.

अयोध्या के दर्जनों मंदिर में भगवान राम और माता सीता के विवाह की झांकी का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा, लेकिन अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक दशरथ भवन में सिर्फ भगवान के बरात विदाई के ही आयोजन किए जाते हैं.

मान्यता है कि भगवान राम की बरात अयोध्या से जनकपुर पहुंची थी, जहां पर माता पिता के साथ विवाह संपन्न हुआ था. उसी परंपरा के मुताबिक आज भी इस दशरथ भवन में बरात का आयोजन किया जाएगा.

दशरथ महल के महंत बिंदुद्दाचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य के उत्तराधिकारी राम भूषण दास कृपालु ने बताया कि भगवान राम के त्रेता युग में भी जब भगवान श्रीराम तो पूर्व में ही मिथिला चले गए थे और उनकी बरात लेकर अयोध्या से महाराज दशरथ गए थे, उसी भावना को दृष्टि में रखकर बड़ी ही सुंदर बरात निकाली जाती है. सुंदर विवाह महोत्सव मनाया जाता है.

उन्होंने बताया कि इस बार विवाह उत्सव में चित्रकूट और महाराष्ट्र से शहनाई वादकों को बुलाया गया है. सभी रस्मों को पूरा करते हुए विवाह को संपन्न कराया जाएगा. बताया कि इस वर्ष 51 महिलाएं मंगल कलश लेकर बारात में शामिल होंगी. 6 दिसंबर को बरात में घोड़ा, हाथी, बाजे-गाजे के साथ दूल्हा बनकर श्री राम रथ पर सवार होंगे, जिसमें शामिल होने के लिए बिहार महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों के भक्त शामिल होने के लिए आ रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः अयोध्या के हर मंदिर की चौखट पर पहुंच रहे RSS के पदाधिकारी, जानिए क्या है वजह

अयोध्या: राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार श्री राम विवाह उत्सव में महाराजा दशरथ महल के राजभवन में शहनाई बजेगी. 6 दिसंबर को विवाह पंचमी पर भव्य बरात का भी निकाली जाएगी. रामनगरी अयोध्या के मंदिरों में श्री राम विवाह उत्सव की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पूरे शहर को एक बार फिर त्रेतायुग की तरह सजाया जा रहा है.

अयोध्या में राम विवाह उत्सव की परंपरा त्रेता युग से मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दौरान महाराज दशरथ के राजमहल में राम के विवाह उत्सव का अद्भुत आयोजन किया गया था, जिसमें पूरी दुनिया के राजा महाराजा और देवी देवता शामिल हुए थे. इसी परंपरा को आज भी निर्वाह किया जा रहा है. रामकोट क्षेत्र स्थित राम मंदिर के पूरब में महाराजा दशरथ का प्राचीन राजमहल बना हुआ है. जहां पर श्री राम विवाह उत्सव की तैयारी शुरू हो गई है.

एक दिसंबर से मंदिर प्रांगण के जगदगुरु राम दिनेशाचार्य के मुखारबिंदु से श्री राम कथा आयोजन के साथ विधि-विधान से पूरा किया जाएगा. इसमें धार्मिक अनुष्ठान के साथ हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक गणेश पूजा, तेल पूजा, हल्दी रस्म, मेहंदी रस्म के साथ राम बरात का आयोजन किया जाता है.

अयोध्या के दर्जनों मंदिर में भगवान राम और माता सीता के विवाह की झांकी का अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा, लेकिन अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक दशरथ भवन में सिर्फ भगवान के बरात विदाई के ही आयोजन किए जाते हैं.

मान्यता है कि भगवान राम की बरात अयोध्या से जनकपुर पहुंची थी, जहां पर माता पिता के साथ विवाह संपन्न हुआ था. उसी परंपरा के मुताबिक आज भी इस दशरथ भवन में बरात का आयोजन किया जाएगा.

दशरथ महल के महंत बिंदुद्दाचार्य देवेंद्र प्रसादाचार्य के उत्तराधिकारी राम भूषण दास कृपालु ने बताया कि भगवान राम के त्रेता युग में भी जब भगवान श्रीराम तो पूर्व में ही मिथिला चले गए थे और उनकी बरात लेकर अयोध्या से महाराज दशरथ गए थे, उसी भावना को दृष्टि में रखकर बड़ी ही सुंदर बरात निकाली जाती है. सुंदर विवाह महोत्सव मनाया जाता है.

उन्होंने बताया कि इस बार विवाह उत्सव में चित्रकूट और महाराष्ट्र से शहनाई वादकों को बुलाया गया है. सभी रस्मों को पूरा करते हुए विवाह को संपन्न कराया जाएगा. बताया कि इस वर्ष 51 महिलाएं मंगल कलश लेकर बारात में शामिल होंगी. 6 दिसंबर को बरात में घोड़ा, हाथी, बाजे-गाजे के साथ दूल्हा बनकर श्री राम रथ पर सवार होंगे, जिसमें शामिल होने के लिए बिहार महाराष्ट्र गुजरात मध्य प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों के भक्त शामिल होने के लिए आ रहे हैं.

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