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हे भगवान.. पैसे बनाने के लिए फाड़ दिया था पेट! अब डॉक्टर को भरना होगा इतना लाख जुर्माना - Court Fined Doctor In Aurangabad

2008 में महिला ने आरोप लगाया था कि डॉक्टर ने पैसे के लिए पेट चीर दिया था. मामले में 16 साल बाद इंसाफ मिला है.

कॉसेप्ट फोटो.
कॉसेप्ट फोटो. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 7, 2024, 4:03 PM IST

औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद में डॉक्टर द्वारा लापरवाहीपूर्ण इलाज करने के आरोप में एक महिला उपभोक्ता को डेढ़ लाख रुपए देने के लिए उपभोक्ता न्यायालय ने आदेश दिया है. यह मामला 16 साल पहले का है. दरअसल, जिला उपभोक्ता न्यायालय के आदेश के खिलाफ डॉक्टर ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की थी. राज्य उपभोक्ता फोरम ने भी जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को सही ठहराया है और पीड़ित को डेढ़ लाख रुपए देने का आदेश दिया है.

उपभोक्ता कोर्ट ने अर्जी को खारिज : औरंगाबाद जिला उपभोक्ता अदालत के सदस्य बद्रीनारायण सिंह ने बताया कि, कोर्ट ने आवेदिका के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए डॉक्टर को आदेश दिया था कि 35 दिनों के अंदर 20 हजार मुआवजा और 13 हजार उपचार राशि वापस करें. समय पर पैसे नहीं देने की स्थिति में 9 प्रतिशत ब्याज भी लगेगा. वहीं दूसरी ओर आरोपी डॉक्टर की कुछ दिन पहले मौत हो गई थी. उसके बाद डॉक्टर की पत्नी ने राज्य उपभोक्ता कोर्ट में अर्जी लगाई. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय
औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय (ETV Bharat)

''राज्य उपभोक्ता फोरम ने जिला फोरम के आदेश को कायम रखा. उसके बाद आरोपी डॉक्टर की पत्नी की ओर से 45 हजार रुपये का चेक पीड़िता को प्रदान किया गया.''- बद्रीनारायण सिंह, जिला उपभोक्ता अदालत के सदस्य

2008 में दर्ज हुआ था मामला : मामले के बारे में बताते हुए अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि जिला उपभोक्ता कोर्ट के वाद संख्या -38/08 में आवेदिका अरवल जिला के करपी थाना के ग्राम रामपुरचाई की रहने रुणा देवी ने डाक्टर पर आरोप लगाया था. महिला ने औरंगाबाद के डॉ. परवेज पर 24 अप्रैल 2008 को लापरवाही से बिना बीमारी के ही उनका पेट फाड़ने का आरोप लगाया था.

''आवेदन में पीड़िता का कहना था कि ऑपरेशन के नाम पर पैसा वसूलने के लिए पेट चीर दिया गया था. उसके बाद स्थिति गंभीर होने पर रेफर कर दिया गया था.''- सतीश कुमार स्नेही, अधिवक्ता

पेट में पथरी फंसी हुई थी-डॉक्टर : इस सम्बंध में डॉक्टर की ओर से दलील दी गई थी कि, ''पेट में पथरी फंसी हुई थी, जिसे निकाला नहीं जा सका. मरीज को इंदिरा गांधी चिकित्सा विज्ञान संस्थान पटना (IGIMS) रेफर कर दिया था.''

औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय
औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय (ETV Bharat)

16 साल बाद न्याय मिला : आवेदिका ने 18 हजार रुपए आपरेशन खर्च और शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लिए 1.5 लाख मुआवजा हेतु जिला उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में पीड़ित को आखिरकार 16 साल बाद न्याय मिला है. मामले की चर्चा हर तरफ हो रही है.

औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद में डॉक्टर द्वारा लापरवाहीपूर्ण इलाज करने के आरोप में एक महिला उपभोक्ता को डेढ़ लाख रुपए देने के लिए उपभोक्ता न्यायालय ने आदेश दिया है. यह मामला 16 साल पहले का है. दरअसल, जिला उपभोक्ता न्यायालय के आदेश के खिलाफ डॉक्टर ने राज्य उपभोक्ता फोरम में अपील की थी. राज्य उपभोक्ता फोरम ने भी जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को सही ठहराया है और पीड़ित को डेढ़ लाख रुपए देने का आदेश दिया है.

उपभोक्ता कोर्ट ने अर्जी को खारिज : औरंगाबाद जिला उपभोक्ता अदालत के सदस्य बद्रीनारायण सिंह ने बताया कि, कोर्ट ने आवेदिका के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए डॉक्टर को आदेश दिया था कि 35 दिनों के अंदर 20 हजार मुआवजा और 13 हजार उपचार राशि वापस करें. समय पर पैसे नहीं देने की स्थिति में 9 प्रतिशत ब्याज भी लगेगा. वहीं दूसरी ओर आरोपी डॉक्टर की कुछ दिन पहले मौत हो गई थी. उसके बाद डॉक्टर की पत्नी ने राज्य उपभोक्ता कोर्ट में अर्जी लगाई. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय
औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय (ETV Bharat)

''राज्य उपभोक्ता फोरम ने जिला फोरम के आदेश को कायम रखा. उसके बाद आरोपी डॉक्टर की पत्नी की ओर से 45 हजार रुपये का चेक पीड़िता को प्रदान किया गया.''- बद्रीनारायण सिंह, जिला उपभोक्ता अदालत के सदस्य

2008 में दर्ज हुआ था मामला : मामले के बारे में बताते हुए अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि जिला उपभोक्ता कोर्ट के वाद संख्या -38/08 में आवेदिका अरवल जिला के करपी थाना के ग्राम रामपुरचाई की रहने रुणा देवी ने डाक्टर पर आरोप लगाया था. महिला ने औरंगाबाद के डॉ. परवेज पर 24 अप्रैल 2008 को लापरवाही से बिना बीमारी के ही उनका पेट फाड़ने का आरोप लगाया था.

''आवेदन में पीड़िता का कहना था कि ऑपरेशन के नाम पर पैसा वसूलने के लिए पेट चीर दिया गया था. उसके बाद स्थिति गंभीर होने पर रेफर कर दिया गया था.''- सतीश कुमार स्नेही, अधिवक्ता

पेट में पथरी फंसी हुई थी-डॉक्टर : इस सम्बंध में डॉक्टर की ओर से दलील दी गई थी कि, ''पेट में पथरी फंसी हुई थी, जिसे निकाला नहीं जा सका. मरीज को इंदिरा गांधी चिकित्सा विज्ञान संस्थान पटना (IGIMS) रेफर कर दिया था.''

औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय
औरंगाबाद उपभोक्ता न्यायालय (ETV Bharat)

16 साल बाद न्याय मिला : आवेदिका ने 18 हजार रुपए आपरेशन खर्च और शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के लिए 1.5 लाख मुआवजा हेतु जिला उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में पीड़ित को आखिरकार 16 साल बाद न्याय मिला है. मामले की चर्चा हर तरफ हो रही है.

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