पटना: बिहार के समस्तीपुर के रहनेवाले युवा और प्रतिभावान इंजीनियर अतुल सुभाष ने कथित तौर पर पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली. दहेज उत्पीड़न मामले के आरोपी अतुल सुभाष के आत्महत्या की घटना ने पूरे देश में लोगों को झकझोर दिया. इसके बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 498 (A) जो अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में तब्दील हो चुकी है, उसके दुरुपयोग बहस छिड़ गयी.
क्यों चर्चा में है 498 (A): अतुल सुभाष के आत्महत्या करने के बाद पिछले कुछ दिनों से लोग 498-ए के कथित दुरुपयोग पर चर्चा कर रहे हैं. कानून के जानकारों का भी मानना है कि 498-ए के तहत वास्तविक मामलों की संख्या कम आती है. कानून के जानकारों का मानना है कि इसमें अभी भी बदलाव की जरूरत है, जैसे कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले जांच होनी चाहिए. मृत इंजीनियर अतुल सुभाष ने भी आत्महत्या करने से पहले जो नोट लिखा था उसमें इस कानून के दुरुपयोग की तस्वीर को उजागर करने की कोशिश की.
"498 ए कानून महिलाओं को प्रताड़ना से बचने के लिए बनाया गया था. आज की तारीख में कानून का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है. बेंगलुरु की घटना दिल दहला देने वाली है. सुप्रीम कोर्ट या सरकार को पूरे मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है. कानून का दुरुपयोग काम हो इसके लिए पहल करने की दरकार है."- अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी
क्या है घटनाः नौ दिसंबर को बेंगलुरू में अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली थी. उस पर जौनपुर के कुटुंब न्यायालय में मुकदमा चल रहा था. आत्महत्या करने से पहले 24 पेज का नोट लिखा था जिसमें उसने पत्नी, सास, साला और कुछ परिजनों पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाये थे. एक वीडियो जारी कर क्यों आत्महत्या करने जा रहा है, इसपर विस्तार से चर्चा की. लोगों का मानना है कि अतुल सुभाष एकमात्र ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जिन्होंने पत्नी से प्रताड़ित होकर आत्महत्या की. ऐसे हजारों पुरुष हैं जो प्रताड़ना से तंग आकर मौत को गले लगा लेते हैं.
क्या कहते हैं कानून के जानकारः पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार कहते हैं कि बेंगलुरु में जिस तरीके से इंजीनियर ने वीडियो बनाकर आत्महत्या की वह सभ्य समाज के समक्ष चुनौती है. हाल के दिनों में महिला उत्पीड़न मामले का दुरुपयोग बढ़ा है. महिला पक्ष की ओर से पूरे परिवार पर मुकदमा कर दिया जाता है. दुरुपयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों तत्काल गिरफ्तारी पर रोक भी लगा दी थी. लेकिन नया ट्रेंड शुरू हुआ है और एक ही मामले में कई मुकदमे दर्ज कराये जा रहे हैं.
"सरकार या कानून बनाने वालों को इस बात की चिंता करने की जरूरत है कि पुरुष को कानून का सुरक्षा कैसे मिले. इसके लिए सक्षम प्राधिकार के द्वारा पहल करने की जरूरत है और जरूरत पड़े तो कानून भी बनाया जाए."-दीनू कुमार, अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय
क्या है सेक्शन 498-एः भारतीय दंड संहिता में धारा 498-A को 1983 में शामिल किया गया था. पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा विवाहित महिला पर क्रूरता से रोका जा सके. इसके तहत तीन साल की कैद और जुर्माना का प्रावधान है. यह अपराध गैर-जमानती है. भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) की धारा 85 इसी प्रावधान से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि अगर किसी महिला के पति या पति के रिश्तेदार ने किसी महिला के साथ क्रूरता की है, तो उसे 3 साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
कितने विवाहित करते हैं आत्महत्याः आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर 92 हजार पुरुष हर साल आत्महत्या करते हैं. जिसमें 67 हजार विवाहित पुरुष होते हैं, जबकि महिलाओं की संख्या 29 हजार होती है. बिहार की अगर बात कर ले तो हर साल बिहार में 8 सौ से अधिक आत्महत्या की घटना होती है. बड़ी संख्या में पुरुष प्रताड़ित होकर आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2022 को छोड़ दिया जाए तो बिहार में भी साल दर साल आतमहत्या के आंकड़े बढ़ रहे हैं.
बिहार में आत्महत्या के आंकड़ेः 2018 में बिहार में जहां 443 लोगों ने आत्महत्या की थी तो 2019 में कुल 641 लोगों ने आत्महत्या की. 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 809 तक पहुंच गया और 2021 में ये आंकड़ा 827 हो गया. 2022 में आंकड़े में 15 फीसदी की गिरावट आई. 702 लोगों ने आत्महत्या की. वहीं 2022 में सिर्फ पटना में 53 लोगों ने आत्महत्या की थी. 2022 को छोड़ दें तो हर साल बिहार में खुदकुशी के आंकड़ों में इजाफा ही हुआ है.
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