नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में मंत्री पद और आम आदमी पार्टी (AAP) की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके कैलाश गहलोत अब दिल्ली विधानसभा के सदस्य नहीं रहे. विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल द्वारा उनके इस्तीफे को मंजूरी दिए जाने के बाद उनका समर्थक गजट नोटिफिकेशन भी विधानसभा सचिवालय ने जारी कर दिया है. आम आदमी पार्टी के विधायकों की संख्या को 62 से घटाकर 58 हो गई है.
'नैतिक मूल्यों से भटकी AAP': कैलाश गहलोत ने दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष को अपने इस्तीफे का पत्र बुधवार को पेश किया था, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने 17 नवंबर 2024 को दिल्ली सरकार के मंत्री पद के साथ-साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दिया. इस्तीफे की मुख्य वजह बताते हुए गहलोत ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अपनी नैतिक और एथिकल मूल्यों से भटकना शुरू कर दिया था, जिसके कारण उनके लिए पार्टी में बने रहना और राजनीति में सक्रिय रहना मुश्किल हो गया.
गहलोत ने केजरीवाल को भी लिखा पत्र: गहलोत द्वारा भेजे गए पत्र में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नीतियों और दिशा में बदलाव के कारण वह पार्टी से असहमत हो गए थे. उन्होंने अपने इस्तीफे की निर्णय प्रक्रिया को साझा करते हुए बताया कि उनके लिए आगे पार्टी में काम करना संभव नहीं था. इस्तीफे के साथ ही, गहलोत ने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने विस्तार से पार्टी छोड़ने की वजह बताई. इसमें उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त की कि पार्टी सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए नैतिकता का त्याग कर रही है.
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बता दें कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तो आतिशी ने केजरीवाल को राम बताया था. मंत्री पद की शपथ लेने के बाद कैलाश गहलोत ने कहा था कि जिस तरह प्रभु श्री राम के लिए हनुमान ने काम किया था. उसी तरह वह अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने के लिए हनुमान की भूमिका में काम करेंगे. लेकिन वह दिल्ली विधानसभा से पहले आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.
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