जयपुर: मणिपुर में हिंसा की घटनाओं को लेकर वहां के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा जनता से माफी मांगने के मामले को लेकर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निशाना साधा है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने अब जाकर जनता से माफी मांगी है. वहां जो कुछ हुआ वह माफी के योग्य नहीं है.
मणिपुर में आपस में फायरिंग हुई. महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाएं हुईं. अन्याय और उत्पीड़न हुआ, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार कुछ नहीं कर पाई. इसके लिए अशोक गहलोत ने उन्हें दोषी ठहराया है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या वहां की सरकार और मुख्यमंत्री को हटाया नहीं जा सकता था. इस पूरे घटनाक्रम के लिए उन्हें माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मणिपुर में क्या कुछ नहीं हुआ. वहां 250 लोग मारे गए. लोगों को समझना पड़ेगा. वे बोले- अभी देश में धर्म के नाम पर जो माहौल बना है, अभी केवल धर्म की बात हो रही है. बाकि मुद्दे गौण हो गए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मणिपुर नहीं जाने पर अड़े हुए हैं. जबकि उन्हें बड़ा मन रखना चाहिए. अगर वो जाते तो उनका अलग ओरा होता. उन्होंने तो कोरोना के समय देश में ताली और थाली बाजवा दी. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा और कहा कि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने एक राज्य को इग्नोर कर दिया. उन्होंने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री को तो पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए था. इससे उनका मान-सम्मान रहता.
कांग्रेस के बिना विपक्ष का गठबंधन संभव नहीं : आम आदमी पार्टी के इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को हटाने वाले बयान से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा कि हर पार्टी को चुनाव जीतना होता है. इसलिए वह कमेंट करती रहती है, लेकिन उसका कोई तुक नहीं है. बिना कांग्रेस के इस देश के अंदर कोई भी विपक्ष का गठबंधन संभव ही नहीं है. जिन्होंने इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को हटाने की बात कही है. यह बात वो खुद भी जानते हैं. बिना कांग्रेस के विपक्षी पार्टियों का गठबंधन संभव ही नहीं है. इंडिया गठबंधन में एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस ही है. इसके बिना गठबंधन क्या होगा.
किसानों को अविलंब बातचीत के लिए बुलाए केंद्र : किसान आंदोलन, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर अशोक गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसान को बचाने के लिए कमेंट कर रहा है. पंजाब सरकार को सलाह दे रहा है कि उनका इलाज शुरू करना चाहिए. जबकि किसान केंद्र सरकार द्वारा बातचीत के लिए बुलाने की मांग पर अड़े हैं. डल्लेवाल लाखों किसानों के प्रतीक हैं. केंद्र सरकार को चाहिए कि किसानों के प्रतिनिधिमंडल को अविलंब बातचीत के लिए बुलाए और सरकार को उनसे बातचीत करना चाहिए.
जिले खत्म होने से कितने लोगों को तकलीफ होगी : उन्होंने कहा कि देश में जो स्थितियां बनी हैं, वो सबके सामने हैं. प्रदेश में भाजपा सरकार को एक साल बीत गया और कोई याद करने लायक उपलब्धि नहीं है. सरकार ने 9 जिले और तीन संभाग निरस्त कर दिए. इससे कितने लोगों को तकलीफ होगी. कोई कल्पना नहीं कर सकता है. उस पर कोई चर्चा नहीं कर रहा है. लोग दूर-दूर से परिवेदनाएं और शिकायत लेकर आते हैं. वो कैसे बार-बार आएंगे और जाएंगे. उन्हें कितनी तकलीफ होंगी. सरकार खर्चे का मैकेनिकल अनुमान लगा रही है, जबकि लोकतंत्र में वेलफेयर सरकार होती है. इनका ध्येय जनकल्याण होता है. उसमें खर्चे नहीं देखे जाते हैं.