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आषाढ़ प्रदोष व्रत में शिव पूजा से मिलेगा खुशहाली का वरदान, महादेव की बरसेगी असीम कृपा - Ashadh Pradosh Vrat

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 2, 2024, 8:01 PM IST

Updated : Jul 3, 2024, 9:43 AM IST

Pradosh Vrat Muhurat आषाढ़ महीने में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों का योग बना है. बुधवार तीन जुलाई को प्रदोष व्रत है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा जो श्रद्धालु सच्चे मन से करता है. उसके जीवन में सुख शांति संतुष्टि और समृद्धि आती है. July Pradosh Vrat

ASHADH PRADOSH VRAT
आषाढ़ प्रदोष व्रत (ETV BHARAT)

रायपुर: आषाढ़ का महीना इस बार कई खूबसूरत संयोगो से भरा रहा. बुध प्रदोष व्रत के साथ साथ मासिक शिवरात्रि इस महीने में है. तीन जुलाई को प्रदोष व्रत और चार जुलाई को मासिक शिवरात्रि पड़ने से एक खास संयोग का निर्माण हुआ है. प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है. हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महिलाएं प्रदोष व्रत करती हैं.

आषाढ़ का महीना और प्रदोष व्रत (ETV BHARAT)

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा: प्रदोष व्रत के दौरान भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष का व्रत रखने से जीवन में सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है. इसके साथ साथ ही घर में सुख शांति आती है. जो जातक प्रदोष व्रत को विधि विधान से करते हैं उनके ऊपर भगवान भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है.

"प्रदोष का व्रत आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की जो त्रयोदशी तिथि होती. इस बार द्वादशी युक्त त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई बुधवार को पड़ रही है. प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए समर्पित माना गया है. प्रदोष व्रत के दिन व्रत करने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म को पूरा करना चाहिए. इस दिन संकल्प लेकर भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा आराधना करते हैं. आज के दिन भगवान भोलेनाथ के प्रिय माने जाने वाले वस्तुओं से भोले बाबा का श्रृंगार करते हैं. उसके साथ भी महादेव का जलाभिषेक किया जाता है. जलाभिषेक रुद्राभिषेक जैसे पूजन पाठ सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद के समय में किया जाता है. यही प्रदोष काल का समय होता है. इस समय भगवान भोलेनाथ को दीपक जलाकर आरती उतार कर उनकी आराधना की जाती है. भगवान भोलेनाथ की आराधना करने सुख शांति की प्राप्ति होती है.": मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर

प्रदोष व्रत का शुभ काल: पंडित मनोज शुक्ला के मुताबिक त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 3 जुलाई 2024 को सुबह 7:10 पर होगी और इसका समापन 4 जुलाई 2024 को सुबह 5:34 बजे होगा. इसलिए उदया तिथि के मुताबिक 3 जुलाई बुधवार के दिन आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत है. इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इसका नाम बुध प्रदोष व्रत पड़ा है. इस दिन शिव गौरी के पूजन का बड़ा महत्व है. इस दिन शाम 7:23 से लेकर रात्रि 9:24 तक प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त बना है.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

  1. प्रदोष व्रत की पूजा में सफेद चंदन, इत्र और जनेऊ का प्रयोग करें
  2. पीला अक्षत, लाल चंदन, कपूर, धूप बत्ती और बेल पत्र से भगवान शिव को चढ़ाएं
  3. शिव चालीसा का पाठ करें
  4. शंख, हवन सामग्री का भी पूजा में उपयोग करें
  5. मां पार्वती को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं

इस तरह जो जातक प्रदोष व्रत में नियम से पूजा पाठ करता है. उस जातक पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की अनंत कृपा बनी रहती है.

सावन से पहले इस दिन है मासिक शिवरात्रि, शिव गौरी की पूजा से बदलेगा भाग्य, सिर्फ इन बातों का रखें ध्यान

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रायपुर: आषाढ़ का महीना इस बार कई खूबसूरत संयोगो से भरा रहा. बुध प्रदोष व्रत के साथ साथ मासिक शिवरात्रि इस महीने में है. तीन जुलाई को प्रदोष व्रत और चार जुलाई को मासिक शिवरात्रि पड़ने से एक खास संयोग का निर्माण हुआ है. प्रदोष व्रत भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है. हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को महिलाएं प्रदोष व्रत करती हैं.

आषाढ़ का महीना और प्रदोष व्रत (ETV BHARAT)

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा: प्रदोष व्रत के दौरान भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष का व्रत रखने से जीवन में सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है. इसके साथ साथ ही घर में सुख शांति आती है. जो जातक प्रदोष व्रत को विधि विधान से करते हैं उनके ऊपर भगवान भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है.

"प्रदोष का व्रत आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की जो त्रयोदशी तिथि होती. इस बार द्वादशी युक्त त्रयोदशी तिथि 3 जुलाई बुधवार को पड़ रही है. प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए समर्पित माना गया है. प्रदोष व्रत के दिन व्रत करने वाले लोगों को सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म को पूरा करना चाहिए. इस दिन संकल्प लेकर भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा आराधना करते हैं. आज के दिन भगवान भोलेनाथ के प्रिय माने जाने वाले वस्तुओं से भोले बाबा का श्रृंगार करते हैं. उसके साथ भी महादेव का जलाभिषेक किया जाता है. जलाभिषेक रुद्राभिषेक जैसे पूजन पाठ सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद के समय में किया जाता है. यही प्रदोष काल का समय होता है. इस समय भगवान भोलेनाथ को दीपक जलाकर आरती उतार कर उनकी आराधना की जाती है. भगवान भोलेनाथ की आराधना करने सुख शांति की प्राप्ति होती है.": मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर

प्रदोष व्रत का शुभ काल: पंडित मनोज शुक्ला के मुताबिक त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 3 जुलाई 2024 को सुबह 7:10 पर होगी और इसका समापन 4 जुलाई 2024 को सुबह 5:34 बजे होगा. इसलिए उदया तिथि के मुताबिक 3 जुलाई बुधवार के दिन आषाढ़ मास का पहला प्रदोष व्रत है. इस दिन बुधवार पड़ने के कारण इसका नाम बुध प्रदोष व्रत पड़ा है. इस दिन शिव गौरी के पूजन का बड़ा महत्व है. इस दिन शाम 7:23 से लेकर रात्रि 9:24 तक प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त बना है.

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

  1. प्रदोष व्रत की पूजा में सफेद चंदन, इत्र और जनेऊ का प्रयोग करें
  2. पीला अक्षत, लाल चंदन, कपूर, धूप बत्ती और बेल पत्र से भगवान शिव को चढ़ाएं
  3. शिव चालीसा का पाठ करें
  4. शंख, हवन सामग्री का भी पूजा में उपयोग करें
  5. मां पार्वती को श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं

इस तरह जो जातक प्रदोष व्रत में नियम से पूजा पाठ करता है. उस जातक पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की अनंत कृपा बनी रहती है.

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Last Updated : Jul 3, 2024, 9:43 AM IST
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