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मांगों को लेकर आशा वर्कर्स ने तानी मुट्ठी, कहा-सीएम की घोषणा के बाद भी आज तक नहीं मिला बढ़ा हुआ मानदेय - asha workers demand

Asha Workers Protest मांगों को लेकर आशा वर्कर्स मुखर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं कर रही है. साथ ही आशा वर्कर्स ने जल्द मांगों पर गौर ना करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 16, 2024, 1:50 PM IST

Updated : Feb 16, 2024, 1:59 PM IST

मांगों को लेकर आशा वर्कर्स मुखर

हल्द्वानी: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हल्द्वानी में आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. गुस्साए आशा वर्कर्स ने सरकार से सरकारी कर्मचारी घोषित करने और उचित मानदेय देने की मांग उठाई. साथ ही मांग पूरी ना होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

हल्द्वानी में भारी संख्या में आशा वर्कर्स जमा हुए. जहां उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कहा कि पिछले कई सालों से ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में आशा वर्कर्स सेवा देती आ रही हैं. आशाओं की सेवाओं का ही प्रतिफल है कि सरकारी संस्थागत प्रसव और जन्म मृत्यु की दर में उल्लेखनीय स्तर तक उपलब्धि हासिल हुई है. कोरोना महामारी के समय जान जोखिम में डाल कर कार्य किया गया. लेकिन सरकार ने पिछले एक दशक से आशाओं का वाजिब मेहनाताना नहीं दिया है. आशा वर्कर्स ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा एक साल पहले उनको 11 हजार रुपए मानदेय देने का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है.
पढ़ें-CM धामी की घोषणा पर अमल, आशा वर्कर्स को 2 हजार प्रोत्साहन राशि का शासनादेश जारी

आशाओं ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि सरकार कम से कम उनको 26 हजार रुपए महीने का मानदेय और राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. कहा कि अभी तक मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू किया है, लेकिन आने वाले दिनों में कार्य बहिष्कार के साथ पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा. मजदूर नेता कैलाश पांडे ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियन एवं संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज आशा कार्यकत्रियों ने प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है और उनको दिए जाने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी नहीं किया जा रहा है. जिसके चलते आज किसान आंदोलन के लिए सड़कों पर हैं. कहा कि सरकार को आशा वर्करों की मांगों को जल्द पूरा करना चाहिए.

मांगों को लेकर आशा वर्कर्स मुखर

हल्द्वानी: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों एवं संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हल्द्वानी में आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. गुस्साए आशा वर्कर्स ने सरकार से सरकारी कर्मचारी घोषित करने और उचित मानदेय देने की मांग उठाई. साथ ही मांग पूरी ना होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

हल्द्वानी में भारी संख्या में आशा वर्कर्स जमा हुए. जहां उन्होंने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कहा कि पिछले कई सालों से ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में आशा वर्कर्स सेवा देती आ रही हैं. आशाओं की सेवाओं का ही प्रतिफल है कि सरकारी संस्थागत प्रसव और जन्म मृत्यु की दर में उल्लेखनीय स्तर तक उपलब्धि हासिल हुई है. कोरोना महामारी के समय जान जोखिम में डाल कर कार्य किया गया. लेकिन सरकार ने पिछले एक दशक से आशाओं का वाजिब मेहनाताना नहीं दिया है. आशा वर्कर्स ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा एक साल पहले उनको 11 हजार रुपए मानदेय देने का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है.
पढ़ें-CM धामी की घोषणा पर अमल, आशा वर्कर्स को 2 हजार प्रोत्साहन राशि का शासनादेश जारी

आशाओं ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि सरकार कम से कम उनको 26 हजार रुपए महीने का मानदेय और राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए. कहा कि अभी तक मांगों को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन शुरू किया है, लेकिन आने वाले दिनों में कार्य बहिष्कार के साथ पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा. मजदूर नेता कैलाश पांडे ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियन एवं संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आज आशा कार्यकत्रियों ने प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है और उनको दिए जाने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी नहीं किया जा रहा है. जिसके चलते आज किसान आंदोलन के लिए सड़कों पर हैं. कहा कि सरकार को आशा वर्करों की मांगों को जल्द पूरा करना चाहिए.

Last Updated : Feb 16, 2024, 1:59 PM IST
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